उत्तराखंड : ग्रामीण क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरे के निस्तारण को बनेगी नीति
उत्तराखंड में ग्रामीण क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए नीति बनेगी। गांवों से एकत्र कचरे को अलग कर हरिद्वार स्थित रिसाइकिलिंग प्लांट में भेजा जाएगा। इस संबंध में शासन ने पंचायतीराज निदेशालय को नीति का ड्राफ्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 28 Apr 2022 09:50 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून। पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों की भांति अब गांवों से प्रतिदिन निकलने वाले प्लास्टिक कचरे के निस्तारण को नीति बनाई जा रही है। शासन ने इस संबंध में पंचायतीराज निदेशालय को नीति का ड्राफ्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
इसके आकार लेने के बाद गांवों में कचरे का पृथक्कीकरण कर पालीथिन-प्लास्टिक कचरे को हरिद्वार स्थित रिसाइकिलिंग प्लांट में भेजा जाएगा, जहां इससे प्लास्टिक के विभिन्न उत्पाद तैयार किए जाएंगे। यही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में लोनिवि और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) की सड़कों के निर्माण को भी प्लास्टिक-पालीथिन की आपूर्ति की जाएगी।
राज्य के शहरी क्षेत्रों की भांति ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्लास्टिक-पालीथिन कचरे की समस्या कम नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा प्लास्टिक कचरे के निस्तारण पर जोर दिए जाने के पश्चात प्रदेश में भी इस दिशा में कदम बढ़ाए गए।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के अंतर्गत सभी नगर निकायों में प्लास्टिक, पालीथिन कचरे के निस्तारण के लिए पहल की गई है। अब ऐसी ही पहल गांवों के परिप्रेक्ष्य में भी की जा रही है। पिछली सरकार के कार्यकाल में इस सिलसिले में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था, जिस पर केंद्रीय पंचायतीराज मंत्रालय ने सहमति दी थी।
अब इस दिशा में गंभीरता से कदम बढ़ाते हुए ग्रामीण क्षेत्रों के लिए बाकायदा नीति तैयार की जा रही है।
पंचायतीराज निदेशालय इसका ड्राफ्ट तैयार कर रहा है, जिसमें प्लास्टिक, पालीथिन कचरे की स्थिति को लेकर सर्वे, आठ-10 गांवों के केंद्र में कचरे के एकत्रीकरण को शेड और वहां कांपेक्टर मशीनें लगाने, निस्तारण के मद्देनजर सप्लाई चेन बनाने, सड़क निर्माण में प्लास्टिक-पालीथिन कचरे के उपयोग के दृष्टिगत लोनिवि अथवा पीएमजीएसवाई को इसकी आपूर्ति करने जैसे तमाम बिंदुओं को शामिल करने के लिए मंथन चल रहा है।
अपर सचिव पंचायतीराज नितिन भदौरिया ने बताया कि निदेशालय से ड्राफ्ट मिलने के बाद इसका परीक्षण होगा। नीति को स्वीकृति मिलने पर इसके आधार पर राज्य के गांवों में प्लास्टिक, पालीथिन कचरे के निस्तारण को कदम उठाए जाएंगे। इसके साथ ही पंचायतों को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने को भी कहा गया है।
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