उत्तराखंड में निजी चिकित्सकों ने सरकार के खिलाफ फिर तानी मुट्ठियां
निजी चिकित्सक एक बार फिर से मुखर हो गए हैं। वे लगातार क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की जगह हेल्थकेयर एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू करने की मांग कर रहे हैं।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Fri, 01 Feb 2019 07:18 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। निजी चिकित्सकों ने एकबार फिर से मुट्ठियां तान ली हैं। चिकित्सकों की मांग है कि उत्तराखंड में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की जगह हेल्थकेयर एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू किया जाए। चिकित्सकों का कहना है कि वे राज्य सरकार के बार-बार के आश्वासनों से अब आजिज आ चुके हैं। खुद सीएम ने कहा कि एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा। पर इस पर अमल नहीं हुआ। ऐसे में सिवाय आंदोलन के अब कोई चारा नहीं बचा है।
आइएमए के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. बीएस जज और महासचिव डॉ. डीडी चौधरी का कहना है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से वार्ता के बाद उनके निर्देश पर ही क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की जगह उत्तराखंड हेल्थकेयर एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का मसौदा तैयार किया गया था। स्वास्थ्य सचिव नितेश कुमार झा ने इसमें कुछ संशोधन की जरूरत बताई थी। जिसके बाद यह मसौदा उन्हें सौंप दिया गया था, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। गत वर्ष दिसम्बर माह में चिकित्सकों ने इसे लेकर आंदोलन किया था। जिसके बाद मुख्यमंत्री ने उन्हें वार्ता के लिए बुलाया। यह भरोसा दिलाया था कि नए साल पर होने वाली पहली कैबिनेट बैठक में एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव लाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में अब डॉक्टर खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। उनके सामने आंदोलन के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने बताया कि जल्द प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक आहूत कर आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा।
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