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हड़ताल होते ही छह घंटे में जारी हुई एक साल से लटकी पदोन्नति सूची

एजुकेशनल मिनिस्टीरियल कर्मचारी हड़ताल पर गए तो शिक्षा विभाग ने जो पदोन्नति सूची पिछले सालभर से अटका रखी थी वह हड़ताल होते ही छह घटे में जारी कर दी।

By BhanuEdited By: Updated: Wed, 03 Jul 2019 09:31 AM (IST)
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हड़ताल होते ही छह घंटे में जारी हुई एक साल से लटकी पदोन्नति सूची
देहरादून, जेएनएन। पदोन्नति न होने से नाराज एजुकेशनल मिनिस्टीरियल कर्मचारी हड़ताल पर गए तो शिक्षा विभाग ने जो पदोन्नति सूची पिछले सालभर से अटका रखी थी, वह हड़ताल होते ही छह घटे में जारी कर दी।

अपर निदेशक-बेसिक वीएस रावत ने वरिष्ठ सहायक से प्रधान सहायक पद पर 168 कर्मियों के पदोन्नति आदेश कर दिए। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी से मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पद पर पदोन्नति सूची भी जल्द जारी हो सकती है। 

मंगलवार को एजुकेशनल मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की प्रातीय व गढ़वाल मंडल कार्यकारिणी के सदस्यों ने ननूरखेड़ा स्थित शिक्षा निदेशालय में धरना देकर अपना विरोध दर्ज कराया। प्रातीय अध्यक्ष रघुबीर सिंह बिष्ट ने कहा कि वह लंबे समय से पदोन्नति की माग कर रहे हैं। अधिकारी हर बार उन्हें आश्वासन देकर टाल देते हैं। 

मिनिस्ट्रीयल कर्मियों की हड़ताल से करीब पांच घटे तक शिक्षा विभाग में कामकाज ठप रहा। बात बिगड़ते देख अधिकारियों ने शाम को सरकार से अनुमति लेकर शाम को आननफानन में पहली प्रमोशन लिस्ट जारी कर दी। एसोसिएशन ने फैसले पर खुशी तो जताई, लेकिन यह भी कहा कि हड़ताल जारी रहेगी। 

एसोसिएशन के अध्यक्ष रघुवीर सिंह बिष्ट और महामंत्री वीरेंद्र सिंह गुसाई ने कहा कि दूसरी प्रमोशन लिस्ट जारी होने के बाद ही हड़ताल वापसी पर निर्णय लिए जाएगा। धरना प्रदर्शन करने वालों में प्रातीय सचिव वीरेंद्र गुसाई, मंडलीय अध्यक्ष मुकेश बहुगुणा, सचिव सीताराम पोखरियाल, जिलाध्यक्ष आशुतोष सेमवाल, सचिव प्रवीण कुमार, संजय भास्कर, विनोद पयाल, आशुतोष गोस्वामी, संजय लिंगवाल, टेकचंद कुमार समेत अन्य मौजूद रहे। 

पदोन्नति के साथ पोस्टिंग भी 

अपर निदेशक बेसिक वीएस रावत के अनुसार, पदोन्नति के साथ ही कर्मचारियों की पोस्टिंग भी कर दी गई है। नई पोस्टिंग पर न जाने वालों को अगले एक भर्ती वर्ष तक पदोन्नति नहीं मिलेगी। 

पटवारी और संग्रह अमीन आमने-सामने

नायब तहसीलदार पद पर पदोन्नति को लेकर पटवारियों और संग्रह अमीनों ने एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है। संग्रह अमीनों को तहसीलदार के पद पर पदोन्नति देने के मंत्रिमंडल के निर्णय के बाद सोमवार को पर्वतीय राजस्व निरीक्षक, उपनिरीक्षक एवं राजस्व संघ ने इसका विरोध कर आंदोलन की चेतावनी दे डाली। वहीं संग्रह अमीन संघ भी पटवारियों के खिलाफ खुलकर आ गया है। 

