उत्तराखंड में राशन कार्डों के नवीनीकरण में लग सकता है और वक्त, जानिए वजह
राशन कार्डों के नवीनीकरण में और वक्त लग सकता है। नवीनीकरण का शासनादेश जारी हो जाएगा पर अभी तक प्रिंटिंग को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।
By Edited By: Updated: Tue, 28 May 2019 08:49 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। प्रदेशभर में राशन कार्डों के नवीनीकरण में और वक्त लग सकता है। उम्मीद की जा रही थी कि आचार संहिता खत्म होने के तुरंत बाद नवीनीकरण का शासनादेश जारी हो जाएगा, लेकिन अभी तक शासन की ओर से राशन कार्डों की प्रिंटिंग को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। अभी तक यही स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि प्रदेशभर के राशन कार्ड एक प्रिंटिंग प्रेस में छपवाए जाएंगे या जिले अपने स्तर से कार्डों की प्रिंटिंग कराएंगे। वहीं, कार्ड की प्रिंटिंग दर पर भी पेच फंसा हुआ है।
दरअसल, छह माह से राशन कार्ड खत्म हो चुके हैं और नए राशन कार्ड नहीं बन पा रहे हैं। खोने-फटने की स्थिति में भी लोगों को नए कार्ड नहीं मिल पा रहे हैं। जिलों की ओर से आयुक्त कार्यालय को कई बार इस संबंध में सूचित भी किया जाता रहा है। मगर, मार्च में आचार संहिता लागू होने से शासनादेश को टाल दिया गया। इसके बाद यह कहा जा रहा था कि मई के अंत में आचार संहिता खत्म होने के बाद जून में नवीनीकरण का शासनादेश जारी किया जा सकता है। लेकिन, अब यह सामने आ रहा है कि अभी तक शासन स्तर पर राशन कार्डों की प्रिंटिंग को लेकर फैसला ही नहीं हो पाया है।
साल 2014 में यह हुई थी व्यवस्था अधिकारियों के अनुसार, वर्ष 2014 में एक प्रिंटिंग प्रेस से प्रदेशभर के लिए राशन कार्ड प्रिंट कराए गए थे। अधिक दबाव होने के कारण एनएफएसए, राज्य खाद्यान्न योजना व अंत्योदय कार्ड चरणवार छपवाए गए थे। उस समय प्रति कार्ड की प्रिंटिंग दर 1.80 रुपये थी। पांच साल में होता है नवीनीकरण राशन कार्डो का नवीनीकरण प्रत्येक पांच वर्ष में किया जाता है। पिछली बार जनवरी 2014 में नवीनीकरण हुआ था, जिसे जनवरी 2019 में पांच वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन नवीनीकरण में लगातार देरी हो रही है।
खाद्य और नागरिक आपूर्ति आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि राशन कार्डों की मांग वर्तमान में प्रदेशभर में करीब 23 लाख से ज्यादा राशन कार्ड हैं, जबकि नवीनीकरण के लिए 30 लाख कार्ड की आवश्यकता है। वहीं, देहरादून जिले में चार लाख कार्ड हैं, जबकि नवीनीकरण में साढ़े चार लाख कार्ड प्रिंट कराए जाने हैं। प्रिंटिंग को लेकर विचार चल रहा है। अभी कुछ भी कहना उचित नहीं होगा। आचार संहिता खत्म होने के बाद इस पर फैसला ले लिया जाएगा। अन्य विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है।
दरअसल, छह माह से राशन कार्ड खत्म हो चुके हैं और नए राशन कार्ड नहीं बन पा रहे हैं। खोने-फटने की स्थिति में भी लोगों को नए कार्ड नहीं मिल पा रहे हैं। जिलों की ओर से आयुक्त कार्यालय को कई बार इस संबंध में सूचित भी किया जाता रहा है। मगर, मार्च में आचार संहिता लागू होने से शासनादेश को टाल दिया गया। इसके बाद यह कहा जा रहा था कि मई के अंत में आचार संहिता खत्म होने के बाद जून में नवीनीकरण का शासनादेश जारी किया जा सकता है। लेकिन, अब यह सामने आ रहा है कि अभी तक शासन स्तर पर राशन कार्डों की प्रिंटिंग को लेकर फैसला ही नहीं हो पाया है।
साल 2014 में यह हुई थी व्यवस्था अधिकारियों के अनुसार, वर्ष 2014 में एक प्रिंटिंग प्रेस से प्रदेशभर के लिए राशन कार्ड प्रिंट कराए गए थे। अधिक दबाव होने के कारण एनएफएसए, राज्य खाद्यान्न योजना व अंत्योदय कार्ड चरणवार छपवाए गए थे। उस समय प्रति कार्ड की प्रिंटिंग दर 1.80 रुपये थी। पांच साल में होता है नवीनीकरण राशन कार्डो का नवीनीकरण प्रत्येक पांच वर्ष में किया जाता है। पिछली बार जनवरी 2014 में नवीनीकरण हुआ था, जिसे जनवरी 2019 में पांच वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन नवीनीकरण में लगातार देरी हो रही है।
खाद्य और नागरिक आपूर्ति आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि राशन कार्डों की मांग वर्तमान में प्रदेशभर में करीब 23 लाख से ज्यादा राशन कार्ड हैं, जबकि नवीनीकरण के लिए 30 लाख कार्ड की आवश्यकता है। वहीं, देहरादून जिले में चार लाख कार्ड हैं, जबकि नवीनीकरण में साढ़े चार लाख कार्ड प्रिंट कराए जाने हैं। प्रिंटिंग को लेकर विचार चल रहा है। अभी कुछ भी कहना उचित नहीं होगा। आचार संहिता खत्म होने के बाद इस पर फैसला ले लिया जाएगा। अन्य विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है।
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