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दून मेडिकल कॉलेज में उत्तराखंड के मरीजों को प्राथमिकता, उठाएंगे ये कदम

यूपी व हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों के मरीजों को दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में अब आपात स्थिति व बेड की उपलब्धता के अनुसार ही भर्ती किया जाएगा।

By BhanuEdited By: Updated: Fri, 16 Nov 2018 09:44 AM (IST)
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दून मेडिकल कॉलेज में उत्तराखंड के मरीजों को प्राथमिकता, उठाएंगे ये कदम
देहरादून, जेएनएन। यूपी व हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों के मरीजों को दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में अब आपात स्थिति व बेड की उपलब्धता के अनुसार ही भर्ती किया जाएगा। स्वास्थ्य सचिव नितेश झा ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सामान्य स्थिति में इन मरीजों को यथोचित स्थान के लिए रेफर कर दिया जाए। उत्तराखंड के मरीजों को प्राथमिकता के आधार पर भर्ती किया जाए। 

स्वास्थ्य सचिव ने अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने निर्देश दिए कि मरीज बेड की उपलब्धता के अनुसार ही भर्ती किए जाएं। बेड न होने पर बरामदा या गैलरी में किसी भी दशा में मरीज का न रखा जाए। ऐसे मरीजों को 108 एंबुलेंस की मदद से निकटवर्ती अस्पताल में भेजा जाए। इसके लिए मेडिकल कॉलेज में 24 घटे पर्याप्त संख्या में 108 एंबुलेंस तैनात रहेंगी। 

बैठक में अपर सचिव युगल किशोर पंत, स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. टीसी पंत, चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना, स्वास्थ्य निदेशक डॉ. अमिता उप्रेती, निदेशक एनएचएम डॉ. अंजली नौटियाल, दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा, महिला विंग की अधीक्षक डॉ. मीनाक्षी जोशी, महिला एवं प्रसूति रोग की विभागाध्यक्ष डॉ. चित्रा जोशी, डॉ. केसी पंत, स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. अर्चना श्रीवास्तव आदि उपस्थित है। 

मरीज के साथ एक ही तीमारदार अस्पताल में 

अब मरीज के साथ एक ही तीमारदार निर्धारित समय अवधि में रह पाएगा। उन्हें चिकित्सालय द्वारा पास जारी किया जाएगा। चिकित्सालय के सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से अराजक तत्वों की पहचान कर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। 

चिकित्सा अधीक्षक को मिले वित्तीय-प्रशासनिक अधिकार दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं पर शासन ने चिंता जताई है। स्वास्थ्य सचिव ने व्यवस्थाओं में सुधार एवं त्वरित कार्रवाई के लिए चिकित्सा अधीक्षक को वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार दिए जाने के निर्देश दिए हैं। 

चिकित्सा अधीक्षक तीन सदस्यों की समिति के परामर्श अनुसार चिकित्सालय के दैनिक एवं प्रशासनिक कार्यो को त्वरित स्तर पर निस्तारित करेंगे। समिति में चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा के अलावा डॉ. केसी पंत व डॉ. मीनाक्षी जोशी शामिल रहेंगे। 

यह समिति एनएचएम से संबंधित गतिविधियों, चिकित्सकों एवं स्टाफ के अवकाश, ड्यूटी लगाने आदि का कार्य भी करेगी। स्वास्थ्य विभाग के सभी कार्मिक होंगे रिलीव दून मेडिकल कॉलेज में तैनात स्वास्थ्य विभाग के कार्मिकों को अब अपने मूल विभाग में सेवा देनी होगी। 

स्वास्थ्य सचिव नितेश झा ने इस बावत निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि दून अस्पताल व दून महिला अस्पताल में तैनात स्वास्थ्य विभाग के सभी कार्मिकों को तुरंत उनके मूल विभाग के लिए कार्य मुक्त किया जाए। रिक्त पदों के लिए नई नियुक्तियों की प्रक्रिया भी अविलंब शुरू की जाए। नई नियुक्तियां होने तक चिकित्सालय में 24 घंटे सेवाएं देने के लिए आउटसोर्स पर आवश्यक मानव संसाधन की व्यवस्था की जाए। 

कार्मिकों की व्यवस्था होने तक पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी व अन्य डायग्नोस्टिक सेवाओं के लिए प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटरों से अनुबंध करने के निर्देश भी उन्होंने दिए हैं। इन कार्यो के लिए एनएचएम की दरों पर विशेषज्ञों की तैनाती करने को भी कहा है। अस्पताल में अपराह्न दो बजे के बाद सभी आवश्यक सेवाओं के लिए भी चिकित्सकों की तैनाती सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने कहा है। 

भर्ती मरीजों को ड्रेस, स्टाफ यूनिफॉर्म में स्वास्थ्य सचिव ने दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित 25 बेड का आइसीयू जल्द स्थापित करने के निर्देश मेडिकल कॉलेज प्रशासन को दिए हैं। साथ ही अस्पताल में भर्ती सभी मरीजों को यूनिफॉर्म/ड्रेस उपलब्ध कराने को भी कहा है। 