संघ ने पटवारियों पर संग्रह अमीनों के बारे में भ्रामक जानकारी देने का आरोप लगाते हुए कहा कि पटवारियों की ओर से सरकारी भूमि को खुर्द-बुर्द कर अवैध कब्जे कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पटवारियों की ओर से आय से अधिक की संपत्ति भी अर्जित की गई है। इसकी शिकायत शासन से की जाएगी। साथ ही उन्होंने गलत बयानबाजी के लिए कोर्ट में मानहानि का दावा करने का निर्णय लिया है। 

दरअसल, मंत्रिमंडल ने संग्रह अमीनों और कलक्ट्रेट मिनिस्टीरियल क र्मचारियों को नायब तहसीलदार के पद पर पदोन्नति दिए जाने का निर्णय लिया है। जिसका पर्वतीय राजस्व निरीक्षक, उपनिरीक्षक एवं राजस्व सेवक संघ विरोध कर रहा है। उन्होंने इस पद पर संग्रह अमीनों और कलक्ट्रेट मिनिस्टीरियल कर्मचारियों की दावेदारी को अव्यवहारिक बताते हुए सरकार से सही निर्णय लेने की मांग की है। 

उनका कहना है कि संग्रह अमीन सीधी भर्ती के बजाय अनुकंपा पर नियमित हुए हैं। अप्रशिक्षित होने के कारण उन्हें नायब तहसीलदार पद पर पदोन्नति नहीं दी जा सकती है। पटवारियों के इस बयान के बाद राजस्व संग्रह अमीन संघ ने भी बैठक कर पटवारियों पर भ्रामक प्रचार करने का आरोप लगाया। संघ का कहना है कि नायब तहसीलदार के पद पर संग्रह अमीनों की पदोन्नति 1944 से लेकर 2009 तक होती आ रही है। राजस्व संग्रह राजस्व विभाग का मुख्य कार्य है। जिसको अमीन पूरी ईमानदारी से कर रहे हैं। गत वर्ष राज्य में संग्रह अमीनों ने दो अरब 20 करोड़ की राजस्व वसूली की है। 

संघ के प्रांतीय अध्यक्ष विनोद कुमार ने कहा कि अब संघ भी चुप नहीं बैठेगा। पटवारियों की ओर से सरकारी जमीनों को खुर्द-बुर्द करने के साथ ही आय से अधिक संपत्ति की शिकायत शासन से की जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने समाचार पत्रों में भ्रामक जानकारी व टिप्पणी के लिए पर्वतीय राजस्व निरीक्षक, उपनिरीक्षक एवं राजस्व सेवक संघ प्रांतीय अध्यक्ष विजयपाल मेहता व प्रांतीय महामंत्री महिपाल सिंह के खिलाफ कोर्ट में मानहानि का दावा करने का निर्णय लिया है। इस मौके पर जिलाध्यक्ष गिरिजा शंकर चतुर्वेदी, सुरेश सेमवाल, विरेंद्र रावत, नरेंद्र शर्मा, आशीष डोरा आदि मौजूद रहे।

नियम विरुद्ध तबादलों पर भड़का कर्मचारी परिषद

विभिन्न विभागों में नियम विरुद्ध स्थानांतरण का आरोप लगाते हुए राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने नाराजगी जताई है। परिषद का आरोप है कि चिकित्सा, सिंचाई, शिक्षा विभाग में घूस लेकर कार्मिकों के स्थानांतरण किए गए हैं। परिषद इसका जल्द भंडाफोड़ करेगा। साथ ही इन सभी विभागों के मुखिया के खिलाफ आंदोलन शुरू करने की भी चेतावनी दी। 

राज्य कर्मचारी परिषद की बैठक में संगठन नेता ठाकुर प्रहलाद सिंह ने कहा कि कई विभागों में स्थानांतरण एक्ट का पालन नहीं हुआ है और रसूख व पहुंच वाले कार्मिकों को स्थानांतरण से बचा लिया गया। कहा कि परिषद के समक्ष कई शिकायतें आई हैं कि कई स्थानांतरण में धन भी लिया गया है। इसके साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। जल्द इसकी सच्चाई सबके सामने लाई जाएगी। 

