33 साल पहले पीएम मोदी ने यहां की थी साधना, कर सकते हैं दौरा
अगले माह अक्टूबर में प्रधानमंत्री देहरादून में इन्वेस्टर्स समिट का उद्घाटन करने आ रहे हैं। माना जा रहा है कि इस दौरान प्रधानमंत्री केदारनाथ भी जा सकते हैं।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 16 Sep 2018 11:29 AM (IST)
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले माह अपने उत्तराखंड दौरे के दौरान केदारनाथ के नजदीक गरुड़चट्टी स्थित उस साधनास्थल में भी जा सकते हैं जहां 33 वर्ष पूर्व उन्होंने साधना की थी। इसके लिए प्रशासन ने केदारनाथ से गरुड़चट्टी तक ढाई किलोमीटर पैदल मार्ग दुरुस्त कर दिया है। इसमें बाकायदा रेलिंग तक लगाई गई है। प्रधानमंत्री यदि यहां आते हैं तो इसके लिए ऑल टेरेन व्हीकल (एटीवी) की व्यवस्था की गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उत्तराखंड से गहरा लगाव रहा है। यह लगाव आज का नहीं, बल्कि दशकों पुराना है। दरअसल, योग और आध्यात्म की इस सरजमीं पर हिमालय की कंदराओं में नमो ने साधना की थी। यह स्थल है 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक केदारनाथ धाम के नजदीक गरुड़चट्टी, जहां नमो रहा करते थे। तब वह रोजाना दो किमी नंगे पांव पैदल चलकर बाबा केदार के दर्शनों को जाते थे। हालांकि कुछ समय बाद वह यहां से वापस चले गए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुडऩे के बाद भी मोदी केदारनाथ आते रहे। बीते वर्ष केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के मौके पर प्रधानमंत्री ने तब पुराने दिनों की याद करते हुए कहा था कि एक दौर था जब वे यहीं रम गए थे लेकिन शायद बाबा केदार की यह इच्छा नहीं थी।
अगले माह अक्टूबर में प्रधानमंत्री देहरादून में इन्वेस्टर्स समिट का उद्घाटन करने आ रहे हैं। माना जा रहा है कि इस दौरान प्रधानमंत्री केदारनाथ भी जा सकते हैं। हाल ही में मुख्य सचिव ने भी केदारनाथ जाकर यहां की तैयारियों को परखा था। तब उन्होंने केदारनाथ से गरुड़चट्टी जाने वाले मार्ग का भी जायजा लिया। बताया गया कि यह मार्ग ढाई किमी बन कर तैयार है। प्रधानमंत्री इतना लंबा सफर शायद ही पैदल तय करें इसके लिए ऑल टेरेन व्हीकल (एटीवी) की व्यवस्था की गई है।
गरुड़चट्टी तक मार्ग बनाने के पीछे स्थानीय प्रशासन का एक मकसद और है। वर्ष 2013 में आई आपदा के बाद ध्वस्त हो चुके पुराने पैदल मार्ग को भी वैकल्पिक मार्ग के रूप में बनाए जाने की योजना है। ऐसे में गरुड़ चट्टी के बाद रामबाड़ा के उपरी क्षेत्र और लिंचौली तक इस पैदल मार्ग को बनाया जा सकता है ताकि निकट भविष्य में इसे वैकल्पिक मार्ग के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।
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