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पेटीएम केवाईसी के नाम पर करते थे ठगी, साइबर ठगों को पुलिस ने झारखंड से किया गिरफ्तार

केवाईसी अपडेट करवाने के नाम पर एक महिला को चार लाख 45 हजार रुपये का चूना लगाने वाले तीन साइबर ठगों को पुलिस रिमांड पर लेकर देहरादून पहुंची।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 03 Mar 2020 09:45 AM (IST)
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पेटीएम केवाईसी के नाम पर करते थे ठगी, साइबर ठगों को पुलिस ने झारखंड से किया गिरफ्तार
देहरादून, जेएनएन। केवाईसी अपडेट करवाने के नाम पर दून की महिला को चार लाख 45 हजार रुपये का चूना लगाने वाले तीन साइबर ठगों को पुलिस रिमांड पर लेकर देहरादून पहुंची। पूछताछ में पता लगा कि आरोपित पश्चिम बंगाल से गरीब लोगों के नाम पर नए सिम कार्ड खरीदकर लाते थे, जिन्हें एक्टिवेट कर ठगी को अंजाम देते थे।

पत्रकारों से वार्ता में डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि 19 फरवरी को टीना गुप्ता निवासी तिरुपति एन्क्लेव, सहस्रधारा रोड ने रायपुर थाने में तहरीर दी कि 18 फरवरी को उनको एक व्यक्ति ने फोन कर खुद को पेटीएम कंपनी का प्रतिनिधि बताते हुए पेटीएम की केवाईसी अपडेट करवाने के लिए सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने के संबंध में जानकारी दी। इसकेबाद उक्त व्यक्ति ने उनके खाते और डेबिट कार्ड की जानकारी मांगी। इसके बाद उनके खाते से लगभग चार लाख 45 हजार रुपये निकाल लिए।

टीना गुप्ता द्वारा उपलब्ध कराए गए नंबरों के संबंध में सर्विलांस के माध्यम से जानकारी प्राप्त की गई तो उक्त नंबरों की अंतिम लोकेशन झारखंड के जमतारा जिले में मिली। साथ ही उक्त नंबरों की आइडी जनपद 24 परगना, पश्चिमी बंगाल की पाई गई। इसी दौरान सर्विलांस टीम को शातिरों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे कुछ पेटीएम वॉलेट की जानकारी मिली। जिनकी आइडी लखनऊ व दिल्ली की थी। जिस पर गठित पुलिस टीम को तत्काल झारखंड, पश्चिमी बंगाल, दिल्ली व लखनऊ के लिए रवाना किया गया। साथ ही सर्विलांस के माध्यम से नंबरों पर लगातार नजर रखी गई।

सर्विलांस टीम को उक्त अभियुक्तों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे एक नए नंबर की जानकारी मिली, जो शरीद निवासी ग्राम बदिया थाना करौं जनपद देवघर, झारखंड के नाम पर रजिस्टर्ड था। इसलिए एक टीम उक्त पते पर रवाना हुई। पुलिस टीम को जानकारी मिली कि शरीद नाम का उक्त व्यक्ति अपने दो अन्य साथियों के साथ बदिया में ही मौजूद है। निशानदेही पर शरीद को उसके दो अन्य साथियों तनवीर आलम व नबुवत अंसारी के साथ बदिया से गिरफ्तार किया गया। तीनों आरोपित करौं, देवघर झारखंड के रहने वाले हैं।

साइबर ठगी गैंग के सरगना शरीद अंसारी ने बताया कि वह पहले पश्चिम बंगाल के आसनसोल जिले के एक होटल में काम करता था। बाद में उसने पड़ोस में रहने वाले अपने दो साथियों नबुवत अंसारी और तनवीर आलम को अपने साथ लेकर साइबर ठगी करनी शुरू कर दी। नबुवत अंसारी 12वीं तक पढ़ा है, जिसके पास एडवांस कंप्यूटर कोर्स का डिप्लोमा भी है। ठगी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सिमों को वह पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद व अन्य जिलों से लाते थे। सिमों को एक्टिवेट कर वह लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे।

यह सामान हुआ बरामद

पुलिस ने ठगों से नौ मोबाइल फोन, 27 सिम कार्ड इस्तेमाल किए हुए, 20 नए सिम कार्ड और 53050 रुपये नकद बरामद किए।

अलग-अलग खातों में भेजते हैं पैसे

शातिर ने बताया कि वह लोगों को कॉल करके पेटीएम की केवाईसी करवाने या अन्य चीजों का प्रलोभन देते थे। पेटीएम वॉलेट में उसके एवज में एक रुपये ट्रांसफर करवाकर इस दौरान उनके मोबाइल में प्राप्त ओटीपी की जानकारी प्राप्त कर लेते थे। ओटीपी मिलते ही वह खातों से धनराशि को अपने वॉलेट में ट्रांसफर कर उसे तत्काल अन्य छोटे-छोटे पेटीएम वॉलेटों में ट्रांसफर कर लेते थे, ताकि खाता फ्रीज होने से पहले ही पैसे मिल जाएं।

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अलग-अलग पेटीएम वॉलेट में ट्रांसफर की गई धनराशि को वह बैंकों, पोस्ट ऑफिस के खातों में डालकर उसकी निकासी करते थे। इसके लिए वह ऐसे खाताधारकों को ढूंढते थे जो बेहद गरीब या उम्रदराज हों। ऐसे व्यक्तियों को वह उनके खातों में आए पैसों का 10 से 15 प्रतिशत हिस्सा देते थे। देहरादून में की गई ठगी का पैसा उन्होंने तत्काल पूर्व में बनाए गए 85 अन्य पेटीएम वॉलेटों में छोटी-छोटी धनराशि के रूप में ट्रांसफर किया था।

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