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पॉलिसी के नाम पर लोगों से करते थे ठगी, पुलिस ने किया सात लोगों को गिरफ्तार

पुलिस ने लोगों से पॉलिसी के नाम पर ठगी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया। पुसिल ने मामले में नोएडा से सात लोगों को गिरफ्तार किया।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 08 Jan 2019 08:43 AM (IST)
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पॉलिसी के नाम पर लोगों से करते थे ठगी, पुलिस ने किया सात लोगों को गिरफ्तार
देहरादून, जेएनएन। बीमा पालिसी के नाम पर ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए रानीपोखरी पुलिस ने सात सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। गिरोह में कुल आठ सदस्य थे, जिसमें से एक पहले ही पुलिस के हत्थे चढ़ चुका है। गिरोह के मास्टरमाइंड मामा-भांजा हैं। गिरफ्तार आरोपितों में एक एचडीएफसी बैंक का क्लर्क भी है। क्लर्क के जिम्मे डेड हो रही पालिसी का जानकारी एकत्र करना था। गिरोह के सभी सदस्य यह धंधा शुरू करने से पहले अलग-अलग कॉल सेंटरों में काम करते थे। जहां उन्हें एक ही झटके में मोटी रकम पाने का रास्ता दिखा और गिरोह बनाकर ठगी करने लगे।

एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि एक महीने पूर्व रानीपोखरी क्षेत्र के रहने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक अनिल सिंघवाल ने पुलिस को बताया कि वर्ष 2014 में उनके पास कुछ लोगों के फोन आए थे। फोन करने वालों ने कहा कि उनकी पालिसी मैच्योर हो गई है। ऐसे में अगर वह पालिसी की रकम का भुगतान चाहते हैं तो उसके बताए अकाउंट में कुछ पैसे जमा कराने होंगे। इसके उन्होंने दस लाख रुपये जमा करा दिए, लेकिन पालिसी का भुगतान फिर भी नहीं हुआ। कुछ दिन पहले एक शख्स का फिर से फोन आया, उसने बताया कि उन्हें आखिरी 30 हजार रुपये और देने होंगे। तब उन्हें शक हुआ कि उनके साथ धोखा हो रहा है। एसओ रानीपोखरी पीडी भट्ट की ओर से एसआई दीपक रावत को विवेचक नियुक्त करते हुए जांच शुरू की गई।

जांच में पुलिस को अनिल से गाजियाबाद का एक बैंक अकाउंट नंबर मिला। छानबीन में पता चला कि यह अकाउंट किसी कविता नामक महिला का है। इसके बाद टीम गाजियाबाद के लिए रवाना हुई, जहां पता चला कि कविता का पति महेश लाल पुत्र विजय लाल निवासी ग्राम फटगली पोस्ट बमराड़ी जिला बागेश्वर है, जो गाजियाबाद में ही रहता है। खाते का संचालन वही करता है। महेश को बीती एक जनवरी को अल्मोड़ा से गिरफ्तार कर लिया गया। महेश से जब सख्ती से पूछताछ की गई तो गिरोह की मोडस ऑपरेंडी पता चली और अन्य सदस्यों के बारे में भी जानकारी मिली। रविवार को गिरोह के फरार सभी सात सदस्यों को नोएडा के सेक्टर 71 से गिरफ्तार कर लिया गया। 

गिरोह के गिरफ्तार सदस्य

- सुधीर गुप्ता पुत्र मुन्ना लाल गुप्ता जलालाबाद, शाहजहांपुर। हाल निवासी लक्ष्मीनगर, निर्माण विहार, दिल्ली (मामा) 

- अक्षय कुमार गुप्ता पुत्र सुनील कुमार गुप्ता कासगंज, कन्नौज। हाल निवासी 41 फ्लैट नंबर 403 बिल्डिंग सेंडल बी, शालीमार सिटी, गाजियाबाद (भांजा)

- दीपक सिंह पुत्र सुभाष सिंह ग्राम खकुड़ा तहसील शिकारपुर, बुलंदशहर। हाल पता ग्राम कुलेसरा, गौतमबुद्धनगर (क्लर्क)

- धर्मेंद्र कुमार पुत्र मिठन सिंह ग्राम किनोनी पोस्ट रसूलपुर जिला मेरठ। हाल निवासी आर-सी 283 खोड़ा कालोनी, मंत्रिका विहार, गाजियाबाद।

- मोहित पुत्र गुलाब सिंह ग्राम भाईपुर तहसील अनूपशहर, बुलंदशहर। हाल निवासी आधापुर, सेक्टर 41 नोएडा।

- आनंद पांडेय पुत्र धु्रव चंद्र पांडेय ग्राम अकबरपुर, गोंडा। हाल निवासी ए 49/1 गली नंबर 5 जगतपुरी एक्सटेंशन, दिल्ली।

- दीपक कुमार पुत्र विजय सिंह ग्राम इमलोर पोस्ट सीडीएफ थाना जम्मा जिला अलीगढ़। हाल निवासी सेक्टर 41, हंगापुर नोएडा।

ऐसे करते थे ठगी

सुधीर व अक्षय गुप्ता मामा-भांजे हैं। दोनों गरीब तबके के लोगों को लालच देकर बैंकों में उनका खाता खुलवाते हैं और चेकबुक, एटीएम कार्ड व पासबुक अपने ही पास रख लेते हैं। दीपक, आनंद व धर्मेंद्र ठगी के जरिये खातों में आई रकम को निकालते हैं। इसके लिए तीनों को 20 प्रतिशत कमीशन मिलता था। दीपक सिंह और मोहित अलग-अलग फर्जी आइडी पर लिए मोबाइल नंबरों से लोगों को फोन कर झांसे में लेते थे। यही दोनों ठगी के जरिये आई रकम का हिसाब-किताब भी रखते थे। दीपक सिंह एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस में क्लर्क है। दीपक ही विभिन्न कंपनियों से पालिसी धारकों को डेटा चोरी कर उनकी डिटेल साथियों को देता था।

ऐसे बचें पालिसी के नाम पर धोखे से

- पालिसी के नाम पर कोई संबंधित कंपनी के अलावा किसी और के नाम से चेक जारी करने को कहे तो तुरंत इसकी सूचना उस कंपनी को दें, जहां से पालिसी ले रखी है।

- समय-समय पर अपनी पालिसी का स्टेटस चेक करते रहें और उसका रिकार्ड भी अपने पास रखें।

- पालिसी के मूल दस्तावेज किसी को न दें और न ही बिना तस्दीक किए किसी को पालिसी नंबर या फिर कोई और जानकारी न दें।

- फोन पर आने वाले ऑफरों से सावधान रहें। जरूरी नहीं कि फोन करने वाला व्यक्ति बीमा कंपनी से ही हो। हो सकता है, वह फ्रॉड हो। 

- बीमा कंपनियां खासकर एलआइसी बोनस, किश्त के लिए पालिसी होल्डर से संपर्क नहीं करतीं। ऐसे फोन आएं तो सतर्क हो जाएं।

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