Puja Khedkar हो सकती हैं बर्खास्त! अकादमी के पास भी है प्रशिक्षु IAS को Dismiss करने का अधिकार
विवादित प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। खेडकर के खिलाफ फर्जी पहचान बताकर सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने का आरोप है। विवाद के बीच ही प्रशिक्षु अधिकारी की फील्ड ट्रेनिंग रद कर उन्हें लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) मसूरी में तलब किया गया। इसी के साथ इनके बर्खास्तगी की भी चर्चा तेज हो गई।
जागरण संवाददाता, देहरादून। वर्ष 2023 बैच की प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर की नियुक्ति को लेकर खड़े हुए तमाम सवालों के बीच उनकी बर्खास्तगी की संभावनाओं पर भी चर्चा होने लगी है। विवाद के बीच ही जब प्रशिक्षु अधिकारी की फील्ड ट्रेनिंग रद कर उन्हें लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) मसूरी में तलब किया गया तो अकादमी के अधिकार पर भी चर्चा होने लगी है।
अकादमी निदेशक के पास है प्रशिक्षु अधिकारी के बर्खास्त का अधिकार
इस पर रिटायर्ड आइएएस अधिकारी व एलबीएसएनएए के पूर्व निदेशक संजीव चोपड़ा बताते हैं कि प्रशिक्षु अधिकारी को बर्खास्त करने का अधिकार अकादमी निदेशक के पास है। यदि उन पर लगे आरोप सही पाए जाते हैं तो अकादमी निदेशक पूजा खेडकर को बर्खास्त करने का निर्णय ले सकते हैं।
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के पूर्व निदेशक संजीव चोपड़ा के मुताबिक, यह पहला मौका नहीं होगा जब अकादमी निदेशक किसी प्रशिक्षु आइएएस अधिकारी को बर्खास्त करने पर निर्णय लेंगे। इससे पहले भी अकादमी निदेशक एक प्रशिक्षु आइएएस अधिकारी को बर्खास्त कर चुके हैं।
1981 में लिया गया था प्रशिक्षु अधिकारी के बर्खास्त का फैसला
उन्होंने बताया कि वर्ष 1981 में तत्कालीन निदेशक पीएस अप्पू ने एक प्रशिक्षु अधिकारी को बर्खास्त करने का निर्णय किया था। तब का प्रकरण अनुशासनहीनता से जुड़ा था, जबकि वर्तमान प्रकरण अनुशासनहीनता के साथ फर्जी दस्तावेजों से भी जुड़ा है।
वर्ष 1981 में ट्रेकिंग के दौरान एक प्रशिक्षु अधिकारी पर अत्यधिक शराब पीने और लोडेड रिवाल्वर को दो महिला आइएएस प्रोबेशनर पर तानने के आरोप लगे थे। जांच के बाद तत्कालीन निदेशक पीएस अप्पू ने गलत आचरण के दोषी पाए गए अधिकारी को बर्खास्त करने का कदम उठा दिया था।
संसद में भी प्रकरण पर जमकर हंगामा
हालांकि, संबंधित अधिकारी की प्रभावशाली पहुंच के चलते मामले को चेतावनी तक सीमित कर दिया गया था। इससे खिन्न तत्कालीन निदेशक ने अपना इस्तीफा तक सौंप दिया था और संसद में भी प्रकरण पर जमकर हंगामा हुआ। जिसके बाद प्रशिक्षु आइएएस अधिकारी को बर्खास्त करने की हरी झंडी मिल गई थी। हालांकि, इसके बाद भी पीएस अप्पू अपने इस्तीफे से पीछे नहीं हटे थे।
तब बात सिर्फ अनुशासन की थी, जबकि पूजा खेडकर के मामले में नियुक्ति पर भी गंभीर सवाल खड़े हो चुके हैं और जांच का क्रम भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।
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