Move to Jagran APP

Dehradun News: राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार की बुद्धि-शुद्धि को निकाला मार्च, कहा- 2022 में देंगे अनदेखी का जवाब

लंबित मांगों पर कार्रवाई न होने से नाराज राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार की बुद्धि-शुद्धि के लिए देहरादून के गांधी पार्क से शहीद स्मारक तक मार्च निकाला। इस दौरान मुजफ्फरनगर खटीमा और मसूरी गोलीकांड के दोषियों को सजा दिलाने की मांग की।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sat, 05 Dec 2020 02:16 PM (IST)
Hero Image
राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार की बुद्धि-शुद्धि को निकाला मार्च। जागरण
जागरण संवाददाता, देहरादून। लंबित मांगों पर कार्रवाई न होने से नाराज राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार की बुद्धि-शुद्धि के लिए गांधी पार्क से शहीद स्मारक तक मार्च निकाला। आंदोलनकारियों ने जल्द मांगें पूरी न होने पर विधानसभा व मुख्यमंत्री आवास कूच और जिला स्तर पर जनप्रतिनिधियों के घेराव की चेतावनी दी। 

शनिवार को राज्य आंदोलनकारी संयुक्त संगठन के बैनर तले उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच, उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तराखंड चिह्नित राज्य आंदोलनकारी संगठन, उत्तराखंड चिह्नित आंदोलनकारी मंच से जुड़े आंदोलनकारी गांधी पार्क में एकत्र हुए। यहां से घंटाघर होते हुए दर्शनलाल चौक, इनामुल्ला बिल्डिंग से होते हुए कचहरी स्थित शहीद स्मारक पहुंचे। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने कहा कि लंबे समय से सरकार के सामने मांग रख रहे हैं, लेकिन अभी तक सरकार से वार्ता नहीं हुई है। वहीं, वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने कहा कि पिछले चार वर्षों में सरकार ने उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों का सम्मान व उनकी मांग को अनदेखा किया। जिसका जवाब आंदोलनकारी 2022 के चुनाव में देंगे। इस मौके पर वेदप्रकाश शर्मा, जगमोहन सिंह नेगी, ओमी उनियाल, धीरेंद्र प्रताप, जबर सिंह पावेल, भूपेंद्र रावत, शूरवीर सिंह सजवाण, यशवीर आर्य, मनोज ज्याड़ा, राजेंद्र रावत, संजय बलूनी, महेंद्र रावत, पुष्पलता, प्रमिला रावत,पूरण, विजेंद्र सकलानी, जीतपाल बर्त्‍वाल, विकास रावत, वेदानंद कोठारी, जयदीप सकलानी आदि मौजूद रहे।

राज्य आंदोलनकारियों की मुख्य मांगें

- मुजफ्फरनगर, खटीमा, मसूरी गोलीकांड के दोषियों को सजा मिले। 

- क्षैतिज आरक्षण एक्ट लागू हो और चार वर्षों से चिह्नीकरण के लंबित मामलों का निस्तारण किया जाए।

- शहीद परिवार व राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों की पेंशन का शासनादेश लागू किया जाए।

- गैरसैंण स्थायी राजधानी घोषित हो और राज्य में सशक्त लोकायुक्त लागू किया जाए।

- समूह ग की भर्ती व उपनल के लिए रोजगार कार्यालय पंजीकरण में स्थायी निवास प्रमाण पत्र अनिवार्य हो।

- राज्य का भू-कानून वापस करने के अलावा शहीद स्मारकों का संरक्षण व निर्माण शीघ्र किया जाए।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड: तेज हुआ शहीद स्मारक शिफ्ट करने का विरोध, अनदेखी से राज्य आंदोनलकारी आक्रोशित; दी ये चेतावनी

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।