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एक दिन में 50 फीसद छात्रों को ही बुलाने की तैयारी, आठ फरवरी से खुलेंगे स्कूल; रोजाना होंगी थर्मल स्क्रीनिंग

उत्तराखंड में 10 माह बाद सोमवार (आठ फरवरी) से छठी से नौवीं और 11वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं के लिए स्कूल खुल जाएंगे। शासन से यह आदेश जारी होने के बाद निजी और सरकारी स्कूलों ने भी कक्षाओं के संचालन को लेकर तैयारी शुरू कर दी है।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sat, 06 Feb 2021 08:39 AM (IST)
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एक दिन में 50 फीसद छात्रों को ही बुलाने की तैयारी।
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में 10 माह बाद सोमवार (आठ फरवरी) से छठी से नौवीं और 11वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं के लिए स्कूल खुल जाएंगे। शासन से यह आदेश जारी होने के बाद निजी और सरकारी स्कूलों ने भी कक्षाओं के संचालन को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। स्कूलों का प्रयास है कि छात्रों के बीच उचित शारीरिक दूरी बनी रहे और उनके बीच कम से कम मिलना-जुलना हो। इसके लिए स्कूल प्रशासन फिलहाल रोजाना 50 फीसद छात्रों को ही बुलाने पर विचार कर रहे हैं। 

प्रदेश में कोरोना संक्रमण की चाल भले ही मंद पड़ गई हो, मगर अभिभावक अब भी व्यवस्थाओं से इतने आश्वस्त नहीं हैं कि चिंतामुक्त होकर बच्चों को स्कूल भेज पाएं। इसको देखते हुए स्कूल अपने स्तर पर बच्चों की सुरक्षा में कोई कमी नहीं रखना चाहते। स्कूलों ने छात्रों के प्रवेश से लेकर उनके कक्षा में बैठने, लंच ब्रेक और छुट्टी तक के लिए अपनी मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करना शुरू कर दिया है। स्कूलों में नियमित सैनिटाइजेशन और साफ-सफाई के लिए भी तैयारी पूरी है। स्कूलों ने छात्र-छात्राओं को स्कूल भेजने को लेकर अभिभावकों की राय जानने के लिए फोन कॉल और मैसेज के माध्यम से उनसे संपर्क साधना शुरू कर दिया है। 

सहमति पत्र देने पर ही प्रवेश

छात्र-छात्राओं को स्कूल भेजने को लेकर अभिभावकों को सहमति पत्र देना होगा। छात्र-छात्राओं को अभिभावकों के सहमति पत्र के बगैर स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। कई स्कूलों ने इसकी दो कॉपी लाने के लिए भी कहा है। इनमें से एक कॉपी स्कूल में जमा कर ली जाएगी। 

रोजाना होगी थर्मल स्क्रीनिंग

स्कूल के मुख्य द्वार पर रोजाना थर्मल स्क्रीनिंग और हाथ सैनिटाइज करने के बाद ही छात्रों को कक्षा में जाने दिया जाएगा। बिना फेस मास्क के भी छात्रों को एंट्री नहीं मिलेगी। अगर किसी छात्र का शारीरिक तापमान तय मानक से ज्यादा पाया जाता है तो उसके अभिभावकों को सूचित कर छात्र की कोरोना जांच कराने के लिए कहा जाएगा। स्कूलों ने छात्रों को अपना सैनिटाइजर और पानी की बोतल भी लाने के लिए कहा है। लंच ब्रेक में टिफिन साझा करने पर भी रोक रहेगी।

समिति रखेगी सुरक्षा का ध्यान

निजी स्कूलों ने सुबह प्रवेश से लेकर छुट्टी तक छात्रों की निगरानी के लिए कमेटियां गठित कर दी हैं। दून इंटरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य दिनेश बर्तवाल ने बताया कि छात्रों से प्रवेश के वक्त नियमों का पालन कराने, शारीरिक दूरी के नियम का पालन करवाने, अनुशासन बनाने, साफ-सफाई और छुट्टी के वक्त छात्रों की निगरानी के लिए अलग-अलग समिति गठित की गई है। स्कूल के बाहर भी छात्रों की भीड़ एकत्र न हो, इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा। गांधी इंटर कॉलेज समेत दूसरे सरकारी कॉलेजों में भी छात्रों की सुरक्षा की जिम्मेदारी शिक्षकों को दी गई है।

एक कक्षा में अधिकतम 14 छात्र

सरकार ने स्कूल खोलने के लिए जो निर्देश दिए हैं, उनमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि छात्रों के बीच उचित शारीरिक दूरी बनी रहे और उनके बीच मेलजोल कम से कम हो। इसके लिए स्कूलों ने हर कमरे में सीमित संख्या में छात्रों को बैठाना तय किया है। एक कक्षा में 12 से 14 छात्रों को ही बैठाया जाएगा। सिद्धार्थ पब्लिक स्कूल के चेयरमैन सुरेश डंडरियाल ने बताया कि दो बेंच के बीच दो फुट की दूरी रखी जाएगी और एक बेंच पर एक ही छात्र को बैठाया जाएगा। 

कुछ स्कूल फिलहाल नहीं खुलेंगे

कई स्कूल अभी भी छोटी कक्षाओं के छात्रों को स्कूल बुलाने के पक्ष में नहीं हैं। इसी क्रम में सेंट जोजफ्स स्कूल अगले सोमवार से केवल बोर्ड कक्षाओं के लिए खुलने जा रहा है। स्कूल में नौवीं और 11वीं की वार्षिक परीक्षाएं 15 फरवरी से शुरू होने जा रही हैं। अन्य कक्षाओं में फिलहाल ऑनलाइन पढ़ाई ही होगी। इन कक्षाओं की परीक्षा भी ऑनलाइन कराने पर विचार चल रहा है। 

केंद्रीय विद्यालयों में भी तैयारी पूरी

केंद्रीय विद्यालय संभाग की उपायुक्त मीनाक्षी जैन ने बताया कि शासन की एसओपी का अध्ययन किया जा रहा है। इसे हर स्कूल को भी भेज दिया गया है। हालांकि, हर केंद्रीय विद्यालय को स्थानीय परिस्थितियों, संसाधनों व छात्र संख्या के आधार पर अलग एसओपी तैयार करने के निर्देश दिए गए हैैं। अभिभावकों के सहमति पत्र के बाद छात्रों को स्कूल में मानकों के आधार पर पढ़ाया जाएगा। घर से पढऩे के इच्छुक छात्रों की पढ़ाई ऑनलाइन ही होगी।

ऑनलाइन पढ़ाई बंद कराने की पैरवी

अधिकांश स्कूलों के संचालक और शिक्षक अब ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखने के पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना है कि जब बाजार और सिनेमाघर खुल चुके हैं तो स्कूल में कक्षाओं के संचालन में क्या समस्या है। ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन पढ़ाई से शिक्षकों व छात्रों दोनों का समय खराब होगा। यह व्यवस्था कारगर भी साबित नहीं होगी। प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डीएस मान ने कहा, ऐसा नहीं है कि शिक्षक ऑनलाइन पढ़ा नहीं सकते, लेकिन इससे पढ़ाई का नुकसान बहुत हो रहा है। गांधी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य एके कौशिक ने कहा कि सत्र खत्म होने को है, लेकिन अब भी कई छात्र ऑनलाइन पढ़ाई से नहीं जुड़ पाए हैं। ऐसे में छात्रों को अनिवार्य रूप से स्कूल बुलाने का आदेश होना चाहिए।

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