कहा कि स्थानांतरण एक्ट की आड़ में कार्मिकों का शोषण हो रहा है। परिषद यह बर्दाश्त नहीं करेगा। यदि गलती में सुधार नहीं किया गया तो जल्द आंदोलन भी शुरू होगा। 

बैठक में प्रदीप कोहली, नंद किशोर त्रिपाठी, शक्ति प्रसाद भट्ट, अरुण पांडे, प्रवक्ता गुड्डी मटूडा, एनएस कुंद्रा, केएस फर्सवाण, चौधरी ओमवीर सिंह, गिरिजा नंदन सेमवाल व कई अन्य उपस्थित रहे। 

पदोन्नति में अड़ंगा लगा रहे अधिकारी

वक्ताओं ने आरोप लगाया कि कई विभागों में अधिकारी कार्मिकों की चरित्र प्रविष्टि (सीआर) समय से नहीं दे रहे हैं, जिस वजह से कार्मिकों की पदोन्नति प्रभावित हो रही है। मांग की गई कि जिन अधिकारियों ने सीआर समय पर नहीं दी, उनकी पदोन्नति रोक दी जाए। कहा कि जो पदोन्नति के पद रिक्त हैं, उन पर शीघ्र पदोन्नतियां दी जाएं। 

बैकडोर नियुक्ति पर वार्ता विफल, कर्मचारी संगठन मांगों पर अडिग

उत्तरांचल बैंक इम्प्लाइज यूनियन व सहकारी बैंक इम्प्लाइज यूनियन के प्रतिनिधिमंडल की जिला सहकारी बैंक देहरादून की महाप्रबंधक वंदना श्रीवास्तव से वार्ता विफल रही। कर्मचारी संगठन ने महाप्रबंधक को ज्ञापन सौंपकर बैकडोर से हुई दोनों नियुक्तियों को रद करने की मांग की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मांग पूरी नहीं होने तक कर्मचारी चरणबद्ध आंदोलन जारी रखेंगे।

जिला सहकारी बैंक में बैकडोर से हुई नियुक्ति का मामला तूल पकड़ रहा है। मंगलवार को उत्तरांचल बैंक इम्प्लाइज यूनियन व सहकारी बैंक इम्प्लाइज यूनियन ने बैकडोर नियुक्ति का कड़ा विरोध जताते हुए जिला सहकारी बैंक देहरादून की महाप्रबंधक वंदना श्रीवास्तव से मुलाकात की। 

जहां उनकी मांगों पर बातचीत नहीं बन सकी। जिसके बाद कर्मचारियों ने महाप्रबंधक को ज्ञापन सौंप बैकडोर नियुक्ति को रद करने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर बैंक प्रबंधन को संविदा कर्मियों को नियमित करना है तो सभी को नियमित किया जाए, इस तरह बैकडोर से चहेतों को नियुक्ति नहीं दी जानी चाहिए। इस पर महाप्रबंधक वंदना श्रीवास्तव ने कर्मचारी संगठन को आश्वासन दिया कि बोर्ड के साथ इस पर बात की जाएगी। 

उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में महीने भर का समय लग सकता है। सहकारी बैंक इम्प्लाइज यूनियन के महामंत्री रोहित रौतेला ने कहा कि नियम विरुद्ध नियुक्तियों को रद नहीं होने पर देहरादून क्षेत्र के सभी कर्मचारी काले फीते बांध कर काम करेंगे। इसके बाद आठ जुलाई को बैंक मुख्यालय के बाहर विरोध-प्रदर्शन करेंगे। 18 जुलाई को देहरादून की सभी शाखाओं में एक दिवसीय हड़ताल की जाएगी। 

