निकाय चुनाव: बगावत ने उत्तराखंड के सियासी दलों में बढ़ाई बेचैनी
निकाय चुनाव में प्रत्याशियों की घोषणा के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों की दलों को बगावत से दो चार होना पड़ रहा है। दोनों ही दलों में भूचाल मचा है।
By BhanuEdited By: Updated: Tue, 23 Oct 2018 10:04 AM (IST)
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: निकाय चुनाव में प्रत्याशियों की घोषणा के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों की दलों को बगावत से दो चार होना पड़ रहा है। दोनों ही दलों में भूचाल मचा है। इससे सियासी दलों में बेचैनी बढ़ गई है।
भाजपा में उपजे असंतोष से हालात असहजनिकाय चुनाव के लिए प्रत्याशियों की घोषणा के बाद जगह-जगह पार्टी कार्यकर्ताओं में उपजे असंतोष ने भाजपा संगठन की पेशानी पर बल डाल दिए हैं। गढ़वाल मंडल में ही भाजपा 11 निकायों में कार्यकर्ताओं के बगावती सुर हैं, जबकि कुमाऊं में आधा दर्जन में। इसे देखते हुए डैमेज कंट्रोल की कवायद तेज कर दी गई है।
हालांकि, पार्टी ने इसे तात्कालिक प्रतिक्रिया बताते हुए कहा कि जल्द ही सबकुछ ठीक हो जाएगा। भाजपा ने 84 में से 81 निकायों में प्रमुख पदों के लिए प्रत्याशियों का एलान किया है। इसके साथ ही निकायों में विरोध के सुर भी उठने लगे। रविवार को ऋषिकेश नगर निगम में अध्यक्ष पद की दावेदार कुसुम कंडवाल को टिकट न मिलने से खफा समर्थकों ने जौलीग्रांट में प्रदेश अध्यक्ष के समक्ष विरोध जताया था। सोमवार को जगह-जगह तेज हुए नाराजगी के सुरों और निर्दल चुनाव लड़ने के पाटीजनों के एलान ने नेतृत्व को सकते में डाल दिया।
कोटद्वार में विभा चौहान ने बगावती तेवर अपनाते हुए पर्चा भरा है तो पौड़ी में जिला उपाध्यक्ष गणेश नेगी के इस्तीफे की खबर है। मुनिकी रेती में कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। लक्सर में प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य अंबरीश गर्ग ने पार्टी छोड़ी है। अगस्त्यमुनि में आशा बेंजवाल, झबरेड़ा में दीपक सैनी, मंगलौर में आमीर कलीम अख्तर अंसारी, टिहरी में पूर्व अध्यक्ष उमेश चरण गुसाई, शिवालिकनगर में संजीव चौधरी, उत्तरकाशी में कुसुमलता रावत और ऋषिकेश में कुसुम कंडवाल में नाराजगी बरकरार है। कुमाऊं मंडल में चंपावत, लोहाघाट, बनबसा, रुद्रपुर समेत छह निकायों में बगावती सुर उठ रहे हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के अनुसार पार्टी कार्यकर्ताओं में असंतोष जैसी बात नहीं है। यह तात्कालिक प्रतिक्रिया है। चिंता की कोई बात नहीं है। सभी कार्यकर्ता पार्टी की जीत सुनिश्चित करने को जुटेंगे।कांग्रेस में गैरों पर भरोसा, अपने खफा
शहरी निकायों में सरकार बनाने का खवाब देख रही कांग्रेस में परिवारवाद और दिग्गज नेताओं के चहेतों को तरजीह दिए जाने से अंसतोष गहरा गया है। इससे पार्टी आम कार्यकर्ताओं के निशाने पर आ गई। टिकट की दावेदारी में बाहर से आने वालों पर ज्यादा भरोसा, विधायकों व पूर्व विधायकों, उनकी पत्नी-पुत्रों और समर्थकों को सक्रिय व निष्ठावान कार्यकर्ताओं पर वरीयता दिए जाने से बवाल मचा हुआ है। इसके चलते शेष रह गई तीन निकायों के अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों की घोषणा में पार्टी की हिचक बढ़ गई है। निकाय चुनावों में टिकटों के वितरण में परिवारवाद और बाहरी लोगों को तवज्जो दिए जाने से कांग्रेस में खींचतान नए सिरे से बढ़ गई है।
दरअसल, विधानसभा चुनाव के बाद बदली सियासी परिस्थितियों में कांग्रेस के लिए अपने बूते निकाय चुनाव में दमदार प्रदर्शन की चुनौती है। प्रतिष्ठा का सबब बने इस चुनाव में कामयाबी के लिए पार्टी की यही रणनीति अब उसके गले में फांस भी बन गई है। पार्टी ने नगर निगमों में महापौर से लेकर निकायों के अध्यक्ष पदों पर भी विधायकों, पूर्व विधायकों की पसंद को तवज्जो दी। यही नहीं कई सीटों पर पार्टी में बाहर से आने वालों पर अधिक भरोसा किया गया। इससे टिकट वितरण में आम और सक्रिय कार्यकर्ताओं की उपेक्षा असंतोष के रूप में सतह पर आ गई।
हालांकि पार्टी की ओर से असंतोष को थामने की भरसक कोशिश की जा रही है। विधायकों व पूर्व विधायकों को दी गई जिम्मेदारी की बदौलत पार्टी को उम्मीद है कि असंतोष पर समय रहते काबू पा लिया जाएगा। हालांकि सच ये भी असंतोष को भापते हुए ही पार्टी तीन निकायों लोहाघाट, रानीखेत चिन्यानौला और पिरान कलियर के प्रत्याशी घोषित नहीं कर पा रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के अनुसार टिकट वितरण को लेकर परिवार में कुछ मतभेद हो सकते हैं, लेकिन इसे जल्द दूर कर लिया जाएगा। निकाय चुनाव में भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस परिवार एकजुट है।
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