एमबीबीएस के दाखिले को हिमालयन इंस्टीट्यूट की ना
हिमालयन इंस्टीट्यूट ने पुरानी फीस पर एमबीबीएस में दाखिला देने से साफ इन्कार कर दिया है। एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज दाखिले जरूर कर रहा है, पर छात्रों पर अन्य मदों में शुल्क का भार डाल दिया।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 11 Jul 2018 05:17 PM (IST)
देहरादून, [जेएनएन]: राज्य के निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने वाले छात्रों के सामने फिर से अजीब स्थिति पैदा हो गई है। सीट आवंटित हो जाने के बाद भी छात्र दाखिले के लिए भटक रहे हैं। कारण यह कि हिमालयन इंस्टीट्यूट ने पुरानी फीस पर दाखिला देने से साफ इन्कार कर दिया है। एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज शासन की ओर से तय फीस पर दाखिले जरूर कर रहा है, लेकिन छात्रों पर हॉस्टल और अन्य मदों में अत्यधिक शुल्क का भार डाल दिया गया है।
बता दें कि निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस का मामला लंबे वक्त से अनसुलझा है। बीते वर्ष भी इसे लेकर विवाद की स्थिति बनी थी। यह मामला हाई कोर्ट पहुंच गया था। हाई कोर्ट के आदेश पर कॉलेजों ने छात्रों से इसे लेकर शपथ पत्र लिया कि बाद में जो भी फीस तय होगी वह उन्हें मान्य होगी। इस बीच राज्य सरकार ने निजी कॉलेजों को फीस निर्धारण का अधिकार दे दिया। जिस पर कॉलेजों ने फीस में कई गुना वृद्धि कर दी। छात्रों के आंदोलन पर सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा था। सरकार के हस्तक्षेप के बाद कॉलेजों ने अपना फैसला वापस लिया। बहरहाल अभी तक फीस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। शुल्क निर्धारण का मामला उच्च न्यायालय के साथ ही प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति में विचाराधीन है।
शासन ने तय किया है कि इस पर निर्णय हो जाने तक कॉलेज पूर्व निर्धारित फीस ही लेंगे। लेकिन, इस बीच कॉलेजों का तर्क है कि वह निजी विवि के अधीन हैं। एक्ट के तहत शुल्क और सीट निर्धारण का अधिकार विवि का है। उन्होंने उत्तराखंड के छात्रों के लिए 11 लाख और बाहरी छात्रों के लिए 15 लाख रुपये सालाना निर्धारित की है। निजी मेडिकल कॉलेज में नियमानुसार राज्य व मैनेजमेंट कोटा की सीट 50:50 के अनुपात में होती है। लेकिन, इन मेडिकल कॉलेजों ने सीट निर्धारण भी अपने हिसाब से किया हुआ है। नीट की काउंसिलिंग करा रहे एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय व चिकित्सा शिक्षा विभाग का दावा था कि समय रहते इस स्थिति से पार पा लिया जाएगा और दाखिले में दिक्कत नहीं आएगी। लेकिन, अब हिमालयन इंस्टीट्यूट ने दाखिले से साफ इन्कार कर दिया है। एसजीआरआर अन्य मदों में वसूल रहा मोटा शुल्क
निजी मेडिकल कॉलेजों में राज्य कोटा के लिए चार लाख और मैनेजमेंट कोटा के लिए पांच लाख रुपये सालाना फीस तय है। एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज इस फीस पर दाखिला जरूर कर रहा है, लेकिन अन्य मद में वसूली जा रही फीस छात्रों पर भारी पड़ रही है। ऐडमीशन फीस, हॉस्टल, मेस समेत 11 मदों में 7,66,000 रुपये शुल्क लिया जा रहा है।प्रो. विजय जुयाल (कुलसचिव, एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विवि) का कहना है कि हिमालयन इंस्टीट्यूट के निर्धारित फीस पर दाखिला न देने की शिकायत छात्रों ने की है। इसके अलावा एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज अन्य मद में अत्यधिक शुल्क ले रहा है। शासन को इससे अवगत करा दिया गया है।
डॉ. विजय धस्माना (कुलपति एसआरएचयू) का कहना है कि विवि को शुल्क व सीट निर्धारण का पूरा अधिकार है। इसके तहत एमबीबीएस का शुल्क तय किया हुआ है। जिन छात्रों ने यह शुल्क अदा किया, उन्हें ही दाखिले दिए गए हैं।भूपेंद्र रतूड़ी, (वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी, एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज) का कहना है कि हर संस्थान में अलग-अलग सुविधाएं व संसाधन होते हैं। उसी के मुताबिक इनका शुल्क लिया जाता है। ट्यूशन फीस शासन के निर्देशानुसार ही ली जा रही है।
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