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नियमावली के फेर में अटकी उप निरीक्षकों की पदोन्नति, कार्मिकों में बढ़ रही नाराजगी

पुलिस महकमे में एक अदद नियमावली के फेर में सैकड़ों कार्मिक पदोन्नति की राह ताक रहे हैं। बीते एक वर्ष में बिना पदोन्नति पाए कई कार्मिक सेवानिवृत भी हो चुके हैं।

By Edited By: Updated: Tue, 05 May 2020 03:13 PM (IST)
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नियमावली के फेर में अटकी उप निरीक्षकों की पदोन्नति, कार्मिकों में बढ़ रही नाराजगी
देहरादून, राज्य ब्यूरो। पुलिस महकमे में एक अदद नियमावली के फेर में सैकड़ों कार्मिक पदोन्नति की राह ताक रहे हैं। बीते एक वर्ष में बिना पदोन्नति पाए कई कार्मिक सेवानिवृत भी हो चुके हैं। ऐसे में अब सेवानिवृत्ति की कगार पर खड़े कार्मिकों की नाराजगी भी बढ़ने लगी है। 

प्रदेश में इस समय विभिन्न विभागों में पदोन्नति प्रक्रिया चल रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद फिलहाल पदोन्नति में आरक्षण का प्रविधान नहीं किया गया है। ऐसे में वरिष्ठता सूची के आधार पर तेजी से पदोन्नति प्रक्रिया जारी है। उधर, पुलिस महकमा ऐसा है, जहा तकरीबन एक वर्ष से नियमावली ही तैयार नहीं हो पाई है। दरअसल, शासन ने मेरिट को आधार बनाते हुए जो नियमावली बनाई थी, उस पर पुलिस मुख्यालय ने आपत्ति जताई है। 
मुख्यालय इसमें वरिष्ठता के मानकों के आधार पर पदोन्नति प्रक्रिया शुरू करना चाहता है। यही कारण रहा कि बीते वर्ष विभाग में पदोन्नति नहीं हो पाई। इसके बाद मामले के सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण पुलिस महकमे में पदोन्नति नहीं हो पाई। अब सुप्रीम कोर्ट से निर्णय आ चुका है लेकिन शासन स्तर पर अभी भी नियमावली अटकी हुई हैं। इससे पुलिस की सिविल, पीएसी, घुड़सवार और संचार आदि शाखाओं में पदोन्नति नहीं हो पाई है। इसमें संचार शाखा का मामला थोड़ा अलग है। 
दरअसल, संचार शाखा की जो नियमावली है उसमें पहले भी मेरिट के आधार पर पदोन्नति होने का जिक्र था और प्रस्तावित नीति में भी यही है। ऐसे में इसमें बहुत अधिक अंतर नहीं पड़ेगा। यहा भी सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर से डीएसपी पद पर पदोन्नति होनी है। इनमें सब इंस्पेक्टर का पद अराजपत्रित और इंस्पेक्टर का पद राजपत्रित श्रेणी का है। संचार मुख्यालय द्वारा राजपत्रित अधिकारियों की पदोन्नति के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है जबकि इनकी नियमावली अभी फंसी हुई है।
वहीं, अराजपत्रित अधिकारियों की पदोन्नति इसलिए रोक दी गई है क्योंकि इनकी नियमावली नहीं बन पाई है। इसे लेकर कार्मिकों में आक्रोश है। इस संबंध में आइजी संचार एपी अंशुमान का कहना है कि दोनो मसले अलग हैं। जैसे ही अराजपत्रित अधिकारियों की नियमावली मंजूर हो जाएगी वैसे ही संचार में रिक्त होने वाले सब इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर के पदों पर पदोन्नति कर दी जाएगी।
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