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प्राथमिक शिक्षकों ने बजाया असहयोग आंदोलन का बिगुल

प्राथमिक शिक्षक संघ ने असहयोग आंदोलन का बिगुल बजा दिया है। सोमवार को प्रदेशभर के शिक्षकों ने सामूहिक अवकाश लेकर परेड मैदान पर धरना दिया।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Tue, 22 May 2018 05:02 PM (IST)
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प्राथमिक शिक्षकों ने बजाया असहयोग आंदोलन का बिगुल

देहरादून, [जेएनएन]: विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों से जुड़े मुद्दे पर प्राथमिक शिक्षक संघ ने अब आर-पार की लड़ाई का एलान कर दिया है। सोमवार को प्रदेशभर के शिक्षकों ने सामूहिक अवकाश लेकर परेड  मैदान पर धरना दिया। जिससे अधिकतर स्कूलों में ताले लटके रहे। शिक्षकों ने अब असहयोग आंदोलन चलाने का निर्णय लिया है। इस दौरान वह शिक्षण के अलावा और कोई काम नहीं करेंगे। इसके अलावा जून में शिक्षा निदेशालय पर क्रमिक धरने का निर्णय भी लिया गया है। 

प्रांतीय अध्यक्ष निर्मला महर ने बताया कि तीन सितंबर 2001 के बाद नियुक्त बीएड, सीपीएड, डीपीएड, बीपीएड, मृतक आश्रित व उर्दू शिक्षकों को शासनादेश व विभागीय निर्देशों पर संबंधित जनपदों के जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान की ओर से विशिष्ट बीटीसी का प्रशिक्षण दिया गया था। लेकिन, जिन सरकारी संस्थानों से शिक्षकों ने प्रशिक्षण लिया, उन्हें एनसीटीई की मान्यता नहीं थी। जिस कारण ऐसे लगभग 16 हजार प्रभावित शिक्षकों को एनआइओएस से डीएलएड करने के लिए बाध्य किया जा रहा है। जबकि, डायट संस्थानों को मान्यता दिलाने का दायित्व सरकार और विभाग का था। 

इतना ही नहीं इस श्रेणी के अधिकांश शिक्षक पदोन्नति प्राप्त कर चुके हैं या प्रोन्नत वेतनमान प्राप्त कर रहे हैं। अब अगर उन्हें अप्रशिक्षित माना जाएगा तो भविष्य में वरिष्ठता वेतन निर्धारण जैसी विभिन्न प्रकार की विसंगतिया विभाग के सामने खड़ी होंगी। इसी को देखते हुए शिक्षक संघ निरंतर शासन व विभाग का ध्यान इस ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रहा है।

प्रांतीय महामंत्री दिग्विजय सिंह चौहान ने कहा कि संघ ने बीते वर्ष अक्टूबर में प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय पर एक दिवसीय धरना दिया था। इसके बाद 22 नवंबर से पांच दिसंबर तक निदेशालय परिसर में जनपदवार धरना प्रदर्शन किया गया। जिसके चलते शिक्षा मंत्री ने धरना स्थल पर शिक्षकों को सकरात्मक कार्रवाई का आश्वासन भी दिया। लेकिन, अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। सरकार के इस रवैये से अब शिक्षकों में भय है। 

उन्होंने बताया कि हिमाचल सरकार की ओर से इसी श्रेणी के शिक्षकों को एक निर्णय के माध्यम से मुक्त कर दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार 31 मार्च 2019 से पहले इस समस्या का ठोस हल निकाले। संयुक्त मोर्चा के संयोजक ठाकुर प्रहलाद सिंह ने भी आंदोलन का समर्थन करते कहा कि सभी शिक्षक कर्मचारी एक साथ हैं। 

इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि शिक्षकों की अनसुनी करने वाले सांसदों को 2019 में घर भेजना होगा। फिर 2022 में इन सभी विधायकों को भी। धरने में प्रेम सिंह गुसाईं, आभा गौड़, मगनानंद भट्ट, गोविंद वोरा, वीरेंद्र कृषाली, विनोद उनियाल, प्रेम सिंह, विक्रम सिंह, इंद्रपाल सिंह धपोला, चंद्रवीर सिंह नेगी, डॉ कमल भाटिया, हुकुम सिंह नयाल, हरेश धनाई, दिलबर सिंह नेगी, नितेंद्र गिल, गुलाब सिरोही, दीपक आदि शामिल रहे।

सीएम के नाम दिया ज्ञापन

धरने के बाद संघ पदाधिकारियों की शिक्षा सचिव के साथ वार्ता हुई। जिसके माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया है। सचिव शिक्षा ने कहा कि शिक्षकों का इस प्रकरण में कोई दोष नहीं है। शासन स्तर पर इस प्रकरण पर समयानुसार कार्रवाई नहीं हुई, जिससे आज यह स्थिति पैदा हुई। उन्होंने सकारात्मक समाधान का आश्वासन दिया। 

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