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Coronavirus: रैपिड टेस्ट से पता चलेगा कोरोना संक्रमितों के संपर्क में आए कितने लोग

उत्तराखंड में अब कोरोना संक्रमितों की जानकारी के लिए जल्द ही रैपिड टेस्ट शुरू किया जा रहा है। इस टेस्ट के जरिये पता लग सकेगा कि कितने लोग कोराना वायरस के संपर्क में आए हैं।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Updated: Sun, 12 Apr 2020 10:20 AM (IST)
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Coronavirus: रैपिड टेस्ट से पता चलेगा कोरोना संक्रमितों के संपर्क में आए कितने लोग
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड में अब कोरोना संक्रमितों की जानकारी के लिए जल्द ही रैपिड टेस्ट शुरू किया जा रहा है। इस टेस्ट के जरिये पता लग सकेगा कि कितने लोग कोराना वायरस के संपर्क में आए हैं। ऐसा इस टेस्ट के माध्यम से शरीर में विकसित होने वाली एंटीबॉडिज की पहचान कर किया जाएगा। 

हालांकि, कोरोना संक्रमित के संपर्क में आने के सात दिन बाद ही यह टेस्ट कारगर है। यह टेस्ट अभी केवल प्रदेश में चिह्न्ति हॉटस्पॉट पर ही किया जाएगा। केंद्र से जल्द ही इसकी किट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

प्रदेश में जहां भी संक्रमित अधिक संख्या में मिले हैं, उन स्थानों को हॉटस्पॉट घोषित किया गया है। केंद्र की गाइडलाइन केअनुसार जिस जिले में दस से अधिक पॉजीटिव मामले आते हैं उसे ही हॉट स्पॉट घोषित किया जाता है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे क्षेत्र जहां दो या उससे अधिक संक्रमित अथवा संदिग्ध मरीज मिले हैं, उन्हें हॉटस्पॉट घोषित किया है। 

प्रदेश में ऐसे 14 क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं। इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोग रहते हैं। ऐसे में इन सभी का नियमित प्रक्रिया के अनुसार परीक्षण करना संभव नहीं है। प्रभारी सचिव स्वास्थ्य डॉ. पंकज कुमार पांडेय ने कहा कि जल्द ही केंद्र से रैपिड टेस्ट के लिए किट मिल जाएगी और टेस्ट का काम शुरू कर दिया जाएगा।

क्या होता है रेपिड टेस्ट

इस टेस्ट में व्यक्ति के खून का सैंपल लिया जाता है। इसमें यह देखा जाता है कि शरीर में कोरोना वायरस के लिए कोई एंटीबॉडिज तैयार तो नहीं हुई। दरअसल, शरीर में कोई भी नया वायरस आने पर उसका मुकाबला करने के लिए एंटीबॉडिज बनती हैं। इस टेस्ट के जरिये ऐसी एंटी बाडिज की पहचान की जा सकेगी। इससे यह भी पता चल सकेगा कि कितने दिन पहले व्यक्ति कोरोना पीड़ित के संपर्क में आया था।

गर्भवतियों का गांधी व इंदिरेश में होगा इलाज

लॉकडाउन ने गर्भवती महिलाओं की परेशानी को बढ़ा दिया है। दरअसल, दून अस्पताल को केवल कोरोना के लिए रिजर्व किया गया है। ऐसे में जिन गर्भवतियों का यहां से इलाज चल रहा था, उनको सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है। इस समस्या से निजात के लिए अब शासन ने तय किया है कि सामान्य गर्भवती महिलाओं को या तो गांधी शताब्दी अस्पताल या फिर श्री महंत इंद्रेश अस्पताल में भर्ती किया जाएगा।

प्रदेश में दून मेडिकल कालेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में सर्वाधिक डिलीवरी केस आते हैं। देहरादून जिले में भी इसी अस्पताल पर सबसे ज्यादा मरीजों का बोझ है। यहां तक कि हाल ही में गांधी शताब्दी अस्पताल में महिला अस्पताल खोलने के बाद भी दून महिला अस्पताल पर मरीजों का बोझ कम नहीं हुआ। 

इसकी सबसे बड़ी वजह यहां उपलब्ध सुविधाओं एवं प्रशिक्षित डॉक्टरों एवं स्टाफ को भी कहा जा सकता है। दून अस्पताल को कोरोना के लिए रिजर्व करने के बाद से यहां पर सामान्य गर्भवतियों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। पूरे सील किए गए क्षेत्रों से भी छह गर्भवती महिलाओं को यहां भर्ती किया गया। इनके भी कोरोना संदिग्ध के लिहाज से सैंपल लिए गए थे। 

हालांकि, इस सबके चलते सामान्य गर्भवतियों को परेशानी हो रही है। अब शासन ने सामान्य गर्भवतियों के लिए नई व्यवस्था बनाई है। ऐसी महिलाओं को गांधी शताब्दी या फिर श्री महंत इंदिरेश अस्पताल भेजा जाएगा। दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना ने बताया कि शासन ने अस्पताल को कोविड अस्पताल घोषित किया है, इसीलिए यहां पर सामान्य महिलाओं की डिलीवरी नहीं कराई जा सकती। शासन के निर्देश मिल गए हैं। महिलाओं को गांधी अस्पताल भेजा जाएगा। मामला गंभीर होने पर उन्हें श्री महंत इंदिरेश अस्पताल भेजा जाएगा।

गंभीर बीमार को अस्पताल पहुंचाएगी 108

प्रदेश में गंभीर बीमारी का इलाज करा रहे लोगों और दिव्यांगों को लॉकडाउन के चलते अस्पतालों में पहुंचने में हो रही समस्याओं को देखते हुए इनके लिए राहत भरा कदम उठाया गया है। अब 108 एंबुलेंस ऐसे लोगों को घर से अस्पताल तक लाने और घर तक पहुंचाने का काम करेगी। इसके साथ ही कोराना के संक्रमण के लिए पहले प्री-फैब्रिकेटेड अस्पताल बनने की दिशा में भी कदम बढ़ने शुरू हो गए हैं। इसके लिए चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग को हरिद्वार में जमीन मिल गई है। जल्द ही यहां निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

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प्रदेश में कोराना संक्रमण के चलते लॉकडाउन चल रहे हैं। इस कारण व्यावसायिक वाहनों का संचालन प्रतिबंधित है। इससे गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों अथवा स्वजनों के पास वाहन न होने के कारण अस्पताल तक आने जाने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब शासन ने इनकी परेशानी का संज्ञान लिया है। निदेशक एनएचएम युगल किशोर पंत ने बताया कि गंभीर बीमार व दिव्यांग इलाज के लिए 108 को कॉल कर सकते हैं।

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