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उत्तराखंड में गुलदारों का खौफ, रेडियो कॉलर लगाने को केंद्र से मांगी इजाजत; पांच साल के आंकड़ों पर डालें नजर

Leopard Attack उत्तराखंड में वन सीमा से सटे आबादी वाले क्षेत्रों में खौफ का पर्याय बने गुलदारों की बढ़ते दखल ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है।

By Edited By: Updated: Wed, 16 Sep 2020 04:05 PM (IST)
उत्तराखंड में गुलदारों का खौफ, रेडियो कॉलर लगाने को केंद्र से मांगी इजाजत; पांच साल के आंकड़ों पर डालें नजर
देहरादून, राज्य ब्यूरो। Leopard Attack उत्तराखंड में वन सीमा से सटे आबादी वाले क्षेत्रों में खौफ का पर्याय बने गुलदारों की बढ़ते दखल ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। लगातार गहराते गुलदार-मानव संघर्ष को थामने के मद्देनजर अब भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों की मदद से इनके व्यवहार का अध्ययन कराया जा रहा है, जिससे इसके अनुरूप कदम उठाए जा सकें। इस कड़ी में राज्य में पहली बार राजाजी टाइगर रिजर्व और इससे लगे देहरादून और हरिद्वार वन प्रभागों में 15 गुलदारों पर रेडियो कॉलर लगाए जाएंगे। इस सिलसिले में संस्थान ने केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति मांगी है। रेडियो कॉलर लगाए जाने के बाद मूवमेंट पर नजर रखने के साथ ही गुलदारों के व्यवहार का अध्ययन किया जाएगा।

71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में गुलदारों ने सबसे ज्यादा नींद उड़ाई हुई है। ये घर-आंगन से लेकर खेत-खलिहानों तक ऐसे धमक रहे हैं, मानो पालतू जानवर हों। नतीजतन गुलदार के हमले लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले पांच सालों के आकड़े देखें तो इस अवधि में अकेले गुलदारों ने 99 व्यक्तियों की जान ले ली, जबकि बाघ, हाथी, भालू, सूअर समेत दूसरे वन्यजीवों के हमलों में 159 व्यक्ति मारे गए। इन सब परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने गुलदारों के व्यवहार पर अध्ययन कराने की ठानी है, जिससे इनके हमलों पर अंकुश लगाया जा सके। 

इस कड़ी में जर्मन फंडिंग एजेंसी जीआइजेड के सहयोग से मानव-वन्यजीव संघर्ष थामने के लिए वन महकमा तमाम उपायों को लेकर कसरत में जुटा है। इसी के तहत राजाजी टाइगर रिजर्व और इससे सटे देहरादून और हरिद्वार वन प्रभागों में गुलदार के साथ टकराव को रोकने के लिए उपाय तलाशे जा रहे हैं। यहां अकेले देहरादून-हरिद्वार राजमार्ग से लगे इलाकों में ही 40 गुलदारों के सक्रिय होने का अनुमान है और आए दिन गुलदार के हमले की घटनाएं सुर्खियां बन रही हैं। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग के अनुसार इन परिस्थितियों को देखते हुए यहां 15 गुलदारों पर रेडियो कॉलर लगाने का निर्णय लिया गया है, जिससे इनके व्यवहार का अध्ययन कर इसके अनुरूप प्रभावी कार्ययोजना तैयार की जा सके। 
उन्होंने बताया कि जीआइजेड ने रेडियो कॉलर और अन्य उपकरण मुहैया कराए हैं। रेडियो कॉलर लगाने का कार्य भारतीय वन्यजीव संस्थान करेगा। भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक डॉ. धनंजय मोहन ने बताया कि केंद्र से अनुमति मिलने के बाद गुलदारों पर रेडियो कॉलर लगाए जाएंगे। रेडियो कॉलर लगने के बाद गुलदारों के मूवमेंट पर नजर रहेगी। साथ ही पता चल सकेगा कि ये किस वक्त, किस क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय रहते हैं। इससे ये भी जानकारी मिलेगी कि गुलदार कहीं आबादी के नजदीक तो नहीं है। यानी, यह एक प्रकार का अर्ली वॉर्निंग सिस्टम भी होगा। इस मुहिम के तहत गुलदारों के व्यवहार का पता चलने के बाद इसके आधार पर सुरक्षात्मक कदम उठाने को आधार मिल सकेगा। 
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