Move to Jagran APP

आयुर्वेद विवि से संबंध निजी कॉलेजों को नहीं नियमों की परवाह, पढ़िए पूरी खबर

आयुर्वेद विश्वविद्यालय से संबद्ध राज्य के निजी कॉलेज अपनी सामांतर व्यवस्था चला रहे हैं। हद देखिए कि उन्हें न किसी नियम की परवाह है और न किसी का डर।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Thu, 18 Apr 2019 06:05 PM (IST)
Hero Image
आयुर्वेद विवि से संबंध निजी कॉलेजों को नहीं नियमों की परवाह, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय से संबद्ध राज्य के निजी कॉलेज अपनी सामांतर व्यवस्था चला रहे हैं। हद देखिए कि उन्हें न किसी नियम की परवाह है और न किसी का डर। इन कॉलेजों ने विवि के केंद्रीयकृत काउंसलिंग से अलग, अपने स्तर पर छात्र-छात्रओं को दाखिला दे दिया है। जिस कारण इन छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। 

आयुष कॉलेजों के यूजी पाठ्यक्रम में दाखिला नीट के माध्यम से किया जाता है। इसके अलावा पीजी में प्रवेश ऑल इंडिया आयुष पोस्ट ग्रेजुएट एंट्रेंस टेस्ट (एआइएपीजीईटी) के द्वारा होते हैं। जिसके लिए आयुर्वेद विश्वविद्यालय केंद्रीयकृत काउंसलिंग आयोजित करता है। पर निजी कॉलेजों ने इससे अलग भी दाखिले कर लिए हैं। विवि प्रशासन के अनुसार काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल किए छात्र-छात्रओं को ही विश्वविद्यालय द्वारा पंजीकृत माना जाएगा। 

निजी कॉलेजों का तर्क यह कि सीट रिक्त रहने की स्थिति में प्रवेश दिए गए हैं। इसे लेकर वह कोर्ट की शरण में भी हैं। यानी छात्र-छात्रओं का भविष्य कोर्ट के फैसले पर टिका है। यदि फैसला विपरित आया तो यह सभी बिना काउंसलिंग के हुए ऐडमिशन अमान्य हो जाएंगे। 

सिनॉप्सिस नहीं कर पा रहे जमा

निजी आयुर्वेद कॉलेजों में एमडी पाठ्यक्रम में ऐडमिशन लिए छात्र मुसीबत में हैं। शोध प्रबंध की प्रीसिनोप्सिस जमा करने आए छात्रों को इस बात का पता तब लगा जब उनकी सिनॉप्सिस को विश्वविद्यालय ने अपने यहां पंजीकृत न होने के कारण अमान्य कर दिया। इन छात्रों का कहना है कॉलेज प्रबंधन ने उन्हें एडमिशन दिया है जबकि विश्वविद्यालय उन्हें अपने यहां पंजीकृत छात्र मानने को तैयार नहीं। 

फीस वापसी के आदेश भी बेमानी 

प्रदेश के निजी आयुर्वेदिक कॉलेज सरकार से भी बड़े हो गए हैं। यहां तक की वह कोर्ट तक का आदेश नहीं मान रहे। बता दें, 2015 में बीएएमएस की फीस 80,500 से बढ़ाकर दो लाख पंद्रह हजार और बीएचएमएस की 73,600 से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दी गई थी। इसके विरोध में छात्र हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने गत वर्ष कॉलेजों को बढ़ी हुई फीस लौटाने का आदेश जारी किया। सरकार ने भी विवि को इस आदेश को लागू कराने के लिए आदेश किया। इसके बाद विवि ने कॉलेजों को कोर्ट का फैसला लागू करने को पत्र लिखा, पर कॉलेज इसका पालन नहीं कर रहे हैं। 

आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार का कहना है कि काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल छात्र-छात्रओं को ही विश्वविद्यालय द्वारा पंजीकृत माना जाता है। यही नियम भी है। मामला कोर्ट में विचाराधीन है और जैसे भी आदेश मिलेगा उस मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। फीस संबंधी आदेश के अनुपालन को भी कॉलेजों को कहा गया है। 

यह भी पढेें: यहां उपनल कर्मी को सौंप दी पीएचडी समन्वयक की जिम्मेदारी, जानिए

यह भी पढ़ें: अब तक नहीं मिल पाई छात्रवृत्ति, दर-दर भटक रहे छात्र

यह भी पढें: एक लाख 21 हजार 192 बच्चों ने लिया सरकारी स्कूलों में दाखिला

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।