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चुनावी आहट में बीरपुर पुल को भूल गया लोनिवि, पढ़िए पूरी खबर

गढ़ी कैंट बीरपुर में नए पुल का निर्माण कार्य चुनावी आहट में खो गया है। इससे क्षेत्र के 50 गांव और कस्बों के लोगों की मुश्किलें बरकरार हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Fri, 29 Mar 2019 05:32 PM (IST)
चुनावी आहट में बीरपुर पुल को भूल गया लोनिवि, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून, संतोष भट्ट। राजधानी से लगे गढ़ी कैंट बीरपुर में नए पुल का निर्माण कार्य चुनावी आहट में खो गया। क्षेत्र के 50 गांव और कस्बों के लोगों की मुश्किलें बरकरार हैं। लोनिवि ने यहां अस्थायी वैली ब्रिज बनाया है, लेकिन स्कूल बसें, ट्रक और भारी वाहन न चलने से यह व्यवस्था भी काम चलाऊ हाल में है। मार्च 2018 में 32 मीटर स्थायी पुल की स्वीकृति मिली। मगर, इस पुल का काम भी कागजी फाइलों से बाहर नहीं निकला है। ऐसे में नया पुल कब बनेगा, इस पर संशय की स्थिति बरकरार है। 

मुख्यमंत्री आवास से महज कुछ मील दूर बीरपुर में 28 दिसंबर 2018 को 50 गांव और कस्बों को जोडऩे वाला 115 साल पुराना जर्जर पुल टूट गया था। इस हादसे में दो लोगों की जान भी चली गई। इस पुल की जगह 32 मीटर डबल लेन पुल निर्माण का शिलान्यास मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया। इसके लिए शासन ने दो करोड़ 37 लाख 58 हजार रुपये बजट स्वीकृत किया था। पुल निर्माण की कार्रवाई शुरू ही हुई थी कि पुराना पुल टूट गया। इसके बाद लोनिवि प्रांतीय खंड ने यहां वैली ब्रिज तैयार कर लोगों की आवाजाही कराई। मगर, वैली ब्रिज बनते ही उस पर भी दरारें उभर आई।

 

इससे पुल पर 14 टन से ज्यादा के वाहनों की आवाजाही पर पाबंदी लगा दी। इससे बड़ी बसें, ट्रक और दूसरे भारी वाहन न चलने से क्षेत्र के गांव और कस्बों के लोगों को मुश्किलें उठानी पड़ रही है। पुराना पुल टूटने से नए पुल निर्माण की गति में तेजी आने की उम्मीदें थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के चलते पुल का कार्य पिछले कुछ माह से पूरी तरह से ठप पड़ा है। अब पुल कब बनेगा, इसे लेकर विभाग के अधिकारी भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है।

चुनाव में क्षेत्र में लोग वोट मांगने आ रहे हैं। लेकिन क्षेत्र के लोगों की एक ही मांग है कि उन्हें स्थायी और सुरक्षित पुल दिया जाए। क्षेत्र की सामाजिक कार्यकर्ता नीलम सिमरैन का कहना है कि पुल टूटने और निर्माण में देरी के लिए लोनिवि प्रांतीय खंड जिम्मेदार है। इस मामले की जांच कर जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए। 

इनको उठानी पड़ रही मुश्किलें 

बीरपुर पुल न बनने से बिलासपुर कांडली, जनतनवाला, नागनाथ, चांदमारी, बाणगंगा, जामुनवाला, बाजावाला, डाकरा, गढ़ीकैंट, एफआरआइ, सेना के कैंप तक आवाजाही करने वाले लोगों को मुश्किलें उठानी पड़ रही हैं। 

सुरक्षा में लगाए मिट्टी से भरे कट्टे 

पुल पर दरारें उभरने के बाद लोनिवि प्रांतीय खंड ने लीपापोती कर दी। पुल की दरारें छिपाने के लिए मिट्टी भरे कट्टे लगाए गए हैं। जबकि भारी वाहनों की आवाजाही न हो, इसके लिए पुल पर बोर्ड लगाकर जिम्मेदारी से इतिश्री कर दी है। इससे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लाजमी है। 

गल्जवाड़ी पुल को भी खतरा 

गढ़ी कैंट क्षेत्र से लगे गल्जवाड़ी, बिष्टगांव को जोड़ने वाला मोटर पुल भी खतरे में है। पुल की मरम्मत और सुरक्षा कार्य न होने से पुल जर्जर हाल में पहुंच गया है। लोनिवि ने इस पुल पर भी भारी वाहनों की आवाजाही न करने का बोर्ड लगा दिया है। जबकि सुरक्षा और मरम्मत के नाम पर कोई कार्य शुरू नहीं किया गया है। इस पुल पर दिनरात खनन कार्य में लगे वाहन आवाजाही करते हैं। 

प्रांतीय खंड लोनिवि के अधिशासी अभियंता जगमोहन सिंह का कहना है कि बीरपुर के पुल की मिट्टी जांच को भेजी गई है। जांच रिपोर्ट आने के बाद एबटमेंट का निर्माण शुरू होगा। पुल के लोहे का काम दूसरी जगह चल रहा है। उम्मीद है कि दिसंबर 2019 तक पुल तैयार हो जाएगा। पुलिस और सेना के पीछे हटने से वैली ब्रिज पर भारी वाहन पर रोक लगाई है। 

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