उत्तरांचल बैंक इम्प्लाइज यूनियन के महामंत्री जगमोहन मेंदीरत्ता ने कहा कि इस आंदोलन को राज्य स्तर पर विस्तार किया जाएगा। फर्जी नियुक्तियों के विरोध में हमारा संगठन प्रदेश भर में प्रदर्शन करेगा। इस दौरान यूनियन के संरक्षक डीएस नेगी, अध्यक्ष मनोज नेगी, नीरज नेगी, राजेंद्र रावत, संदीप वर्मा, सूरज तिवारी, अजय चौधरी, विनय कुमार, राजेंद्र परिहार, अनिल वालिया आदि मौजूद रहे।

प्राथमिक शिक्षक संघ ने तबादलों पर विभाग को घेरा

राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने स्थानांतरण जून प्रथम सप्ताह में किए जाने की मांग की है। संगठन के अनुसार जून अंत में तबादलों की प्रक्रिया शुरू होने से शिक्षक स्कूल खुलने के बाद भी निदेशालय के चक्कर काट रहे हैं। जिससे छात्रों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। संघ ने बीमार शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को विभागीय दफ्तरों में तैनाती देनी की मांग की। 

प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष विरेंद्र सिंह कृषाली ने कहा कि बीमार शिक्षक-प्रधानाध्यापकों के प्रति सरकार अगर संवेदनशील है तो उन्हें स्कूल नहीं बल्कि विभागीय दफ्तरों में बैठाना चाहिए। जब कर्मचारी ठीक हो जाएं तब उन्हें वापस स्कूलों में भेजा जाए। उन्होंने कहा कि दूसरे जिलों से लाकर 28 प्रधानाध्यापक प्राथमिक और 43 जूनियर हाईस्कूल सहायक अध्यापक के पद भरे गए हैं। इस कारण बेसिक शिक्षा में पदोन्नति नहीं हो पा रही है। 

इन अतरिक्त कर्मचारियों के लिए पद सृजित कर उन्हें नियमित नियुक्ति दी जाए। कोर्ट भी विभाग को अपने स्तर से इसपर नियुक्तियां देने का फैसला दे चुका है। इनके लिए विभाग अतिरिक्त पद सृजित कर इन्हें दूरस्त क्षेत्रों में बंद पड़े स्कूलों को खोलकर वहां नियुक्ति दी जा सकती है। 

संघ ने कहा कि अनुरोध के आधार पर बेसिक शिक्षा में प्रधानाध्यापक, सहायक अध्यापक, जूनियर सहायक और जूनियर प्रधानाध्यापक तीन साल के लिए दून के जिलों में नियुक्त किए गए थे। इस बार वार्षिक स्थानांतरण हुआ, लेकिन इन लोगों के तबादले नहीं हुए। संघ ने ऐसे कर्मचारियों को उनके वर्तमान स्कूलों में ही नियमित करते हुए कालसी, चकराता के दुर्गम स्कूलों में भेजने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जनपद देहरादून में शिक्षक सरप्लस होते जा रहे हैं। विभाग इस बिंदु पर जल्द आर पार की लड़ाई का निर्णय लेगा।

फार्मासिस्टों के तबादलों पर घिरा स्वास्थ्य विभाग

शिक्षा विभाग के बाद अब स्वास्थ्य विभाग में भी स्थानांतरण को लेकर सवाल उठने लगे हैं। डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन (सेमवाल गुट) ने हाल में किए गए फार्मासिस्टों के तबादलों पर विभाग को घेरा है। इस संदर्भ में उन्होंने स्वास्थ्य महानिदेशक को पत्र सौंपकर स्थानांतरण सूची निरस्त करने की मांग की है। ऐसा न होने पर कोर्ट जाने की बात कही है। 

संगठन के प्रदेश अध्यक्ष एसपी सेमवाल ने कहा कि फार्मासिस्टों का स्थानांतरण करने में नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए आदेशों की अवहेलना की गई है, साथ ही तबादला एक्ट का भी उल्लंघन किया गया है। कहा कि स्वास्थ्य उपकेंद्रों में तैनात फार्मासिस्टों को अन्य चिकित्सालयों में स्थानांतरित नहीं किया गया है। जबकि उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2018 में अपने आदेश में कहा था कि स्वास्थ्य उप केंद्रों में कार्यरत फार्मासिस्टों के प्रति स्थानांतरण मामले में किया जा रहा भेदभाव भारतीय संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन है। 

कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने एक जुलाई को वेबसाइट पर फार्मासिस्ट संवर्ग के स्थानांतरण की जो सूची अपलोड की है, उसमें स्वास्थ्य उपकेंद्रों में तैनात फार्मासिस्टों को शामिल नहीं किया गया है। यही नहीं स्थानांतरण एक्ट के प्रावधानों का भी पूरी तरह उल्लंघन किया गया है। एक्ट के प्रावधानों के अनुसार ना ही पूर्व में पात्रता सूची जारी की गई और ना ही विकल्प भरने की तिथि से पूर्व रिक्तियों की सूची जारी की गई। बीती 25 जून तक भी वेबसाइट पर स्थानांतरण सूची नहीं डाली गई है। एक्ट में यह भी प्रावधान है कि स्थानांतरण आदेश निर्गत होने के दो दिन के अंदर वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाना अनिवार्य होगा। विभाग ने इस नियम का भी उल्लंघन किया है। 

कहा कि मनमानी का आलम यह कि कुछ कार्मिकों को पुन: उसी स्थान पर तैनात किया गया है जहां पर वह कुछ साल पहले तक भी तैनात था। बिना किसी मानक का पालन किए हुए कईयों का स्थानांतरण सुगम से सुगम कर दिया गया है। 

उन्होंने मांग की है कि फार्मासिस्ट संवर्ग के लिए जारी की गई स्थानांतरण सूची को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों व स्थानांतरण एक्ट के प्रावधानों के अनुरूप नए सिरे से स्थानांतरण प्रक्रिया शुरू की जाए।

राजकीय वाहन चालकों का चक्का जाम नौ अगस्त को

ग्रेड-पे समेत विभिन्न मांगों पर कार्रवाई न होने से राजकीय वाहन चालक भड़के हुए हैं। शासन के उदासीन रवैये को देखते हुए राजकीय वाहन चालक महासंघ उत्तराखंड ने आंदोलन का एलान किया है। इसके लिए नौ अगस्त को एक दिवसीय चक्का जाम आंदोलन किया जाएगा। 

राजकीय वाहन चालक महासंघ की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष अनंतराम शर्मा ने कहा कि महासंघ लगातार विभाग के मुखिया, प्रशासन, शासन को पत्र लिखता रहा है। कई बार अधिकारियों ने आश्वासन दिया, लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। इससे राजकीय वाहन चालकों में लगातार रोष पनप रहा है। अब मजबूरन राजकीय वाहन चालकों को आंदोलन को बाध्य होना पड़ रहा है। 

बैठक में सदस्यों ने निर्णय लिया कि आंदोलन के प्रथम चरण में नौ अगस्त को सभी राजकीय वाहन चालक चक्का जाम करेंगे व शासन-प्रशासन के समक्ष रोष व्यक्त करेंगे। बैठक में प्रदेश उपाध्यक्ष सबर सिंह रावत, महामंत्री संदीप कुमार मौर्य, मनोहर सिंह जीना, महेश जोशी, यशपाल सिंह नेगी, रवि जोशी, गीता राम पेटवाल व कई अन्य उपस्थित रहे। 

ये हैं मुख्य मांगें:

-समूह ग की भांति ग्र्रेड पे के तहत व्यवस्था।

-महासंघ को आवंटित प्रदेश कार्यालय आवास-स्टोर यमुना कालोनी से अनाधिकृत लोगों से मुक्त कराकर सौंपे।

-निगम-निकाय के वाहन चालकों को राजकीय वाहन चालकों की भांति रिफ्रेशर कोर्स की छूट।

-चालकों को सुगम-दुर्गम स्थानांतरण नीति से छूट।

-ग्राम्य विकास विभाग-बीज विकास निगम पंतनगर में स्टाम्पिंग पैटर्न व्यवस्था पूर्व से लागू हो।

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