दीवाली से पहले उल्लू गोद लेने में दिलचस्पी, देहरादून चिड़ियाघर आ चुके इतने आवेदन; जानिए क्या है कारण
देहरादून चिड़ियाघर में वन्यजीवों का खर्च वहन करने के लिए उन्हें गोद दिया जा रहा है। यहां सभी प्रकार के वन्यजीवों को कोई भी गोद लेकर उनका खर्च उठा सकता है। लेकिन इन दिनों लोग अन्य जीवों की बजाय उल्लू गोद लेने में खासी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 31 Oct 2020 09:53 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। देहरादून चिड़ियाघर में वन्यजीवों का खर्च वहन करने के लिए उन्हें गोद दिया जा रहा है। यहां सभी प्रकार के वन्यजीवों को कोई भी गोद लेकर उनका खर्च उठा सकता है। लेकिन, इन दिनों लोग अन्य जीवों की बजाय उल्लू गोद लेने में खासी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
दिवाली से पहले लोग उल्लू को गोद लेकर मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं। इसी क्रम में यहां पिछले कुछ दिन में डेढ़ दर्जन आवेदन आ चुके हैं। चिड़ियाघर के वन क्षेत्राधिकारी मोहन सिंह रावत ने बताया कि चिड़ियाघर में 12 उल्लू हैं और उन्हें गोद लेने के लिए पिछले कुछ दिनों में ही 18 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि अन्य जीवों के लिए इतने आवेदन नहीं मिल रहे हैं। एक उल्लू को गोद लेने के लिए सालाना पांच हजार रुपये जमा कराने होते हैं। वहीं, उल्लू के बाड़े के बाहर उनका नाम पट्टिका पर लिखा जाएगा। साथ ही उन्हें प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया जाता है।
ये है मान्यता
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, उल्लू मां लक्ष्मी का वाहन है। भारतीय संस्कृति में उल्लू का विशेष महत्व है। खासकर दिवाली के समय मां लक्ष्मी की पूजा और उल्लू का महत्व और भी बढ़ जाता है। लिंगपुराण में कहा गया है कि नारद मुनि ने मानसरोवरवासी उलूक से संगीत शिक्षा ग्रहण करने के लिए उपदेश लिया था। वाल्मीकि रामायण में भी उल्लू को मूर्ख के स्थान पर अत्यंत चतुर कहा गया। पाश्चात्य संस्कृति में भी उल्लू को विवेकशील माना गया है। तंत्र शास्त्र अनुसार, जब लक्ष्मी एकांत, सूने स्थान, अंधेरे, खंडहर, पाताल लोक आदि स्थानों पर जाती हैं, तब वह उल्लू पर सवार होती हैं। तब उन्हें उलूक वाहिनी कहा जाता है। उल्लू पर विराजमान लक्ष्मी अप्रत्यक्ष धन कमाने वाले व्यक्तियों के घरों में उल्लू पर सवार होकर जाती हैं।
चिड़ियाघर में उपलब्ध प्रमुख जीव
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- जीव----------वार्षिक भुगतान राशि
- हिरण-----------5000
- गुलदार---------25000
- घड़ियाल-------20000
- मगरमच्छ----10000
- गरुड़----------10000
- उल्लू----------5000
- ऑस्ट्रिच------25000
- ईमू----------7000
- मोर----------10000
- लव बर्ड--------5000
- कछुआ---------5000