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Ratan Tata: एनडी तिवारी और निशंक के कार्यकाल में उत्तराखंड आए थे रतन टाटा, नैनो कार का सपना यहीं हुआ था पूरा

रतन टाटा का उत्तराखंड से गहरा नाता रहा है। वह कई बार राज्य का दौरा कर चुके थे। उन्होंने उत्तराखंड में उद्योगों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रतन टाटा ने यहां अपने उद्यमों के विकास विशेष रूप से देश की सबसे सस्ती कार नैनो का उत्पादन करने का स्वप्न साकार किया। रतन टाटा के निधन से उत्तराखंडवासियों को गहरा दुख हुआ है।

By Ravindra kumar barthwal Edited By: Vivek Shukla Updated: Fri, 11 Oct 2024 09:09 AM (IST)
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नौ नवंबर 2010 को उद्योगपति रतन टाटा तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से मुलाकात करते। साभार- भाजपा

राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून।  उत्तराखंड के साथ भारत रत्न प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का आत्मीय संबंध रहा है। प्रदेश सरकार की ओर से जब भी उन्हें न्योता भेजा गया, उन्होंने यहां का रुख किया। प्रदेश की पहली निर्वाचित सरकार के मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी के कार्यकाल में वर्ष 2004 में वह उत्तराखंड आए थे।

इसके बाद नौ नवंबर, 2010 को राज्य स्थापना दिवस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के निमंत्रण पर भी रतन टाटा पहुंचे। नैनो कार का उनका सपना प्रदेश में ही पूरा हुआ।

शीर्ष उद्योगपतियों में सम्मिलित रहे रतन टाटा के निधन से उत्तराखंडवासियों को भी गहरा दुख हुआ है। उन्हें उत्तराखंड से प्यार मिला तो उन्होंने भी यहां अपने उद्यमों के विकास विशेष रूप से देश की सबसे सस्ती कार नैनो का उत्पादन करने का स्वप्न साकार किया।

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बताया जाता है कि पंतनगर स्थित उनके प्लांट में ही वर्ष 2009 में नैनो का उत्पादन प्रारंभ हुआ। वर्ष 2010 में उन्होंने गुजरात में नैनो के उत्पादन की इकाई स्थापित की थी। नैनो कार की लांचिंग और उसके उत्पादन के लिए रतन टाटा का उत्तराखंड आने का क्रम बना रहा।

रतन टाटा वर्ष 2004-05 में उत्तराखंड आए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी से भेंट के दौरान उन्होंने राज्य में उद्योगों के विकास की संभावनाओं पर चर्चा की थी। बाद में नौ नवंबर, 2010 को राज्य स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के निमंत्रण पर उन्होंने मुख्यमंत्री आवास में हुए कार्यक्रम में भाग लिया।

नई दिल्ली में जून 2016 में आयोजित विंटेज कार शो के दौरान एक कार देखते रतन टाटा। फाइल/प्रेट्र


उन पलों को याद करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक बताते हैं कि उत्तराखंड से रतन टाटा का आत्मीय लगाव था। उत्तराखंड में बसने का उनका सपना था, लेकिन काम करने के उनके जुनून ने यह सपना पूरा नहीं होने दिया।

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साहित्य, कला, संगीत, योग और ध्यान में रतन टाटा की गहरी रुचि थी। उन्होंने टाटा से पूछा था कि इन सबके लिए वह समय कैसे निकाल पाते हैं। तब रतन टाटा ने कहा था कि काम के बाद बचा हुआ समय वह इन्हीं सब में बिताते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री निशंक ने कहा कि रतन टाटा के रूप में देश ने अमूल्य हीरा खोया है। उनका हर गरीब को सक्षम बनाने का सपना था। देश सशक्त और समृद्ध बने, इसके लिए वह जीवन पर्यंत संकल्पित रहे। देश उनके योगदान को कभी नहीं भुला सकता।

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