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Uttarakhand Police Transfer: उत्तराखंड में तबादला आदेशों से पुलिस कर्मी परेशान, बच्चों के भविष्य की सता रही चिंता

उत्तराखंड में पुलिस विभाग ने तीन दिन के अंदर स्थानांतरण का दूसरा आदेश जारी कर दिया है। पुलिस विभाग हर वर्ष अराजपत्रति अधिकारियों व कर्मचारियों के ग्रीष्मकालीन स्थानांतरण करता है। इसमें सिपाही से लेकर निरीक्षक तक शामिल होते हैं। अमूमन यह स्थानांतरण 31 मार्च तक अनिवार्य रूप से कर दिए जाते हैं लेकिन इस वर्ष लोकसभा चुनाव को लेकर लगी आचार संहिता के चलते स्थानांतरण नहीं हो पाए।

By Soban singh Edited By: Riya Pandey Published: Wed, 26 Jun 2024 10:07 PM (IST)Updated: Wed, 26 Jun 2024 10:07 PM (IST)
उत्तराखंड में तबादले व बच्चों के स्कूलों में दाखिला पुलिस कर्मियों के लिए बना दोहरी चुनौती

जागरण संवाददाता, देहरादून। पुलिस विभाग ने तीन दिन के अंदर स्थानांतरण का दूसरा आदेश जारी कर दिया है। पहले आदेश में अनुकंपा के आधार पर स्थानांतरण की बात कही है तो अब दूसरे आदेश में चार मैदानी जिलों व नौ पर्वतीय जिलों में समयसीमा पूर्ण करने वाले पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले 31 जुलाई तक करने के आदेश जारी किए गए हैं।

ऐसे में स्कूलों में बच्चों के दाखिले और पढ़ाई को लेकर पुलिस कार्मिकों के सामने दोहरी चुनौती सामने आ गई है। ज्यादातर पुलिसकार्मिकों का कहना है कि यदि विभाग को स्थानांतरण करने ही थे तो समय पर किए जाने चाहिए थे। जुलाई में स्थानांतरण होने से उनके बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ेगा।

हर साल होता है अराजपत्रति अधिकारियों व कर्मचारियों का स्थानांतरण 

पुलिस विभाग हर वर्ष अराजपत्रति अधिकारियों व कर्मचारियों के ग्रीष्मकालीन स्थानांतरण करता है। इसमें सिपाही से लेकर निरीक्षक तक शामिल होते हैं। अमूमन यह स्थानांतरण 31 मार्च तक अनिवार्य रूप से कर दिए जाते हैं, लेकिन इस वर्ष लोकसभा चुनाव को लेकर लगी आचार संहिता के चलते स्थानांतरण नहीं हो पाए।

आचार संहिता खत्म होने के बाद पुलिस विभाग ने 22 जून को आदेश जारी किया कि स्थानांतरण सत्र 2024 में केवल अनुकंपा के आधार पर स्थानांतरण के लिए इच्छुक अराजपत्रित पुलिस अधिकारी व कर्मचारियों के स्थानांतरण किए जाएं।

25 जून को पुलिस मुख्यालय ने एक और आदेश जारी कर अपने ही पुराने आदेश को बदलते हुए 31 जुलाई तक स्थानांतरण नीति के तहत सभी अराजपत्रित अधिकारियों व कर्मचारियों के स्थानांतरण के आदेश जारी किए हैं। विभाग के इस आदेश से पुलिसकर्मी नाराज हैं। उनका कहना है कि उनके स्थानांतरण अब तक हो जाने चाहिए थे। सभी लोग परिवार वाले हैं। बीच सत्र में स्कूल बदलने से उनके बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी।

संबद्ध कार्मिकों पर किसी की नजर नहीं

विभाग की स्थानांतरण नीति कुछ ही पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों पर लागू होती है। वर्ष 2020 में स्थानांतरण नीति लागू होने के बाद कुछ अधिकारी व कर्मचारी स्थानांतरित होकर पर्वतीय जिलों में गए, लेकिन कुछ दिन बाद ही संबद्ध होकर दोबारा देहरादून व हरिद्वार जिलों में आ गए।

वहीं, रैंकर भर्ती में सिपाही से दारोगा बने कार्मिकों को लेकर कोई नीति ही नहीं बनी। तीन साल सिपाही रहने के बाद यदि कोई कार्मिक रैंकर्स भर्ती में दारोगा बन गया तो उसका सेवाकाल दारोगा से ही शुरू होता है।

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