उत्तराखंड में राशन की 7000 दुकानों का जल्द होगा ऑटोमेशन
उत्तराखंड में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों में खाद्यान्न वितरण में पारदर्शिता के लिए लागू किए जा रहे ऑटोमेशन के काम में तेजी लाई जाएगी।
By Edited By: Updated: Thu, 09 May 2019 04:48 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों में खाद्यान्न वितरण में पारदर्शिता के लिए लागू किए जा रहे ऑटोमेशन (कंप्यूटरीकरण) के काम में तेजी लाई जाएगी। प्रदेश में तकरीबन सात हजार दुकानों पर ऑटोमेशन के लिए लैपटॉप और बायोमेट्रिक मशीन समेत हार्डवेयर सामग्री मुहैया कराई जा चुकी है। राशन विक्रेताओं को एनआइसी के सॉफ्टवेयर पर काम शुरू करने को कहा गया है। साथ ही प्रभारी सचिव खाद्य सुशील कुमार ने दुकानों में इंटरनेट कनेक्टिविटी को लेकर पेश आ रही समस्या दूर करने के निर्देश भी जिलापूर्ति अधिकारियों को दिए हैं।
उत्तराखंड में कुल 9200 सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानें हैं। इन दुकानों में सरकारी खाद्यान्न के कुल कोटे, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत प्राथमिक और अंत्योदय परिवार राशनकार्डधारकों और उन्हें दिए जाने वाले खाद्यान्न का पूरा ब्योरा ऑनलाइन किया जाना है। इसके लिए इन दुकानों को हार्डवेयर पहुंचाने का कार्य शुरू हो चुका है। अब तक करीब सात हजार सस्ता गल्ला दुकानों को लैपटॉप, प्रिंटर, बायोमेट्रिक मशीन, प्वाइंट ऑफ सेल मशीन आदि हार्डवेयर सामग्री पहुंचाई जा चुकी है।
बावजूद इसके इन दुकानों में हार्डवेयर का उपयोग नहीं हो पा रहा है। दुकानों में इंटरनेट के लिए दिए गए कनेक्शन में भी नेटवर्क की दिक्कत की शिकायतें मिली हैं। केंद्र सरकार की ओर से भी सभी दुकानों के ऑटोमेशन का कार्य जल्द पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। केंद्रीय संयुक्त सचिव एस जगन्नाथ के नेतृत्व में केंद्रीय टीम ने बीते दिनों राज्य का दौरा कर राशन की दुकानों के ऑटोमेशन की प्रगति की जानकारी ली थी।
खाद्य सचिव सुशील कुमार ने कहा कि 30 जून तक सात हजार सस्ता गल्ला दुकानों में ऑटोमेशन का कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। विभागीय अधिकारियों को इस कार्य को तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना से लेकर राज्य खाद्य योजना के तमाम लाभार्थियों का ब्योरा और उन्हें दी जाने खाद्य सामग्री और उसकी कीमत समेत तमाम बंदोबस्त अब कंप्यूटरीकृत किए जाने हैं।
राज्य सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता के लिए प्रतिबद्ध है। इस कार्य को तेजी से पूरा करने की हिदायत महकमे के जिम्मेदार अधिकारियों को दी गई है। उन्होंने कहा कि अभी करीब 20 फीसद सस्ता गल्ला दुकानों में ही ऑटोमेशन के जरिये ट्रांजेक्शन शुरू हो पाया है। यह ट्रांजेक्शन एनआइसी के सॉफ्टवेयर पर काम कर रहा है। हालांकि ये ट्रांजेक्शन भी शत-प्रतिशत नहीं है। उपभोक्ताओं की ओर से जरूरी सूचनाएं देने में हिचक भी महकमे की मुश्किल बढ़ाए हुए है। दुकानों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की दिक्कत भी दूर की जाएगी। जिलापूर्ति अधिकारियों को इस संबंध में तेजी से काम करने की हिदायत दी गई है।
ऑटोमेशन में ये हैं दिक्कतें
राशन की दुकानों में ऑटोमेशन के लिए उपभोक्ताओं का ढुलमुल रवैया भी आड़े आ रहा है। राशन कार्डधारकों की आधार सीडिंग, बैंक खाते की जानकारी देने में जहां उपभोक्ता हीलाहवाली कर रहे हैं, वहीं कंप्यूटरीकरण व ऑनलाइन व्यवस्था को लेकर खाद्य महकमे और राशन विक्रेताओं में भी इच्छाशक्ति की कमी रोड़ा बनी है।
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