स्टाइपेंड पर ठगा महसूस कर रहे निजी मेडिकल कालेज के इंटर्न, पढ़िए पूरी खबर
स्टाइपेंड में बढ़ोतरी के राज्य सरकार के हालिया आदेश से निजी मेडिकल कालेजों के इंटर्न ठगा महसूस कर रहे हैं। कारण ये कि स्टाइपेंड बढ़ोतरी का यह आदेश केवल राजकीय मेडिकल कालेजों के लिए है। निजी मेडिकल कालेजों के इंटर्न को अब भी वही पुराना स्टाइपेंड मिल रहा है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 11 Aug 2021 07:26 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून। स्टाइपेंड में बढ़ोतरी के राज्य सरकार के हालिया आदेश से निजी मेडिकल कालेजों के इंटर्न ठगा महसूस कर रहे हैं। कारण ये कि स्टाइपेंड बढ़ोतरी का यह आदेश केवल राजकीय मेडिकल कालेजों के लिए है। निजी मेडिकल कालेजों के इंटर्न को अब भी वही पुराना स्टाइपेंड मिल रहा है। जिससे नाराज श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज के इंटर्न ने बुधवार को काली पट्टी बांधकर काम किया।
आइएमए जूनियर डाक्टर नेटवर्क के प्रांतीय अध्यक्ष शलभ कुड़ियाल ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल में एक ट्वीट किया था कि राज्य में इंटर्न चिकित्सकों का स्टाइपेंड में बढ़ोतरी की गई है। जिससे निजी मेडिकल कालेजों के इंटर्न को भी यह उम्मीद जगी थी कि उन्हें अब सम्मानजनक स्टाइपेंड मिलेगा। पर अब जब इसका शासनादेश हुआ तो उसमें केवल राजकीय मेडिकल कालेजों का ही उल्लेख है। निजी मेडिकल कालेजों में अब भी 4975 रुपये प्रतिमाह स्टाइपेंड मिल रहा है। यह दिन का महज 160 रुपये बैठता है।
यह किसी मजदूर की दिहाड़ी से भी कम है, जबकि निजी मेडिकल कालेज में एक छात्र कई लाख रुपये देकर एमबीबीएस करता है। शलभ ने कहा कि राजकीय व निजी मेडिकल कालेजों के बीच यह असमानता इंटर्न चिकित्सकों का मनोबल तोड़ने वाली है। क्योंकि कोरोना संकट के बीच उन्होंने दिन-रात शिद्दत से ड्यूटी की है। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच निजी मेडिकल कालेजों के इंटर्न से यह भेदभाव सही नहीं है। एक राज्य-एक स्टाइपेंड की मांग उन्होंने मुख्यमंत्री से की है।
आइएमए की सेंट्रल वर्किंग कमेटी के सदस्य डा. डीडी चौधरी का कहना है कि सरकार के आदेश से राजकीय व निजी मेडिकल कालेजों के स्टाइपेंड में भारी अंतर पैदा हो गया है, जबकि नियमानुसार स्टाइपेंड एक समान होना चाहिए। कोई भी छात्र कड़ी मेहनत से एमबीबीएस करता है। उस पर इन सभी इंटर्न ने कोरोनाकाल में बेहतरीन काम किया है। ऐसे में सरकार को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि किसी के साथ अन्याय न हो। डा. चौधरी ने इस संदर्भ में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव व नेशनल मेडिकल कमीशन को पत्र भी भेजा है।
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