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इस वजह से उत्तराखंड में गहराया बिजली का संकट, करनी पड़ रही कटौती

कई सालों बाद प्रदेश में बिजली संकट की स्थिति बनी है। मां के अनुरूप उपलब्धता नहीं होने से यह संकट बना है। इससे पूरे प्रदेश में बिजली की कटौती से लोग परेशान हैं।

By Edited By: Updated: Thu, 24 May 2018 05:16 PM (IST)
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इस वजह से उत्तराखंड में गहराया बिजली का संकट, करनी पड़ रही कटौती

देहरादून, [जेएनएन]: कई सालों बाद प्रदेश में बिजली संकट की स्थिति बनी है। मई में अब तक एक-दो दिन को छोड़ दें तो बिजली मांग पूरी नहीं हो पा रही। गर्मी बढ़ने के साथ मांग करीब 44 मिलियन यूनिट (एमयू) पहुंच गई है और दो से तीन एमयू की कमी बनी हुई है। इससे लगातार अघोषित कटौती हो रही है। इसका कारण ये है कि उत्तराखंड पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) को बाजार से जरूरत के मुताबिक बिजली नहीं मिल पा रही। क्योंकि, इंडियन एनर्जी एक्सचेंज में बिजली के दाम दोगुने से भी अधिक हो गए हैं। 

जहां तीन से पांच रुपये प्रतियूनिट बिजली पिछले महीने तक मिल जा रही थी, वहीं अब दाम छह से 10 रुपये प्रतियूनिट भी ज्यादा हो गए हैं। दरअसल, वित्तीय वर्ष 2017-18 में यूईआरसी ने बिजली खरीद की औसत दर करीब पौने चार रुपये निर्धारित की थी। हालांकि, वर्ष 2018-19 के लिए यह दर तय नहीं हुई। 

हालांकि, यूपीसीएल बाजार से बिजली लेने के लिए करीब-करीब इसी दर पर शेड्यूल कर रहा है। लेकिन, दाम बढ़ जाने पर जरूरत के अनुसार बिजली नहीं मिल रही। दरअसल, यूईआरसी कई बार यूपीसीएल को कह चुका है कि बिजली मांग और आपूर्ति में अंतर न रहे, इसके लिए प्रभावी प्लान बनाया जाए। 

प्लान के अभाव में कई बार बाजार से महंगी बिजली खरीदने पर यूईआरसी नाराजगी भी जता चुका है। सूत्रों की मानें तो महंगी बिजली खरीद के लिए यूपीसीएल यूईआरसी के समक्ष प्रस्ताव पेश करेगा। अगर मंजूरी नहीं दी गई तो प्रदेश में बिजली की भारी कमी हो सकती है। क्योंकि, अगर महंगी बिजली ली गई तो इसका भार उपभोक्ताओं की जेब पर ही पड़ेगा। 

अति आत्मविश्वास से बिजली संकट 

सर्दियों में कम बर्फबारी के चलते यह आशंका बनी थी कि पन बिजली परियोजनाओं से बिजली उत्पादन कम रह सकता है। लेकिन, यूपीसीएल बाजार से बिजली मांग पूरी करने पर ही निर्भर रहा और अलग से कोई प्लानिंग नहीं की गई। पिछले साल सरप्लस थी बिजली पिछले साल सभी स्रोतों को मिलाकर सरप्लस बिजली थी। तभी एडवांस बैकिंग भी हो चुकी। यानी गर्मियों में पंजाब को बिजली दी गई और सर्दियों में 11 फीसद अधिक बिजली मिली। 

एडवांस बैंकिंग खटाई में 

इस बार के लिए भी एडवांस बैंकिंग के टेंडर निकाले गए। लेकिन, बिजली किल्लत के चलते प्रक्रिया पूरी नहीं की गई है। अब मंथन एडवांस बैकिंग को स्थगित करने पर चल रहा है। 

यूईआरसी के निर्देश पर हुए थे लंबी अवधि के करार 

यूईआरसी ने दो साल पहले यूपीसीएल को निर्देश दिए थे कि लंबी अवधि के करार किए जाएं। इसके बाद चार गैस आधारित परियोजनाओं से करार हुआ। इसमें यूईआरसी की भूमिका अहम रही। इनसे वर्तमान में करीब छह से सात मिलियन यूनिट बिजली मिल रही है। आयोग ने ये भी कहा था ऐसे और भी करार किए जाएं, क्योंकि राज्य में कोई नई पनबिजली परियोजना बनने में अभी कितना वक्त लगेगा, इसका कुछ पता नहीं। लेकिन, फिर कोई भी ऐसा करार नहीं हुआ। 

उम्मीद के कम उत्पादन 

यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा के मुताबिक जल विद्युत परियोजनाओं से भी उम्मीद से कम बिजली उत्पादन हो रहा है। पश्चिमी ग्रिड में कुछ दिक्कत है, जिससे उत्तरी ग्रिड में बिजली नहीं मिल रही। इसी कारण एक्सचेंज में दाम बढ़े हैं। कहा जा रहा है कि 31 मई के बाद स्थिति सामान्य हो जाएगी। बिजली खरीद के लिए 24 घंटे को 15-15 मिनट के 96 स्लॉट में बांटा जाता है। अधिकतम छह से सात रुपये में ही बिजली ली जा रही है।

21 मई की स्थिति 

बिजली मांग 43.49 

एमयू यूजेवीएनएल से प्राप्त, 12.69 एमयू 

गैस आधारित परियोजनाओं से, 5.50 एमयू 

केंद्रीय पूल, 14.52 एमयू 

सौर ऊर्जा, 0.74 एमयू 

कुल उपलब्धता, 41.58 एमयू

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