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सरकारी अस्पतालों में भी नहीं मिल रहा रेमडेसिविर इंजेक्शन

कोरोना के लिए कारगर अस्त्र रेमडेसिविर इंजेक्शन अब राज्य में ढूंढे नहीं मिल रहा है। अब सरकारी अस्पतालों में भी इसकी किल्लत होने लगी है। दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में भी रेमडेसिविर का स्टॉक खत्म होने की कगार पर है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 17 Apr 2021 12:54 PM (IST)
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कोरोना के लिए कारगर अस्त्र रेमडेसिविर इंजेक्शन अब राज्य में ढूंढे नहीं मिल रहा है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। कोरोना के लिए कारगर अस्त्र रेमडेसिविर इंजेक्शन अब राज्य में ढूंढे नहीं मिल रहा है। निजी की बात छोड़िए, अब सरकारी अस्पतालों में भी इसकी किल्लत होने लगी है। राज्य के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में शुमार दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में भी रेमडेसिविर का स्टॉक खत्म होने की कगार पर है। इधर, मेडिकल कॉलेज प्रशासन यह दावा कर रहा है कि इंजेक्शन की आपूर्ति जल्द ही हो जाएगी।

दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय को सरकार ने कोविड-हॉस्पिटल घोषित किया है। फिलवक्त यहां 216 मरीज भर्ती हैं, जिनमें 65 आइसीयू में हैं। इन मरीजों में कई रेमडेसिविर थेरेपी पर भी हैं। जानकारी के अनुसार यहां बस एक ही दिन का स्टॉक बचा है। इससे बड़ा संकट खड़ा हो गया है। प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि संबंधित कंपनी को एक हजार इंजेक्शन की डिमांड दी है। इंजेक्शन की देशभर में ही किल्लत है। कंपनी के प्रतिनिधि ने भरोसा दिलाया है कि अस्पताल को प्राथमिकता के आधार पर आपूर्ति दी जाएगी।

बाजार से इंजेक्शन गायब

कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच रेमडेसिवीर की मांग कई गुना बढ़ गई है, पर बाजार में इंजेक्शन गायब हो चुका है। 1500 से चार हजार रुपये की कीमत वाले इस इंजेक्शन के कई लोग पांच से दस हजार तक भी मांग रहे हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन मरीजों के लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं है। कोरोना की वजह से फेफड़ों में संक्रमण होता है और फिर मरीज को निमोनिया हो जाता है। रेमडेसिविर फेफड़े के इंफेक्शन से बचाता है। फेफड़े में संक्रमण के आधार पर रेमडेसिविर के इंजेक्शन दिए जाते हैं।

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