वाहन चोरों के सात सदस्यीय गैंग का पर्दाफाश, पांच सदस्य निकले नाबालिग Dehradun News
कैंट कोतवाली पुलिस ने वाहन चोरों को ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है जिसके पांच सदस्य नाबालिग निकले। बच्चों से वाहनों की चोरी कराने के बाद उन्हें सरगना उन्हें बेच देता था।
By Edited By: Updated: Fri, 15 Nov 2019 10:56 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। कैंट कोतवाली पुलिस ने वाहन चोरों को ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है, जिसके पांच सदस्य नाबालिग निकले। सरगना इन्हीं नाबालिग बच्चों से वाहनों की चोरी कराने के बाद उन्हें सस्ते दामों पर बेच देता था।
गिरोह की निशानदेही पर छह दो पहिया वाहन बरामद किए गए हैं। इसमें दो स्कूटी और चार बाइक शामिल हैं। एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि विगत दस दिनों के दौरान शहर में कई स्थानों से दो-पहिया वाहन चोरी होने के आधा दर्जन मामले सामने आने के बाद एसपी सिटी श्वेता चौबे, सीओ मसूरी अरविंद सिंह रावत की अगुवाई में कैंट कोतवाली की टीम गठित की गई। टीम ने वाहन चोरी की घटनाओं की बारीकी से पड़ताल की और सीसीटीवी फुटेज निकलवाए तो पता चला कि चोरी गए वाहनों को मौके से उठाने में नाबालिग बच्चों का हाथ है। इस बीच कैंट पुलिस किशननगर चौक पर वाहनों की चेकिंग कर रही थी।
बाइक सवार दो युवकों को रोककर कागजात दिखाने को कहा गया तो बोले कागजात नहीं हैं। पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो पता चला कि गाड़ी चोरी की है। दोनों युवकों की पहचान अवनीश निवासी कौलागढ़ व अभिषेक निवासी गांधीनगर के रूप में हुई। दोनों ने बताया कि वह नाबालिग बच्चो से वाहन चोरी कराकर उन्हें सस्ते दामों को बेच देते थे।
पलक झपकते चुरा लेते थे गाड़ी
अवनीश व अभिषेक ने नाबालिग बच्चों को इस कदर ट्रेंड कर रखा था कि वह पलक झपकते बाइक चोरी कर लेते थे। इंस्पेक्टर नदीम अतहर ने बताया कि किमाड़ी के पास से चोरी स्कूटी के मामले में ऐसा ही हुआ था। जिनके वाहन चोरी हुए वे गाड़ी में चाबी छोड़कर इधर-उधर घूम रहे थे और इस बीच शातिर बाइक लेकर चंपत हो गए। अवनीश और अभिषेक एक फ्लैक्स बनाने की दुकान में काम करते हैं। यह दुकान चोरखाला में है। चोरी किए वाहन को दोनों वहीं खड़ी कर देते। इसके अलावा गाड़ियां छिपाने को पार्किंग का भी इस्तेमाल करते थे।
यह भी पढ़ें: बंद घर में चोरी का आरोपित नकदी और जेवर समेत गिरफ्तार Dehradun Newsपर्यटक स्थलों पर बनाते थे निशाना अवनीश व अभिषेक व उसके नाबालिग दोस्त पर्यटक स्थलों व भीड़भाड़ वाले स्थानों मंडराते रहते थे। यदि कोई गाड़ी में चाबी लगा छोड़ गया तो उसे लेकर चंपत हो जाते थे। यदि चाबी नहीं छोड़ी तो उनके पास मास्टर चाबी होती थी, जिससे गाड़ी को खोलकर फरार हो जाते थे।
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