नगर निगम से जुड़े नए क्षेत्र की हकीकत, अतिक्रमण और गंदगी से परेशान वाशिंदे
नगर निगम में पहली बार शामिल हुए मोहब्बेवाला क्षेत्र में समस्याओं की भरमार है। यहां बेल रोड और ग्राफिक एरा रोड से लगी बस्तियों में रहने वाले लोग अतिक्रमण और गंदगी से परेशान हैं।
By BhanuEdited By: Updated: Thu, 03 Jan 2019 12:49 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। नगर निगम में पहली बार शामिल हुए मोहब्बेवाला क्षेत्र में समस्याओं की भरमार है। यहां बेल रोड और ग्राफिक एरा रोड से लगी बस्तियों में रहने वाले लोग अतिक्रमण और गंदगी से परेशान हैं। सड़क तक फैले अतिक्रमण के चलते यहां आए दिन जाम की स्थिति बनी रहती है। जबकि जगह-जगह कूड़ा बिखरा होने से आबो-हवा भी दूषित है।
सहारनपुर रोड से लगे मोहब्बेवाला में यूं तो औद्योगिक क्षेत्र, बड़े शो-रूम और संस्थान बसे हुए हैं। इन संस्थानों में हर दिन हजारों लोग समस्याओं से दो-चार होते हैं। इसके अलावा क्षेत्र की बेल रोड, ग्राफिक एरा रोड, चंद्रबनी चौक और इसके आसपास की आबादी वाले क्षेत्र के लोग भी समस्याओं से परेशान हैं। बेल रोड में आबादी हर दिन बढ़ती जा रही है। यह रोड क्लेमनटाउन और सहारनपुर रोड को जोड़ने वाला वैकल्पिक मार्ग भी है। इस रोड से हर दिन हजारों लोग आवाजाही करते हैं। यहां आसपास के घरों में सेना के अधिकारी, स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं रहते हैं।
ग्राफिक एरा जैसे बड़े संस्थान के होने के चलते यहां खासी चहल-पहल रहती है। सड़क तक फैले अतिक्रमण से बेल रोड पर जाम की समस्या तो पनप ही रही है, पैदल राहगीरों को का चलना भी दूभर होता जा रहा है। कच्चे, पक्के, अस्थायी और स्थायी अतिक्रमण चारों ओर पसरा हुआ है। इससे बड़े वाहन तो दूर बाइक और छोटी कारें भी आवाजाही के दौरान जाम में फंस जाती हैं।
सड़क के दोनों तरफ क्षतिग्रस्त नाली है। नालियों की सफाई तभी होती है, जब यहां बारिश के चलते जलभराव हो जाता है। अन्यथा आज तक नालियां साफ नहीं हुईं। यही नहीं घर और आसपास की सड़क, खाली प्लाट में गंदगी अंबार लगे हुए हैं। इसके अलावा बंदरों के आतंक से भी लोग परेशान हैं। आए दिन यहां बंदर किसी न किसी को घायल कर देते हैं, घरों के आंगन व छतों से सामान उठा ले जाना तो बंदरों के लिए आम बात है।
नगर निगम में शामिल होने के बाद यहां के निवासियों को उम्मीद थी कि कुछ सुधार होगा, लेकिन फिलहाल उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
डंपरों ने तोड़ दी सड़कें बेल रोड पर रेत और बजरी से भरे भारी डंपर आवाजाही करते हैं। इससे नालियां और सड़कों को खासा नुकसान पहुंच रहा है। दिन-रात डंपरों की आवाजाही से दुर्घटना का खतरा भी बना रहता है। पुलिस और प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। स्कूल-कॉलेजों के छात्र-छात्राओं के लिए यह समस्या ज्यादा विकट बनी हुई है।
स्थानीय लोगों का दर्द
बेल रोड निवासी गुलशेर के अनुसार साफ-सफाई के कोई इंतजाम नहीं हैं। सड़क और नालियां गंदगी से पटी पड़ी हैं। इसमें कभी सुधार होगा, इसके आसार कम ही हैं। बेल रोड निवासी रमेश असवाल कहते हैं कि अतिक्रमण से लोग परेशान हैं। सड़क तक व्यापारियों ने दुकानें सजा दी हैं। इसमें सुधार होना चाहिए। ताकि आम लोगों को असुविधा न हो।
बेल रोड की रहने वाली अरुणा लींबू के मुताबिक बरसात में मोहल्ले की सड़कें तालाब बन जाती हैं। पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। सड़कें टूटी हुई हैं। बेल रोड निवासी कर्नल अमितवीर पांडया के अनुसार स्वच्छ भारत अभियान यहां नजर नहीं आता। सफाई के नाम पर बजट खर्च हो रहा है, लेकिन यहां लोग कूड़ा सड़क, नाली और खाली जगह पर फेंक रहे हैं।
मोहब्बेवाला निवासी रोहित क्षेत्र का कहना है कि आंतरिक सड़कों की स्थिति बेहद खराब है। जगह-जगह टूट-फूट होने से गड्ढे बने हुए हैं। सुधार के कोई इंतजाम नहीं है।
चंद्रबनी चौक निवासी विवेक कुमार के अनुसार कूड़ा उठाने के नाम पर सौ रुपये दे रहे हैं। लेकिन, न तो वाहन आते हैं और न ही सफाई होती है। इससे गंदगी सड़क पर बिखरी रहती है। बेल रोड निवासी पिंकी देवी कहती हैं कि नगर निगम बनने के बाद सफाई की उम्मीद जगी थी, लेकिन फिलहाल निगम की नजरें यहां नहीं पड़ीं। नालियों में फैली गंदगी बीमारी को न्योता दे रही है।
बेल रोड निवासी सौरभ के अनुसार सड़क के दोनों तरफ अतिक्रमण हो रखा है। नालियां कूड़े से भरी पड़ी है। व्यवस्था नाम की कोई चीज यहां नहीं दिखती। मोहब्बेवाला निवासी मुनिबा के अनुसार क्षेत्र में नालियां टूटी पड़ी हैं। गंदगी से बदबू उठ रही है। पानी की निकासी न होने से बारिश के दौरान सड़क और गलियां तालाब बन जाती हैं। मोहब्बेवाला निवासी पूजा छाबड़ा के मुताबिक सहारनपुर रोड हो या फिर आंतरिक बाजार। पार्किंग और शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है। सड़क पर लंबा जाम लगने से लोग परेशान रहते हैं। यह भी पढ़ें: पानी को तरस रहे यहां के लोग, खराब स्ट्रीट लाइट, टूटी नाली से मुसीबतयह भी पढ़ें: दून की अंधेरी और गंदी सड़कों पर चल रहे सवा दो लाख ग्रामीणयह भी पढ़ें: विकास के नाम पर गांवों को मिलाया, सड़कों के ख्वाब में ठगे गए ग्रामीण
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