साढ़े छह लाख के नकली नोट के साथ दो चढ़े पुलिस के हत्थे, ऐसे तैयार करते थे नोट
पुलिस ने दो बदमाशों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से 6.49 लाख के नकली नोट बरामद किए गए हैं।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 18 Sep 2019 08:24 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। नकली नोट छापने की चलती-फिरती मशीन बन चुके गिरोह का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने दो बदमाशों को गिरफ्तार किया है। दोनों के पास से 6.49 लाख के नकली नोट बरामद किए गए हैं। बुधवार को गिरोह के सरगना को रुड़की में नकली नोटों की डिलीवरी देनी थी, लेकिन उसके बेटे का एक्सीडेंट होने के कारण दोनों देहरादून में नकली नोट खपाने की नीयत से पहुंच गए और चेकिंग के दौरान क्लेमेनटाउन के पोस्ट ऑफिस तिराहे के पास से पकड़े गए। दोनों के पास से दो लैपटॉप, एक कलर प्रिंटर, नकली नोट छापने में प्रयुक्त होने वाला पेपर और एक नाइन एमएम की पिस्टल और चार जिंदा कारतूस भी बरामद किए गए हैं।
एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि पकड़े गए आरोपितों की पहचान राजेश गौतम निवासी डी-540 हर्ष विहार पूर्वी दिल्ली हाल निवासी मकान नंबर जी-4 बिल्डिंग नंबर बी-83 ओएलएफ कॉलोनी गाजियाबाद व विक्रांत चौहान निवासी गोल मार्केट हापुड़ उप्र हाल निवासी संत विहार जीएमएस रोड इंजीनियर्स एनक्लेव वसंत विहार देहरादून के रूप में हुई है, जबकि गिरोह का सरगना संजय शर्मा निवासी 105/9 मकतूलपुरी रुड़की अभी फरार है। राजेश और विक्रांत नकली नोट छापने की चलती-फिरती मशीन हैं।
दोनों का कोई स्थायी ठिकाना नहीं, दोनों होटल, धर्मशाला या अपने घरों में बैठकर नकली नोट छापते हैं और उन्हें मार्केट में खपाने का काम इन दोनों के अलावा सबसे अधिक संजय शर्मा ही करता है। बुधवार को साढ़े छह लाख रुपये के नकली नोट लेकर संजय शर्मा को देने रुड़की जा रहे थे, लेकिन पिछले दिनों उसके बेटे का एक्सीडेंट हो गया और वह उसे लेकर इस समय चंडीगढ़ में है। ऐसे में दोनों ने खुद ही कुछ नकली नोट चलाने की सोची और इसी कोशिश में वह शहर में घूम रहे थे।
हफ्तों लगे हूबहू नकली नोट तैयार करने में
राजेश और विक्रांत ने पूछताछ में बताया कि असली नोट को स्कैनर से स्कैन कर कलर प्रिंटर में रंगों का तालमेल बिठाकर उसका प्रिंट निकालते। हूबहू असली जैसा दिखने वाला नोट तैयार करने में हफ्तों लग गए। तार और रोशनी में चमकने वाले हिस्से को तैयार करने में बच्चों की मैजिक पेंसिल का प्रयोग करते थे। नोट छापने के लिए 65 ग्राम क्रीम कलर पेपर का उपयोग करते थे। दोनों ने बताया कि पांच सौ और दो हजार रुपये के एक नोट तैयार करने में 40 से 50 रुपये का खर्चा आता था।
तीस हजार असली के बदले एक लाख के नकली नोटराजेश और विक्रांत तीस हजार रुपये असली नोट के बदले एक लाख रुपये कीमत के नकली नोट संजय शर्मा को देते थे। संजय उसे आगे चलाने का काम करता था। इस तरह दोनों अब तक करीब 12 लाख रुपये के नकली नोट संजय को बेच चुके हैं।संजय के हवाला से जुड़े होने का शकसंजय शर्मा कुछ साल पहले दिल्ली में मनी ट्रांसफर का काम करता था। राजेश और विक्रांत की दिल्ली में नेहरू प्लेस इलाके में एक दोस्त के जरिए करीब दो महीने पहले संजय से मुलाकात हुई थी। उसी ने दोनों को नकली नोट बनाने का तरीका भी बताया था, जब दोनों ने महारत हासिल कर ली तो संजय रुड़की आकर प्रापर्टी डीलिंग व अन्य धंधों की आड़ में नकली नोटों की सप्लाई करने लगा।
जेल में हुई थी राजेश-विक्रांत की मुलाकातराजेश वर्ष 2015 में दिल्ली और नोएडा में लूट के अलग-अलग मामलों में जेल जा चुका है। गाजियाबाद के साहिबाबाद थाने में उसके खिलाफ जानलेवा हत्या का भी केस दर्ज है। वहीं साल 2006 में दिल्ली के हर्ष विहार थाने से वह मारपीट के मामले में भी जेल जा चुका है। वहीं विक्रांत पर हापुड़ में अवैध हथियार रखने के आरोप में जेल जा चुका है। दोनों की मुलाकात गाजियाबाद जेल में हुई थी। यहीं दोनों की दोस्ती हुई और बाहर निकलने के बाद संजय शर्मा के संपर्क में आने के बाद नकली नोटों का धंधा करना शुरू कर दिया।
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