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Red-Headed Vulture: राजाजी टाइगर रिजर्व में दिखा दुर्लभ रेड हेडेड वल्चर, संकटग्रस्त प्रजातियों में से है एक

Red-Headed Vulture राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक डा. साकेत बडोला ने बताया कि विभिन्न विशेषज्ञों की निगरानी में चीला रेंज में गिद्ध को सुरक्षित छोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि रेड हेडेड वल्चर एक संकटग्रस्त प्रजाति है। इसके संरक्षण के लिए चलाई जा रही परियोजना के अंतर्गत व्हाइट रंप्ड वल्चर इजिप्शियन वल्चर व पलास फिश ईगल पर भी सैटेलाइट टैग लगाए जा रहे हैं।

By Vijay joshi Edited By: Swati Singh Updated: Thu, 28 Mar 2024 09:58 PM (IST)
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राजाजी टाइगर रिजर्व में दिखा दुर्लभ रेड हेडेड वल्चर
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में पहली बार दुर्लभ प्रजाति के रेड हेडेड वल्चर (लाल सिर वाला गिद्ध) को देखा गया। राजाजी टाइगर रिजर्व में गिद्ध मेडिकल परीक्षण कर सैटेलाइट टैग लगाकर चीला रेंज में छोड़ दिया गया है। विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके गिद्धों की प्रजातियां उत्तराखंड में देखे जाने से वन विभाग और पक्षी प्रेमियों में खासा उत्साह है।

गिद्धों की प्रजातियां उत्तराखंड में देखे जाने से अन्य दुर्लभ पक्षियों के भी प्रदेश में देखे जाने की उम्मीद जगी है। इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से विशेष परियोजना भी संचालित हो रही हैं। बीते बुधवार शाम को राजाजी पार्क में रेड हेडेड वल्चर देखा गया, जिसे पकड़कर स्वास्थ्य आकलन व आवश्यक सैंपल एकत्र किए गए।

रेड हेडेड वल्चर एक संकटग्रस्त प्रजाति

राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक डा. साकेत बडोला ने बताया कि विभिन्न विशेषज्ञों की निगरानी में चीला रेंज में गिद्ध को सुरक्षित छोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि रेड हेडेड वल्चर एक संकटग्रस्त प्रजाति है। इसके संरक्षण के लिए चलाई जा रही परियोजना के अंतर्गत व्हाइट रंप्ड वल्चर, इजिप्शियन वल्चर व पलास फिश ईगल पर भी सैटेलाइट टैग लगाए जा रहे हैं।

केंद्र सरकार को दी जाएगी रिपोर्ट

परियोजना प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डा. समीर सिन्हा के निर्देशन में चलाई जा रही है। इसमें दुर्लभ पक्षियों का अध्ययन कर प्राप्त परिणामों को केंद्र सरकार को उपलब्ध भी कराया जाएगा। इस मौके पर राजाजी टाइगर रिजर्व के पशुचिकित्सा अधिकारी डा. राकेश कुमार नौटियाल, वन क्षेत्राधिकारी चीला रेंज बिजेंद्र दत्त तिवारी और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया से डा. जी अरिंद्रन, डा. अनिल कुमार सिंह आदि उपस्थित रहे।

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