प्राइवेट छात्र-छात्राओं को बड़ी राहत, प्रधानाचार्य के हस्ताक्षर के बिना भी दे सकेंगे परीक्षा
सीबीएसई ने बोर्ड परीक्षा दे रहे प्राइवेट छात्र-छात्राओं को बड़ी राहत दी है। प्रवेश पत्र पर प्रधानाचार्य के हस्ताक्षर के बिना परीक्षा में बैठने की अनुमति देने के निर्देश दिए हैं।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Fri, 21 Feb 2020 06:13 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) ने बोर्ड परीक्षा दे रहे प्राइवेट छात्र-छात्राओं को बड़ी राहत दी है। सीबीएसई ने सर्कुलर जारी कर सीबीएसई ने केंद्र अधीक्षकों को निर्देश दिया कि वे सभी प्राइवेट छात्रों को परीक्षा में शामिल होने के लिए प्रवेश पत्र पर प्रधानाचार्य के हस्ताक्षर के बिना भी अनुमति दें। हालांकि प्रवेश पत्र पर छात्र और अभिभावक दोनों के हस्ताक्षर अनिवार्य हैं।
सीबीएसई बोर्ड के तहत 10वीं और 12वीं की परीक्षा दे रहे प्राइवेट छात्र-छात्राओं की अड़चन कम करने के लिए सीबीएसई ने प्रवेश पत्र पर प्रधानाचार्य के हस्ताक्षर की अनिवार्यता खत्म कर दी है। इसके अलावा बोर्ड में शामिल होने जा रहे छात्रों को प्री-बोर्ड परीक्षा के अंकों के आधार पर नहीं रोकने पर भी बोर्ड ने अपना रूख साफ किया है। बता दें कि सीबीएसई 10वीं और 12वीं बोर्ड की वार्षिक परीक्षाएं 15 फरवरी से शुरू हो चुकी हैं। फिलहाल वैकल्पिक व अतिरिक्त विषयों की परीक्षाएं चल रही हैं।
एमए को मान्यता नहीं दी तो आंदोलन करेंगे छात्र
प्रदेश में एलटी पदों पर होने जा रही भर्ती शुरू होने से पहले ही विवाद शुरू हो गए हैं। कला वर्ग के छात्रों ने भर्ती नियमावली पर सवाल खड़े किए हैं। छात्रों का कहना है विभाग ने कला विषय की भर्ती के लिए बीएड अनिवार्य कर दिया है। जिससे एमए की अहमियत खत्म हो जाएगी और एमए और एमएफए किए हुए हजारों छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेंगे।
गुरुवार को कला संघ के अध्यक्ष गजेंद्र नाथ के नेतृत्व में प्रदेशभर से जुटे छात्रों ने शिक्षा निदेशालय में धरना प्रदर्शन किया। छात्रों ने सुबह से दोपहर तक शिक्षा निदेशालय परिसर में धरना देने के बाद दोपहर में शिक्षा निदेशक आरके कुंवर को ज्ञापन सौंपा। गजेंद्र नाथ ने बताया कि कला विषय पर एलटी पदों की भर्ती के लिए शुरू से ही स्नातक के साथ कला विषय में एमए या मास्टर ऑफ फाइन आर्ट के आधार पर अभ्यर्थियों का चयन होता आया है, लेकिन इस बार होने जा रही भर्ती में विभाग ने बीए के साथ बीएड अनिवार्य कर दिया है। इससे एमए की अहमियत खत्म हो गई है। संघ के प्रवीण भंडारी ने बताया कि बैचलर ऑफ फाइन आर्ट के साथ तो बीएड के लिए एनसीटीई तक ने कोई गाइडलाइन नहीं दी है। ऐसे में बीएफए के छात्र एमएफए करके ही स्कूलों में चयनित होते आए हैं।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड बोर्ड परीक्षाः प्रयोगात्मक परीक्षा छूटी तो दोबारा नहीं मिलेगा मौकाछात्रों का कहना है कि बीएड के छात्रों को भर्ती में शामिल किए जाने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन एमए और एमएफए किए हुए छात्रों को भी आवेदन का मौका मिलना चाहिए। छात्रों ने मांगे पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने कहा कि छात्रों की समस्या शासन स्तर पर उठाई जा चुकी है। शासन से नियमावली पर जो भी फैसला आएगा उसे लागू किया जाएगा। प्रदर्शन करने वालों में संघ के महासचिव अजय पंवार, उपाध्यक्ष सुमित राणा, प्रकाश सिंह, प्रवीन भंडारी, विद्या पंत, प्रदीप सिंह, अपर्णा हटवाल, प्रमोद, मंजू, गौरव नौटियाल समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
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