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उत्तराखंड में तीसरे गुलदार की रेडियो कॉलरिंग, देर रात घने जंगल में छोड़ा

उत्तराखंड में जान-माल के खतरे का सबब बने गुलदारों के व्यवहार में आ रहे बदलाव के मद्देनजर अध्ययन के लिए इनकी रेडियो कॉलरिंग का सिलसिला जारी है। हरिद्वार व टिहरी जिले के बाद अब हल्द्वानी में एक गुलदार को रेडियो कॉलर लगाया गया है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Sun, 08 Nov 2020 08:32 AM (IST)
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हल्द्वानी में गुलदार को ट्रेंकुलाइज कर उसे रेडियो कॉलर लगाती विशेषज्ञों और वनकर्मियों की टीम।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड में जान-माल के खतरे का सबब बने गुलदारों के व्यवहार में आ रहे बदलाव के मद्देनजर अध्ययन के लिए इनकी रेडियो कॉलरिंग का सिलसिला जारी है। हरिद्वार व टिहरी जिले के बाद अब हल्द्वानी में एक गुलदार को रेडियो कॉलर लगाया गया है। इसे बागेश्वर जिले से पकड़ा गया था। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि गुलदार को शनिवार देर रात करीब 50 किलोमीटर दूर घने जंगल में छोड़ दिया गया। रेडियो कॉलर के जरिये उसकी प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।

बागेश्वर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में भी लंबे समय से गुलदारों का आतंक बना हुआ है। इस बीच वहां एक स्थान पर लगाए गए पिंजरे में बीते रोज एक गुलदार कैद हुआ। इसे हल्द्वानी लाया गया और फिर विशेषज्ञों व वनकर्मियों की टीम ने गुलदार को बेहोश कर रेडियो कॉलर लगाया। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक सुहाग के अनुसार सुरक्षा कारणों को देखते हुए यह जानकारी नहीं दी जा सकती कि इस वयस्क नर गुलदार को किस स्थान से पकड़ा और कहां छोड़ा गया। राज्य में यह तीसरा गुलदार है, जिसे रेडियो कॉलर लगाया गया है। इससे पहले सितंबर में हरिद्वार और अक्टूबर में टिहरी जिले में एक-एक गुलदार की रेडियो कॉलरिंग की गई थी।

उन्होंने बताया कि रेडियो कॉलर लगने से अब हर घंटे इस गुलदार की भी निरंतर मॉनीटरिंग की जाएगी। यह कब और किस वक्त कहां जाता है, अधिक सक्रियता का समय क्या है, ऐेसे तमाम बिंदुओं का अध्ययन किया जाएगा। राज्य में कुछ और गुलदारों की भी रेडियो कालरिंग की जाएगी, ताकि इनके व्यवहार पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा सके। इसके आधार पर गुलदार- मानव संघर्ष थामने को कार्ययोजना तैयार की जाएगी।

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