उन्होंने कहा कि अस्पताल में तैनात चिकित्सकों व अन्य स्टाफ को भी डयूटी के दौरान यूनिफॉर्म में रहना होगा। निजी अस्पताल होंगे सूचीबद्ध जनपद देहरादून के सभी निजी चिकित्सालय जहा प्रसव की सुविधा है, उन्हें आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना के के तहत सूचीबद्ध किया जाएगा।

स्वास्थ्य सचिव ने महानिदेशक डॉ. टीसी पंत को इस बावत निर्देश दिए हैं। ताकि अत्याधिक दवाब की स्थिति में दून मेडिकल कॉलेज से मरीज यहा भेजे जा सकें। उन्होंने सभी कार्मिकों को मरीजों की सेवा के लिए 24 घंटे तत्पर रहने के निर्देश भी दिए हैं।

दून महिला अस्पताल की टटोली नब्ज

दून महिला अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं पर स्वास्थ्य सचिव नितेश झा ने अस्पताल का निरीक्षण किया। उन्होंने चिकित्सकों के साथ ही अन्य स्टाफ को भी मरीज व तीमारदारों से अच्छा व्यवहार करने की नसीहत दी। स्वास्थ्य सचिव ने दावा किया कि अस्पताल की व्यवस्थाओं में जल्द सुधार दिखेगा। दून महिला अस्पताल में इलाज में लापरवाही की एक के बाद हो रही घटनाओं ने सरकार व शासन की चौतरफा फजीहत कराई है। अस्पताल प्रशासन अत्यधिक दबाव और कम संसाधन का रोना रो रहा है। 

स्वास्थ्य सचिव चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना, स्वास्थ्य निदेशक डॉ. अमिता उप्रेती और स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. अर्चना श्रीवास्तव के साथ अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने ओपीडी, अल्ट्रासाउंड कक्ष, गेट, लेबर रूम, एएनसी, पीएनसी, निक्कू वार्ड आदि का निरीक्षण किया।

दून अस्पताल चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा और स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. चित्रा जोशी से अस्पताल की व्यवस्थाओं की जानकारी ली। जिन्होंने मरीजों के अत्यधिक दबाव, कम बेड के साथ डॉक्टरों और स्टाफ कम संख्या में होने की बात बताई। जिस पर सचिव ने व्यवस्थाओं में जल्द सुधार का आश्वासन दिया। 

उन्होंने कहा कि अस्पताल आने वाले मरीज और तीमारदार से डॉक्टर और स्टाफ विनम्रता से पेश आएं। ओपीडी-ओटी ब्लॉक के निर्माण में देरी पर नाराजगी अस्पताल के निरीक्षण के दौरान स्वास्थ्य सचिव ने ओटी व ओपीडी ब्लॉक के निर्माण में देरी पर भी नाराजगी जताई। 

उन्होंने कहा कि जब विभिन्न निर्माण कार्यो के लिए शासन से 60, 65 और 90 प्रतिशत तक भुगतान कर दिया गया है, तो निर्माण में देरी क्यों की जा रही है। उन्होंने इसके निर्माण में तेजी लाने के निर्देश दिए। 

प्राचार्य छुट्टी पर 

शौचालय में प्रसव के बाद नवजात की मौत के बाद मचे बवाल के बीच राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रदीप भारती गुप्ता छुट्टी चले गए है। बताया गया है कि वह मेडिकल लीव पर गए हैं। इस संबंध में उनसे बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

स्वास्थ्य सचिव, डीएम-एसएसपी को नोटिस

करीब दो माह पूर्व दून महिला अस्पताल में एक प्रसूता के फर्श पर बच्चे को जन्म देने और उसके बाद महिला व नवजात की मौत का संज्ञान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिया है। आयोग ने इस प्रकरण में की गई शिकायत पर त्वरित कदम उठाते हुए स्वास्थ्य सचिव, जिलाधिकारी व एसएसपी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। जवाब देने के लिए आयोग ने चार सप्ताह का समय दिया है। इसके अलावा उत्तराखंड राज्य मानवाधिकार आयोग के सचिव से भी रिपोर्ट मांगी है। 

दून महिला अस्पताल में 20 सितंबर को मसूरी निवासी महिला ने अस्पताल में बेड नहीं मिलने से फर्श पर बच्चे को जन्म दिया था। प्रसव के बाद प्रसूता को तत्काल समुचित इलाज नहीं मिलने की वजह से प्रसूता और नवजात दोनों की मौत हो गई थी। इसके बाद अस्पताल में खूब हंगामा हुआ था। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा था। अब इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वास्थ्य सचिव के अलावा जिलाधिकारी और एसएसपी को नोटिस जारी कर दिया है। 

आयोग ने घटना पर दुख जताते हुए तमाम अफसरों से चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट तलब की है। उत्तराखंड राज्य मानवाधिकार आयोग से सचिव से भी पूछा है कि उन्होंने अपने स्तर पर क्या कार्रवाई की गई। 

बता दें कि समाजसेवी भूपेंद्र कुमार ने इस प्रकरण से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को अवगत कराया था, जिस पर आयोग ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए आला अफसरों से रिपोर्ट तलब की है। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के अफसरों में हड़कंप की स्थिति है।

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