Citizenship Amendment Act: शांतिपूर्ण रैली निकालकर नागरिकता संशोधन कानून का किया विरोध
विभिन्न वर्गो के बुद्धिजीवी वरिष्ठ सेवानिवृत अधिकारी और राजनीतिक-सामाजिक प्रतिनिधियों ने शांतिपूर्ण रैली निकालकर सीएए एनआरसी का विरोध किया।
By Edited By: Updated: Fri, 31 Jan 2020 08:50 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। प्रदेश के विभिन्न वर्गो के बुद्धिजीवी, वरिष्ठ सेवानिवृत अधिकारी और राजनीतिक-सामाजिक प्रतिनिधियों ने शांतिपूर्ण रैली निकालकर सीएए, एनआरसी का विरोध किया। इससे पहले उन्होंने महात्मा गाधी को श्रद्धाजलि देते हुए संविधान संरक्षण का संकल्प लिया।
गांधी पार्क में विभिन्न संगठनों के लोग एकत्रित हुए। यहां उन्होंने महात्मा गाधी, डॉ. भीमराव आबेडकर और सरदार वल्लभ भाई पटेल को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस दौरान संविधान के उद्देशिका पर संकल्प लिया गया कि हम संविधान के इतर किसी भी ताकत को नहीं मानते, हमारा मानना है कि धर्म आधारित नागरिकता का कानून देश हित में नहीं है।सेवानिवृत्त आइएएस चंद्र सिंह, एसएस पागती और शिक्षाविद प्रोफेसर एसके कुलश्रेष्ठ ने शपथ दिलाई कि संविधान ही देश वासियों के लिए सर्वोपरि है। इस संबंध में राज्यपाल के नाम एक संयुक्त पत्र भी प्रेषित किया गया। पत्र में लिखा गया है कि सीएए और एनसीआर गरीब विरोधी और संविधान विरोधी है। शरणार्थियों के नाम पर धार्मिक भेदभाव न किया जाए। इस दौरान सुरेंद्र अग्रवाल (काग्रेस), एसएन सचान (समाजवादी पार्टी), सुरेंद्र सिंह सजवाण (सीपीआइएम), बंटी सूर्यवंशी (बीएसपी), जीत सिंह (सीपीआइ), केपी चौहान आदि मौजूद रहे।
वहीं, जन संगठनों की ओर से कमला पंत (उत्तराखंड महिला मंच), शकर गोपाल, पप्पू कुमार, रामु कुमार, अशोक कुमार, सुनीता देवी (चेतना आदोलन), सतीश धौलखंडी (जन संवाद समिति उत्तराखंड), हिमाशु चौहान आदि ने रैली में हिस्सा लिया।यह भी पढ़ें: Citizenship Amendment Act: सीएए के खिलाफ मुस्लिम समुदाय के लोग उतरे सड़कों पर, बंद रहा बेअसर
सीएए के विरोध में धरना जारी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहा मुस्लिम समुदाय का धरना चौथे दिन गुरुवार को भी जारी रहा। सीएए, एनआरसी और एनपीआर का विरोध करते हुए प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। वक्ताओं ने कहा कि इस कानून के आने से लोगों में भय व्याप्त है। मुस्लिम सेवा संगठन, तंजीम ए रहनुमा ए मिल्लत, बहुजन क्रांति समेत विभिन्न संगठनों ने धरने को समर्थन दिया है। उधर, समाजवादी पार्टी ने भी प्रदर्शनकारियों का समर्थन करते हुए कहा कि सीएए काला कानून है। पार्टी के जिला अध्यक्ष गुलफाम अली ने कहा कि यह कानून देश में रहने वाले सभी धर्म के लोगों के खिलाफ है।
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