उत्तराखंड की भाजपा सरकार में आसान नहीं है प्रकाश पंत की भरपाई
उत्तराखंड और प्रदेश की भाजपा सरकार को वित्त मंत्री के रूप में प्रकाश पंत की कमी भी खलने जा रही है।
By Edited By: Updated: Fri, 07 Jun 2019 12:41 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड और प्रदेश की भाजपा सरकार को वित्त मंत्री के रूप में प्रकाश पंत की कमी भी खलने जा रही है। राज्य की खराब माली हालत से लेकर आंतरिक आर्थिक मोर्चे पर पेश आ रही मुश्किलों को उन्होंने मजबूती के साथ जीएसटी काउंसिल, 15वें वित्त आयोग, नीति आयोग और केंद्र सरकार के सामने उठाते हुए राज्य के नजरिये को समझाने की कामयाब कोशिश की तो साथ में उक्त सभी संस्थाओं से राज्य हित में भरपाई का आश्वासन भी लिया। पंत के निधन से आने वाले समय में राज्य सरकार के लिए इस आश्वासन को हकीकत में बदलने की बड़ी चुनौती होगी।
वर्ष 2017 में प्रदेश की सत्ता पर भाजपा सरकार के काबिज होने के बाद प्रकाश पंत ने अन्य जिम्मेदारी के साथ वित्त मंत्री के रूप में अहम पदभार भी संभाला। बतौर वित्त मंत्री उनके सामने बड़ी चुनौती जीएसटी लागू होने से छोटे राज्य के कारोबारियों और उद्यमियों को पेश आ रही दिक्कतों के समाधान की रही। बतौर वित्त मंत्री जीएसटी काउंसिल के सदस्य के रूप में उन्होंने राज्य का पक्ष बेहद मजबूती के साथ रखने का ही नतीजा रहा कि कारोबारियों ने भी स्थिति में सुधार आने की उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा। काउंसिल में उन्होंने राज्य से जुड़े विभिन्न पहलुओं को मजबूती के साथ उठाया।
जीएसटी लागू होने से कुल कर में बेतहाशा वृद्धि के बावजूद उत्तराखंड को मायूसी हाथ लगी है। उत्तराखंड ने अपने ट्रेडर्स और उद्योगों की बदौलत सीजीएसटी में 191 फीसद की देशभर में उल्लेखनीय ग्रोथ हासिल की, लेकिन एसजीएसटी और आइजीएसटी में राज्य को नुकसान उठाना पड़ रहा है। राज्य में स्थापित मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स से उत्पादित सामान का राज्य के भीतर उपभोग नगण्य है। इस वजह से इसमें राज्य की ग्रोथ महज सात फीसद तक सिमट गई। पंत जीएसटी काउंसिल के साथ ही 15वें वित्त आयोग के सामने यह पैरवी करने में सफल रहे कि नुकसान की भरपाई केंद्र सरकार कर रही है, लेकिन इसमें वृद्धि की जरूरत है। पांच साल तक केंद्र सरकार भरपाई करेगी, लेकिन इसके बाद भी राज्य को भरपाई की जरूरत पड़ेगी।
पंत की पैरवी का नतीजा रहा कि 15वें वित्त आयोग ने राज्य में अपने दौरे में विषम परिस्थितियों के मद्देनजर इस समस्या पर गौर किया। पंत आयोग के सामने सत्तारूढ़ दल भाजपा ही नहीं, बल्कि कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों को एकजुट कर राज्य के पक्ष में पैरवी करने के लिए राजी कर पाए।
मौजूदा 14वें वित्त आयोग की ओर से केंद्रीय करों में नए शेयरिंग पैटर्न से 0.6 फीसद की कमी और अन्य केंद्रीय मदद खत्म होने से हुए नुकसान को लेकर भी प्रकाश पंत ने नीति आयोग, 15वें वित्त आयोग से लेकर केंद्रीय वित्त मंत्रालय में पुरजोर ढंग से उत्तराखंड की आवाज उठाई। जाहिर है कि पूरी तैयारी के साथ विभिन्न मंचों पर राज्य का पक्ष मुस्तैदी से रखने वाले प्रकाश पंत का असामयिक निधन राज्य की भाजपा सरकार के लिए भी किसी त्रासदी से कम नहीं है। बतौर वित्त मंत्री विधानसभा में तीन दफा राज्य का बजट पेश कर चुके पंत के सामने विपक्ष भी कभी चुनौती पेश नहीं कर पाया। विधायी व संसदीय कार्यमंत्री के रूप में हाजिर जवाबी और विपक्ष के हमलों का त्वरित रणनीति और विनम्रता के साथ जवाब देने के पंत के कौशल की कमी भाजपा को भी महसूस होना तय है।
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