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Uttarakhand Election 2022: नमो की ललकार, उत्तराखंड चाहे विकास की सरकार; कांग्रेस को बताया डबल ब्रेक

Uttarakhand Vidhan Sabha Election 2022 पीएम मोदी ने उत्तराखंड के लिए अपनी पहली वर्चुअल सभा में पार्टी की इस रणनीति को आगे बढ़ाते हुए न केवल विकास के नाम पर जनादेश मांगा बल्कि कांग्रेस पर विकास में अवरोध पैदा करने का आरोप मढ़ा।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Tue, 08 Feb 2022 08:42 AM (IST)
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Uttarakhand Election 2022: नमो की ललकार, उत्तराखंड चाहे विकास की सरकार।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Vidhan Sabha Election 2022 उत्तराखंड में भाजपा पिछले पांच वर्षों के दौरान डबल इंजन के बूते हुए विकास कार्यों को मुद्दा बनाकर विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में उतरी है। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखंड के लिए अपनी पहली वर्चुअल सभा में पार्टी की इस रणनीति को आगे बढ़ाते हुए न केवल विकास के नाम पर जनादेश मांगा, बल्कि कांग्रेस पर विकास में अवरोध पैदा करने का आरोप मढ़ते हुए उसे कठघरे में खड़ा भी कर दिया।

गिनाए डबल इंजन के फायदे

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार डबल इंजन, यानी केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार का नारा देते हुए भाजपा के लिए चुनावी शंखनाद किया था। नमो के डबल इंजन के सहारे विकास की अपील का बड़ा असर भी हुआ और भाजपा 70 सीटों में से 57 पर जीत दर्ज कर तीन-चौथाई से अधिक बहुमत के साथ सत्ता में आई। अब भाजपा के समक्ष अपने इसी प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है तो प्रधानमंत्री ने एक बार फिर डबल इंजन के फायदों को तो गिनाया ही, लगे हाथ कांग्रेस की केंद्र व राज्य की पूर्ववर्ती सरकारों को डबल ब्रेक की सरकार के विशेषण से भी नवाज दिया।

पांच वर्ष में मिला डबल इंजन का लाभ

केंद्र के साथ ही उत्तराखंड में भी भाजपा सरकार का लाभ पिछले पांच वर्ष में सीधे तौर पर उत्तराखंड को मिला। 12 हजार करोड़ की लागत से बन रही चारधाम आल वेदर सड़क परियोजना की बात हो या फिर भारतमाला परियोजना, उत्तराखंड में विकास की रीढ़ माना जाने वाला सड़क नेटवर्क इनके जरिये धीरे-धीरे सुदृढ़ स्वरूप ले रहा है। इसके साथ ही ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन जैसी परियोजना पहली बार राज्य के पर्वतीय क्षेत्र को रेल नेटवर्क से जोड़ने जा रही है। वर्ष 2013 की प्राकृतिक आपदा में तबाह हुई केदारपुरी के पुनर्निर्माण और अब बदरीनाथ के सुंदरीकरण की योजना ने इस श्रृंखला को आगे बढ़ाया है।

विकास का मुद्दा सुविचारित रणनीति

प्रधानमंत्री ने विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले गुजरे दिसंबर में देहरादून और हल्द्वानी में दो जनसभाओं में 35 हजार करोड़ से अधिक की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया था। इनमें देहरादून-दिल्ली आर्थिक गलियारा जैसी महत्वाकांक्षी परियोजना भी शामिल है। कुल मिलाकर एक लाख करोड़ से अधिक की परियोजनाएं पिछले पांच वर्षों के दौरान उत्तराखंड के हिस्से आई हैं। इसीलिए भाजपा ने इस चुनाव में सुविचारित रणनीति के तहत विकास को ही सबसे बड़ा मुद्दा बनाया है।

रखा भाजपा का भविष्य का विजन

हरिद्वार संसदीय क्षेत्र की वर्चुअल सभा में प्रधानमंत्री ने इन परियोजनाओं का सिलसिलेवार उल्लेख किया। साथ ही कांग्रेस को घेरने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी। उन्होंने कांग्रेस के राज्य विरोधी रुख से लेकर प्रदेश के विकास के प्रति उसके रवैये को रेखांकित किया। उन्होंने इस सीमांत क्षेत्र के प्रति कांग्रेस पर उपेक्षा का आरोप मढ़ा तो इस दिशा में भाजपा सरकार के प्रयास और भविष्य के विजन को भी सामने रखा। यह भी बताया कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से सीमांत क्षेत्रों का विकास क्यों आवश्यक है। आधारभूत ढांचे का विकास और पर्यटन के जरिये आर्थिकी संवारने के उपायों को भी प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में जगह दी।

अतीत का जिक्र, भविष्य के लिए किया सचेत

उन्होंने विषम भूगोल वाले इस राज्य में मूलभूत सुविधाओं के विकास, रोजगार के अवसरों में वृद्धि के लिए उठाए गए कदमों और भविष्य की योजनाओं का खाका खींचा। प्रधानमंत्री ने मातृशक्ति से भी स्वयं को जोड़ा और कहा कि हर घर को नल से जल, उज्ज्वला योजना, घस्यारी कल्याण योजना, महालक्ष्मी योजना जैसी योजनाओं के जरिये महिलाओं के सिर से बोझ कम करने का प्रयास किया गया है। खेती-किसानी के मद्देनजर उन्होंने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, जैविक खेती को विशेष अभियान आदि का जिक्र किया। उन्होंने जनता को सचेत भी किया कि वह उत्तराखंड के अतीत और भविष्य को ध्यान में रखते हुए सोच-समझकर मतदान करें।

सीडीएस स्व जनरल रावत को किया नमन

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत में दिवंगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत के साथ ही हर उस वीर को नमन किया, जिसने उत्तराखंड की धरती से प्रेरणा लेकर देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। इसके माध्यम से प्रधानमंत्री ने सैन्य बहुल उत्तराखंड में सैनिकों व पूर्व सैनिकों की भावनाओं को छूने का प्रयास भी किया।

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