मंडुवे के बिस्किट बन रहे लोगों की पहली पसंद, कर्इ राज्यों में होगी बिक्री
अब मंडुवे से बने बिस्किट को एक अलग पहचान मिलेगी। इनकी बिक्री अब सिर्फ उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी होगी।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 06 Jun 2018 05:13 PM (IST)
बागेश्वर, [चंद्रशेखर द्विवेदी]: हिलांस नाम से मंडुवे के बिस्किट जिले में ही नहीं अब देश के कई राज्यों में अपनी महक बिखेरेगा। अनुसूचित जनजाति मंत्रालय भारत सरकार की टीम ने मोनार में मंडुवे से बनने वाले उत्पाद का निरीक्षण कर लिया है। इसी माह मंत्रालय का मां चिल्टा आजीविका स्वायत्त सहकारिता लोहारखेत के साथ एग्रीमेंट हो जाएगा। मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसे ही मोनार में बन रहे मंडुवे के बिस्कुट का जिक्र किया। वैसे ही लोग मंडुवे की ओर आकर्षित होने लगे हैं।
अनुसूचित जनजाति मंत्रालय भारत सरकार की एक टीम सप्लाई चैन अधिकारी जगदीश चंद्र जोशी के नेतृत्व में कपकोट ब्लाक के लोहारखेत मुनार स्थित मां चिल्टा स्वायत्त सहकारिता पहुंची। यहां उन्होंने मंडुवे के बिस्किट उत्पादन की जानकारी ली। वह अपने देश भर में बने 56 आउटलेट्स में मंडुवे से बने उत्पाद रखना चाहते हैं। जिस पर दोनों के बीच सहमति बनी। मंत्रालय बिस्किट के सैंपल भी ले गया है। जून में ही दोनों के बीच समझौता भी हो जाएगा। सहकारिता में 8 सदस्य प्रत्यक्ष रुप से काम कर रहे हैं। जिन्हें चार हजार से 12 हजार तक वेतन मिलता है।
इसके अलावा अप्रत्यक्ष रुप से 20 गांवों के 952 लोग इससे जुड़े हुए हैं। सहकारिता के माध्यम से प्रतिवर्ष करीब 5 लाख से अधिक की आय अर्जित की जा रही है। सहकारिता की अध्यक्ष तारा टाकुली ने बताया कि मंडुवे के साथ मक्का, चौलाई के बिस्किट भी बनाए जा रहे हैं। स्वास्थ्यवर्धक होने के कारण लोग इसे काफी पसंद कर रहे हैं।
उत्पादन बढ़ाने को लगेगी एक और यूनिट
अभी मंडुवे के बिस्कुट बनाने के लिए मां चिल्टा आजीविका स्वायत्त सहकारिता में एक यूनिट लगी है। अभी बाजार में पांच हजार पैकेट प्रति माह मंडुवे के बिस्किट की डिमांड है। उत्पादन बढ़ाने के लिए इसी माह एक और यूनिट लगाई जा रही है। अभी मंडुवे के बिस्किट बागेश्वर जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों, कौसानी व स्थानीय कपकोट क्षेत्र में जाते हैं। 250 ग्राम मडुवे के बिस्किट के पैकेट की कीमत 25 रुपये है।
लोहारखेत में 10 हेक्टेयर में होगा मंडुवे का उत्पादन
मुख्य कृषि अधिकारी वीपी मौर्या ने बताया कि विवेकानंद अनुसंधान केंद्र से प्राप्त बीएल 154 प्रजाति का मडुवे के बीज बांटे गए हैं। लोहारखेत में 10 हेक्टेयर में कलस्टर बनाकर मडुवे की खेती कराई जा रही है। लगभग डेढ़ कुंतल तक बीज बांटा गया है। 10 हेक्टेयर में करीब 160 कुंतल तक उत्पादन होगा। इसके अलावा कपकोट ब्लाक के 20 गांव मंडुवा व चौलाई का उत्पादन करेंगे। अभी करीब 70 कुंतल तक उत्पादन हो रहा है। जिसे दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। नैनो पैकेजिंगयूनिट लगेगी जल्द ही
लोहारखेत स्थित बड़े आउटलेट्स में ढाई लाख लागत की नैनो पैकेजिंग यूनिट की स्थापना की जाएगी। इसका उद्देश्य पैकेजिंग की गुणवत्ता को सुधारना है। लोहारखेत, कौसानी आउटलेट में यूनिट लगने से लोगों को भी रोजगार मिलेगा। परियोजना प्रबंधक धर्मेंद का कहना है कि स्थानीय उत्पादों का यह प्रयोग सफल रहा है। स्वास्थ्यवर्धक होने के कारण यह काफी पसंद किया जा रहा है। सरकार की मदद से इससे बढ़ाया जा रहा है। इससे पलायन तो रुकेगा ही लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
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