खराब दिनचर्या और खानपान से बढ़ा मेटाबोलिक सिंड्रोम का खतरा, इन बातों का रखें ध्यान
अच्छी सेहत में आहार और व्यायाम की अहम भूमिका होती है। पर खराब दिनचर्या व शरीर में जरूरी पोषण में कमी आज युवाओं की खराब सेहत की वजह बन रही है। मेटाबॉलिज्मदुरुस्त नहीं रहने से उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर हो रही है।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Mon, 22 Feb 2021 03:51 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून। अच्छी सेहत में आहार और व्यायाम की अहम भूमिका होती है। पर खराब दिनचर्या व शरीर में जरूरी पोषण में कमी आज युवाओं की खराब सेहत की वजह बन रही है। मेटाबॉलिज्मदुरुस्त नहीं रहने से उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर हो रही है। साथ ही ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, पेट और उसके आसपास चर्बी, कोलेस्ट्रोल आदि की समस्या बढ़ रही है।
दून अस्पताल से सेवानिवृत्त एवं चारधाम अस्पताल नेहरू कॉलोनी के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. केपी जोशी ने पहाड़ के युवाओं पर किए अध्ययन की रिपोर्ट मीडिया से साझा की। प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने बताया कि युवा पीढ़ी में पुरानी पीढ़ी से ज्यादा स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हैं। परंपरागत खाद्यान के इस्तेमाल व उसे बनाने के तरीकों से दूरी और गलत दिनचर्या नई पीढ़ी को बीमार कर रही है। घराट में गेहूं पत्थर के साथ पिसता था, सिलबट्टे में दाल, नमक पिसा जाता था और लोहे की कढ़ाई व कांसे के बर्तनों में भोजन बनता था, जिससे विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व और आयरन, कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बढ़ी हुई मिलती थी, जबकि आज फसल रसायनिक खादों से उगाई जाती है। फिर रसायनों से उसे संरक्षित किया जाता है। उसे भोजन के रूप में पकाने में भी आजकल मिक्सी से मसाले आदि पीसना और अन्य शार्टकर्ट विधि का प्रयोग होता है, जिससे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान डॉ. जोशी ने आरओ और क्लोरीन युक्त पानी की बजाय प्राकृतिक स्रोतों के जल पर भी जोर दिया। उनका कहना है कि आरओ से पानी फिल्टर तो होता है, लेकिन उससे पोषक तत्व घट जाते हैं। उन्होंने कहा कि बद्री गाय का दूध, घी आदि लें, पर इसके साथ योग व्यायाम जरूर करें। रिफाइंड की बजाय कच्ची घानी का तेल खाने में इस्तेमाल करें।
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