ऊर्जा निगम में करोड़ों का कबाड़ खरीदने का खेल, पढ़िए पूरी खबर
ऊर्जा निगम में एक निजी कंपनी से सांठगांठ कर कंपनी को फायदा पहुंचाने की पूरी तैयारी चल रही है। निगम कंपनी का ऐसा सामान खरीदने को बेताब है जो चार-पांच साल पुराना है।
By BhanuEdited By: Updated: Fri, 17 May 2019 08:58 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। ऊर्जा निगम में एक निजी कंपनी से सांठगांठ कर कंपनी को फायदा पहुंचाने की पूरी तैयारी चल रही है। निगम कंपनी का ऐसा सामान खरीदने को बेताब है, जो चार-पांच साल पुराना है। सामान खरीदने के लिए जो कमेटी बनाई गई थी, वह भी इस पर आपत्ति जता चुकी है। बावजूद इसके प्रबंध निदेशक स्तर से लगातार कमेटी पर सामान खरीद के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इससे साफ है कि अपने व कंपनी के फायदे के लिए निगम पर करोड़ों का आर्थिक बोझ डालने का खेल चल रहा है।
मुख्यमंत्री के अधीन आने वाले ऊर्जा निगम में भ्रष्टाचार के नित नए मामले सामने आ रहे हैं। दरअसल, प्रदेशभर के 16 नगरों में केंद्र सरकार की आर-एपीडीआर योजना के दूसरे चरण में मैमर्स जीनस पावर इंफ्रांस्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी ने चार साल पहले बिजली सुधार से संबंधित ट्रांसफार्मर लगाने, लाइन बिछाने, मीटर लगाने आदि का काम किया था। कांट्रेक्ट पूरा होने के बाद कंपनी का करोड़ों का माल बच गया। इसमें ट्रांसफार्मर, मीटर सहित करीब 141 प्रकार के उपकरण शामिल हैं। इनकी कीमत करोड़ों में बताई जा रही है। कंपनी ने बचे माल को खरीदने के लिए निगम से संपर्क किया।
इसके बाद सामान खरीद के लिए दो चीफ इंजीनियर, एक एसई और डीजीएम फाइनेंस की एक कमेटी गठित की गई। कमेटी को इन पर फैसला लेने को कहा गया। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में साफ कर दिया कि जो सामान कंपनी के पास है वह चार से पांच साल पुराना है। इस अंतराल में ट्रांसफार्मर, मीटर आदि में काफी बदलाव आ चुका है। ऐसे में पुराना सामान खरीदने पर कमेटी ने आपत्ति जता दी। आपत्ति के बाद भी सामान खरीदने के लिए प्रबंध निदेशक स्तर पर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। बाकायदा, कमेटी पर खरीद के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे में कहा जा रहा है कि कंपनी से सांठगांठ कर निगम के अधिकारी खुद और कंपनी को फायदा पहुंचाने का खेल कर रहे हैं।
अनुबंध के अनुसार, बचा माल नहीं हो इस्तेमाल कमेटी ने अपनी आख्या में साफ किया है कि अगर किसी कंपनी से किसी कार्य का अनुबंध हो रखा है और निर्माण पूरा होने पर उसका सामान बच जाता है तो उसकी गारंटी संबंधित कंपनी या ठेकेदार की होती है। शेष सामान को खरीदने के लिए निगम बाध्य नहीं है। साथ ही निगम ऐसे सामान को ही खरीद सकता है जो गारंटी पीरियड में हो।
इसके अतिरिक्त अनुबंध की शर्तों के अनुसार संबंधित ठेकेदार इस सामान का इस्तेमाल किसी अन्य कार्य में नहीं कर सकता। इतने स्पष्ट प्रावधानों के बाद भी सामान खरीद में दिलचस्पी निगम प्रबंधन पर कई सवाल खड़े कर रही है।नियम विरुद्ध खरीद गलत
ऊर्जा सचिव राधिका झा के अनुसार मामले का संज्ञान लिया जाएगा। नियम विरुद्ध सामान की खरीद गलत है। यदि ऐसा है तो मामले की पड़ताल कर उचित कार्रवाई की जाएगी।यह भी पढ़ें: आंधी के दौरान बिजली की लाइन नहीं होंगी क्षतिग्रस्त, ऊर्जा निगम उठाएगा ये कदम
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