उत्तराखंड में कहर बरपाने के बाद अब नेचुरल डेथ की तरफ बढ़ रहा डेंगू मच्छर
मौसम के आगे डेंगू की एक नहीं चलने वाली है। गिरते तापमान को देखते हुए डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू का मच्छर अब नेचुरल डेथ की तरफ बढ़ रहा है।
By Edited By: Updated: Mon, 30 Sep 2019 07:46 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। डेंगू के खात्मे को लेकर भले ही सिस्टम के तमाम प्रयास फेल हो रहे हैं, पर मौसम के आगे डेंगू की एक नहीं चलने वाली है। जिस तरह दिन-ब-दिन मौसम सर्द हो रहा है, उससे लोगों को डेंगू से राहत मिलने की उम्मीद है। डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू का मच्छर अब 'नेचुरल डेथ' की तरफ बढ़ रहा है।
इस वक्त प्रदेशभर में डेंगू का प्रकोप है। खासतौर पर पिछले तीन माह से राजधानी दून में डेंगू का मच्छर जमकर कहर बरपा रहा है। रोजाना बड़ी संख्या में डेंगू के मरीज सामने आ रहे हैं। मच्छर के आगे सरकारी तंत्र भी बौना साबित हो रहा है। स्थिति यह है कि अकेले दून में अब तक 3417 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। जबकि छह लोगों की मौत हो चुकी है। अब मौसम करवट बदल रहा है। जानकार यह मानते हैं कि अगले कुछ दिन में डेंगू से राहत मिल जाएगी। वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. केपी जोशी के अनुसार बारिश से तापमान में गिरावट आ गई है। अगले कुछ दिनों में ठंडक और बढ़ जाएगी। जैसे-जैसे तापमान कम होता जाएगा डेंगू का मच्छर निष्क्रिय हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि ये मच्छर 15-16 डिग्री से कम तापमान में पैदा नहीं हो पाते हैं। मौसम परिवर्तन व ठंड बढ़ने से मच्छर की मारक क्षमता भी कम हो गई है। अब मरीजों में बहुत गंभीर लक्षण नहीं दिख रहे हैं। ऐसे लुढ़का पारा
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डेंगू के इलाज में प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए लोग बकरी का कच्चा दूध पी रहे हैं। अभी तक यह बात साबित नहीं हुई है कि यह डेंगू से लड़ने में कितना कारगर है, लेकिन उससे नुकसान होने की आशका जरूर है। डॉ. जोशी के अनुसार बकरी के दूध के कारण बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है, जो डेंगू के वायरस से अधिक खतरनाक है। उनका कहना है कि डेंगू के रोगी अनावश्यक रूप से घरेलू नुस्खे न आजमाएं। कच्चा दूध पीना, पपीते के पत्ते चबाना और ऐसी तमाम चीजें उन्हें मुश्किल में डाल सकती हैं।
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