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रायपुर में सचिवालय और विस भवन पर पिछली कांग्रेस सरकार ने लिया था फैसला

पिछली कांग्रेस सरकार ने ही 2013 में देहरादून के रायपुर में सचिवालय और विधानसभा भवन के निर्माण के लिए भी पहल की थी।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 05 Jul 2020 04:36 PM (IST)
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रायपुर में सचिवालय और विस भवन पर पिछली कांग्रेस सरकार ने लिया था फैसला
देहरादून, राज्य ब्यूरो। गैरसैंण में पहले कैबिनेट बैठक और फिर नए विधानभवन की नींव रखने वाली पिछली कांग्रेस सरकार ने ही 2013 में देहरादून के रायपुर में सचिवालय और विधानसभा भवन के निर्माण के लिए भी पहल की थी। तत्कालीन विधायी और संसदीय कार्यमंत्री इंदिरा हृदयेश ने इस मामले में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट और विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल से व्यक्तिगत मुलाकात कर सहमति ली थी। सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त यह जानकारी जाहिर कर रही है कि राजधानी को लेकर गैरसैंण से लेकर देहरादून तक कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासत के नाम पर नूरा कुश्ती होती रही है।

भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने सूचना के अधिकार के तहत रायपुर में सचिवालय और विधानसभा भवन निर्माण के संबंध में जानकारी प्राप्त की। इसमें 21 मई, 2013 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए फैसले का खुलासा किया गया है। इसमें रायपुर में विधानसभा व सचिवालय भवन के औचित्य का छह बिंदुओं में जिक्र किया गया है। इस फैसले के मुताबिक वर्तमान में राज्य विधानसभा भवन रिस्पना नदी के रिवर बेड पर होने की वजह से सुरक्षित नहीं है। उक्त के शहर के मध्य होने से सत्रावधि में यातायात व्यवस्था प्रभावित और बाधित होती है।

राज्य गठन के बाद विभिन्न समितियों और आयोगों के लिए स्थान की कमी होने से उनके लिए अवस्थापना सुविधाओं को वित्त विभाग के स्तर पर 150-200 करोड़ के प्रस्ताव का उल्लेख किया गया है। देहरादून में विभिन्न निदेशालय और विभागाध्यक्षों के कार्यालय, सरकारी भवन किराये पर चल रहे हैं। शहर के बीचोंबीच विधानसभा व सचिवालय भवन होने से कार्मिकों को आवागमन में अत्यधिक समय और धन की हानि उठानी पड़ रही है। रायपुर में उक्त दोनों भवन एक ही स्थान पर बनने से वर्तमान सचिवालय भवन का उपयोग निदेशालय और अन्य कार्यालयों के लिए किया जा सकेगा। इससे सरकार को किराए का खर्च नहीं उठाना होगा।

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भाकपा नेता इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि वर्ष 2013 में मंत्रिमंडल ने रायपुर में विधानसभा और सचिवालय को बनाने का फैसला ले लिया था। दोनों पार्टियों कांग्रेस और भाजपा की कार्यशैली यही रही है कि गैरसैंण का ढिंढोरा पीटकर गुपचुप तरीके से देहरादून के लिए काम किया जाए। उन्होंने गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित करने की मांग की। 

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