उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को अस्तित्व में लाने की तैयारी, पदेन सदस्यों पर कसरत
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की कार्यकारी समिति के लिए एक्ट में की गई व्यवस्था के अनुसार पदेन सदस्यों के नाम मुख्यमंत्री के लिए अनुमोदन के लिए भेजे गए हैं।
By BhanuEdited By: Updated: Fri, 07 Feb 2020 08:53 AM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड जल्द अस्तित्व में आने जा रहा है। इस बोर्ड की कार्यकारी समिति के लिए एक्ट में की गई व्यवस्था के अनुसार पदेन सदस्यों के नाम मुख्यमंत्री के लिए अनुमोदन के लिए भेजे गए हैं। इसके बाद शेष नामित सदस्यों को इसमें शामिल किया जाएगा।
यह बोर्ड अभी तक बदरी केदारधाम की व्यवस्था देख रही बदरी-केदार मंदिर समिति और चारधाम विकास परिषद पर भी फैसला लेगा। माना जा रहा है कि समिति के सदस्यों को भी बोर्ड में ही शामिल किया जा सकता है। इस बोर्ड में नौ पदेन सदस्य और छह नामित सदस्य शामिल किए जाने हैं। इसे देखते हुए अभी पहले केवल पदेन सदस्यों के नाम की सूची ही शासन को भेजी गई है। राजभवन की मंजूरी के बाद प्रदेश सरकार ने हाल ही में चारधाम देवस्थानम एक्ट लागू किया है। इस इस एक्ट की व्यवस्था के अनुसार चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का गठन किया जाना है। बोर्ड में मुख्यमंत्री पदेन अध्यक्ष, पर्यटन मंत्री को उपाध्यक्ष बनाया गया है। इसी तरह कुल नौ पदेन सदस्य रखे गए हैं, जिनका नाम फिलहाल पहली सूची में शासन ने मुख्यमंत्री के अनुमोदन के लिए भेजा है। अभी मुख्यमंत्री दिल्ली विधानसभा चुनाव में व्यस्त हैं। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री की वापसी के बाद इस पर अनुमोदन दे दिया जाएगा।
सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने कहा एक्ट में पदेन सदस्यों का उल्लेख है। ऐसे में उन्हीं का नाम पहले चरण में भेजा जा रहा है। नामित सदस्यों पर सरकार ही निर्णय लेगी। उन्होंने कहा कि चार धाम विकास परिषद और बीकेटीसी के संबंध में बोर्ड ही निर्णय लेगा। यह भी पढ़ें: जेपी नड्डा से मिले उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहित, देवस्थानम एक्ट वापस लेने की मांग
उत्तर प्रदेश के एसीएस ने किया बोर्ड के सीइओ पद के लिए आवेदनचारधाम देवस्थानम बोर्ड के मुख्य अधिशासी अधिकारी पद के लिए उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव रेनुका कुमार ने भी आवेदन किया है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि यदि प्रदेश सरकार को कोई आपत्ति नहीं है तो वह सीइओ के रूप में कार्य करना चाहते हैं। अब उनका नाम कार्यकारी समिति के सामने रखा जाएगा। हालांकि, आइएएस सेवा में प्रतिनियुक्ति के लिए खासे सख्त नियम होते हैं। ऐसे में इन नियमों को देखने के बाद ही उनके नाम पर विचार होगा।
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