Joshimath आपदा के 5 कारण और पांच सवाल; क्यों वैज्ञानिकों की सलाह को करते रहे नजरअंदाज?
बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुध ले के सिद्धांत पर चलते हुए अब जोशीमठ को बचाने की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर है उनसे यह जोशीमठ खुद कुछ सवाल पूछना चाहता है। संस्कृति और अध्यात्म का संवाहक के साथ-साथ देश की सीमा प्रहरी की अनदेखी क्यों?
By kedar duttEdited By: Anil PandeyUpdated: Wed, 11 Jan 2023 05:20 PM (IST)
केदार दत्त, देहरादून:
मैं जोशीमठ हूं। मुझे आप
गेटवे आफ हिमालय भी कह सकते हैं। मैं देवभूमि के खूबसूरत पहाड़ी भूगोल का एक हिस्सा मात्र नहीं हूं। धर्म और अध्यात्म की गंगा विश्वभर में प्रवाहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ ही मैंने एक पूरी सभ्यता को फलते-फूलते देखा है। कत्यूरी राजाओं की राजधानी होने का गौरव मुझे है तो आदि गुरु शंकराचार्य ने कठोर तप और ज्योर्तिमठ की स्थापना के लिए मुझे ही चुना। ज्योर्तिमठ होने के कारण ही कालांतर में मेरा नाम जोशीमठ पड़ा। मैं संस्कृति और अध्यात्म का संवाहक होने के साथ ही देश का सीमा प्रहरी भी तो हूं।
जोशीमठ का 5 महत्व
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आदि गुरु शंकराचार्य ने इसी स्थली में की थी ज्योर्तिमठ की स्थापना। -
बदरीनाथ धाम के साथ ही भविष्य बदरी का प्रमुख पड़ाव। -
चीन सीमा से सटा होने के कारण सेना व आइटीबीपी का बेस कैंप। -
हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी, प्रथम गांव माणा का अहम पड़ाव। -
अंतरराष्ट्रीय हिम क्रीड़ा केंद्र औली का प्रवेश द्वार।
आपदा के 5 बड़े कारण
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जोशीमठ का पुराने भूस्खलन क्षेत्र में मलबे पर बसा होना। -
अनियोजित और अवैज्ञानिक तरीक से निर्माण कार्य। -
शहर में सीवरेज और ड्रेनेज की कोई व्यवस्था न होना। -
कमजोर प्राकृतिक संरचना वाले शहर पर अत्यधिक बोझ। -
47 सालों में विज्ञानियों के सुझावों पर अमल न करना।
प्रभावितों की 5 चिंताएं
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जोशीमठ में बसे बसाए आशियानों का इस तरह उजडऩा। -
क्षेत्र में चल रहे राहत शिविरों में कब तक लेंगे शरण। -
अब तक की कुल जमा पूंजी आपदा में हो चुकी तबाह। -
आगे भविष्य क्या रहेगा, कुछ भी तो नहीं मालूम। -
पुनर्वास हो भी गया तो जड़ों से अलग होना तय।
सरकार के बड़े निर्णय
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जोशीमठ को बचाने के लिए हरसंभव कोशिश का संकल्प। -
जोशीमठ में सभी प्रकार के निर्माण कार्यों पर रोक। जोशीमठ का लगभग 40 प्रतिशत क्षेत्र आपदाग्रस्त घोषित। -
डेंजर जोन में जानमाल की सुरक्षा के लिए कदम। -
पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार से राहत पैकेज की मांग। -
ऐसी आपदाओं से बचने के लिए शहरों की धारण क्षमता का आकलन।
शासन की 5 चुनौतियां
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जोशीमठ में भूधंसाव के कारणों की तह तक जाना। -
आपदा प्रभावित परिवारों का स्थायी पुनर्वास। -
दरारग्रस्त आवासीय व व्यवसायिक भवन खाली कराना। -
राहत शिविरों में ठहराए गए परिवारों की समुचित देखभाल। -
प्रभावित परिवारों के लिए रोजगार की व्यवस्था करना।
5 सुलगते सवाल
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47 साल तक क्यों किए गए विज्ञानियों के सुझाव दरकिनार। -
अनियोजित व अनियंत्रित निर्माण के वक्त कहां थी मशीनरी। -
ड्रेनेज और सीवरेज व्यवस्था की किसकी थी जिम्मेदारी। -
पर्यटकों के बढ़ते दबाव के बावजूद क्यों नहीं तय की गई धारण क्षमता। -
पहले सोता रहा सिस्टम, अब कैसे बचाएंगे जोशीमठ।
विज्ञानियों की पांच रिपोर्ट
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वर्ष 1976 में तत्कालीन मंडलायुक्त एमसी मिश्रा की अध्यक्षता में गठित विज्ञानियों की समिति ने सौंपी थी रिपोर्ट। -
वर्ष 2006 में वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान के विज्ञानियों की रिपोर्ट में भी जोशीमठ के खतरे को लेकर किया गया था सावधान। -
वर्ष 2013 की केदारनाथ त्रासदी के बाद विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में भी इस विषय पर खींचा गया था ध्यान। -
जुलाई 2022 में विज्ञानियों की रिपोर्ट में जोशीमठ में मुश्किलें खड़ी होने का जताया गया था अंदेशा। -
सितंबर 2022 में सरकार की ओर से गठित विज्ञानियों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में जोशीमठ में हो रहे जल रिसाव को बताया था मुख्य कारण।
विज्ञानियों के निष्कर्ष व सुझाव
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जोशीमठ की जमीन भूस्खलन के मलबे की मोटी परत से बनी है और इसके पत्थरों की संरचना क्वार्टजाइट व मार्बल की है। ऐसी भूमि की क्षमता कमजोर होती है। -
कमजोर भूमि पर दशकों से हो रहे निर्माण कार्य इसकी क्षमता को पार कर गए हैं। अत्यधिक बोझ व कमजोर ड्रेनेज सिस्टम के चलते भूधंसाव तेज हुआ है। -
वर्ष 1976 में मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट में भी यहां धीरे-धीरे भूधंसाव की आशंका जताई गई थी। इस रिपोर्ट के बाद से यहां निर्माण नियंत्रित करने की जरूरत थी। -
जोशीमठ क्षेत्र में बने भवनों की नींव कमजोर है और मौजूदा भूधंसाव को झेलने लायक नहीं है। -
जोशीमठ बचाने को सीवरेज व ड्रेनेज सिस्टम सुधारने की जरूरत है। बड़े भवन के निर्माण पर रोक लगे और उच्च तकनीक के आधार पर ही निर्माण की अनुमति मिले। अलकनंदा नदी की तरफ से हो रहे भूकटाव के उपचार की दिशा में भी काम करने की जरूरत है।
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