गजब हाल, दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में फिर उधार पर लिया रेडियोलॉजिस्ट
दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में आनन-फानन कोरोनेशन अस्पताल से रेडियोलॉजिस्ट डॉ. मनोज उप्रेती को बुलाया गया।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 30 Oct 2018 04:24 PM (IST)
देहरादून, [जेएनएन]: प्रदेश के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में शुमार दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय का अजब हाल है। यहां आए दिन मरीज व्यवस्था के मर्ज से जूझ रहे हैं। हद ये कि डॉक्टर तक 'उधार' लेने पड़ रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले रेडियोलॉजिस्ट टिहरी से बुलाना पड़ा था और अब वही वाकया दोहराया गया। सोमवार को एकमात्र रेडियोलॉजिस्ट डॉ. मनोज शर्मा के छुट्टी चले जाने से अल्ट्रासाउंड ठप हो गए। आनन-फानन कोरोनेशन अस्पताल से रेडियोलॉजिस्ट डॉ. मनोज उप्रेती को बुलाया गया। तब जाकर मरीजों को कुछ राहत मिली।
दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में करीब तीन रेडियोलॉजिस्ट की जरूरत है, लेकिन तैनात मात्र एक रेडियोलॉजिस्ट है। इस कारण जब तब व्यवस्था चरमरा जाती है। एकमात्र रेडियोलॉजिस्ट के छुट्टी चले जाने से मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सोमवार को भी यही हुआ। अल्ट्रासाउंड ठप होने पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. तारा चंद पंत को फोन कर रेडियोलॉजिस्ट दिलाने का अनुरोध किया। जिस पर उन्होंने कोरोनेशन अस्पताल से रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था कराई। इससे पूर्व अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की वजह से कई रेडियोलॉजिस्ट यहां से छोड़कर जा चुके हैं। बताया गया कि उन्होंने एक अदद कमरा और बाहर प्रैक्टिस न करने देने की अनुमति न मिलने पर यहां से छोड़ा। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा का कहना है कि रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था की जा रही है। आने वाले वक्त में ऐसी दिक्कत नहीं होगी।
सप्ताह में तीन दिन होगी मेमोग्राफी जांच
दून मेडिकिल कॉलेज अस्पताल में मेमोग्राफी जांच सप्ताह में तीन दिन होगी। आज से जांच शुरू कर दी जाएगी। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि अस्पताल में मंगलवार, गुरुवार और शनिवार तीन दिन जांच कराने की व्यवस्था फिलहाल की गई है। अतिरिक्त तकनीशियन मिलने के बाद पूरे सप्ताह जांच शुरू कराई जाएगी। इसके अलावा दूरस्थ क्षेत्रों में भी मोबाइल वैन को भेजा जाएगा। बता दें कि हंस फाउंडेशन की ओर से मेमोग्राफी मोबाइल वेन उपलब्ध कराई गई है। जिसमें मेमोग्राफी जांच केवल 300 रुपये में होगी, जबकि निजी लैब पर यह जांच करीब दो से ढाई हजार रुपये में होती है।
जुड़वा बच्चों का शव अस्पताल में छोड़ गए मां-बाप
यह संवेदनहीनता की हद है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में एक मां ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। जिनकी जन्म के तुरंत बाद मौत हो गई। पर माता-पिता इनके अंतिम संस्कार के बजाए शव यहीं छोड़ गए। 22 अक्टूबर से शव अस्पताल की मोर्चरी में रखे हुए हैं। नियमानुसार अस्पताल प्रशासन खुद इनका अंतिम संस्कार नहीं कर सकता है, इसलिए प्रशासन को पत्र भेज इजाजत मांगी है।
मूल निवासी बिहार हाल निवासी जीएमएस रोड अजय कुमार की पत्नी नीतू को बीती 12 अक्टूबर को श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में भर्ती किया गया था। 22 अक्टूबर को नीतू ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। जन्म के तुरंत बाद उसके दोनों बच्चों की मौत हो गई। जुड़वा बच्चों की मौत के बाद पति-पत्नी अस्पताल से चले गए। तब से अब तक दोनों बच्चों के शव अस्पताल की मोर्चरी में रखे हुए हैं। अस्पताल प्रशासन ने मरीज की फाइल पर दिए गए नंबरों पर कई बार संपर्क करने की कोशिश की लेकिन दूसरी तरफ से कोई रिस्पांस नहीं मिला। उधर पटेल नगर पुलिस की छानबीन में भी इनके बिहार चले जाने की बात सामने आई है। अस्पताल के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी ने बताया कि नियमानुसार अस्पताल खुद से इनका अंतिम संस्कार नहीं कर सकता। ऐसे में जिलाधिकारी को पत्र भेज इजाजत मांगी गई है। मंजूरी मिलते ही इनका अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा। प्रदेश में डेंगू के दस और मरीज मिले
सूबे में आजकल दिन और रात में मौसम का मिजाज बदल-बदला सा है। इसमें पारे में भारी अंतर आ रहा है। सुबह और शाम को मौसम में अचानक ठंड का अहसास हो रहा है, जबकि दोपहर में तापमान 29 डिग्री पार कर जा रहा है। ऐसे में डेंगू का मच्छर अब भी कहर बरपाने में कामयाब है। सोमवार को भी प्रदेश में डेंगू के दस नए मरीज सामने आए। यह सभी मरीज जनपद हरिद्वार से हैं। अक्टूबर बीतने वाला है पर प्रदेश में डेंगू के मामले अब भी लगातार सामने आ रहे हैं। जनवरी से अब तक यहां 551 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। जिनमें सर्वाधिक 183 मरीज जनपद हरिद्वार के हैं। जबकि देहरादून में भी अब तक 173 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इसके अलावा टिहरी गढ़वाल में 108, नैनीताल में 55, ऊधमसिंहनगर में 21, अल्मोड़ा व टिहरी गढ़वाल में चार-चार और चंपावत में तीन मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। इसके अलावा डेंगू से दो मरीजों की मौत भी हो चुकी है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि गत वर्षों के मुकाबले डेंगू का मच्छर कमजोर पड़ा है। इस दफा इसका स्ट्रेन हल्का रहा। यही कारण है कि ज्यादातर मरीज सामान्य उपचार लेकर घर लौट गए।
यह भी पढ़ें: डेंगू का प्रकोप नहीं थम रहा, 12 और लोगों में हुई डेंगू की पुष्टियह भी पढ़ें: उत्तराखंड में लुढ़कते पारे में भी डेंगू मजबूत, दस और मरीजों में पुष्टि
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।