बिल्डरों से रिकवरी को उत्तरप्रदेश से गुर सीखेगा रेरा, जानिए वजह
उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी अब उत्तर प्रदेश से वसूली के गुर सीखेगी। इसके लिए तैयारी भी कर ली गर्इ है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Tue, 08 Jan 2019 04:12 PM (IST)
देहरादून, सुमन सेमवाल। रेरा आदेश पर आदेश कर रहा है और बिल्डर हैं कि उसका अनुपालन करने को तैयार नहीं हैं। इस नाफरमानी पर रेरा बिल्डरों पर करीब डेढ़ करोड़ रुपये की पेनल्टी भी लगा रहा है, मगर कोई भी बिल्डर इसे जमा करने को तैयार नहीं हैं। हालांकि अब उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने उत्तर प्रदेश से वसूली के गुर सीखने की तैयारी कर ली है। इसको लेकर रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार जल्द उत्तर प्रदेश (उप्र) का दौरा कर सकते हैं।
रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार का कहना है कि उत्तर प्रदेश में रिकवरी शुरू की जा चुकी है। लिहाजा, यह समझना जरूरी है कि उत्तर प्रदेश वसूली को किस तरह की प्रक्रिया अपना रहा है। क्योंकि उत्तराखंड में अभी जिलाधिकारियों के स्तर पर मांगी जा रही मदद भी कारगर साबित नहीं हो रही है। इसके अलावा रेरा स्वयं भी संसाधनों की कमी से जूझ रहा है, जिस कारण भी कई तरह की मुश्किलें सामने आ रही हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश का दौरा अहम साबित होगा। क्योंकि उससे यह पता लग जाएगा कि वहां की रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी की रिकवरी सेल में कितनी मैनपावर है और कार्यों का आवंटन किस तरह किया जा रहा है।
रेरा ने 100 मामलों में लगाई पेनल्टी
उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी में अब तक 276 शिकायतें पंजीकृत की जा चुकी हैं। जिनमें से करीब 135 का निपटारा किया जा चुका है। जबकि 141 शिकायतें अभी लंबित चल रही हैं। जिन 135 प्रकरणों का निपटारा किया गया है, उनमें करीब 100 मामलों में 1.5 करोड़ रुपये की पेनाल्टी लगाई गई है। यह पेनल्टी उस क्रम में लगाई गई है, जब रेरा निवेशकों राशि लौटाने या अन्य तरह के आदेश जारी करता है।
गंभीर यह कि इसके बाद भी अब तक रेरा बिल्डरों इसकी एक भी पाई वसूल नहीं कर पाया है। सिर्फ एक अन्य मामले में 75 हजार रुपये जरूर रेरा ने वसूल किए हैं। यह स्थिति तब यह जब रेरा बिल्डरों को रिकवरी के लिए कई नोटिस भी जारी कर चुका है और कुछ प्रकरणों में संबंधित जिलाधिकारियों को भी नोटिस की प्रति भेजी जा चुकी है।
रेरा में कैदी की पेशी, समाधान से पहले पहुंचा तिहाड़
निवेशकों के हितों को ध्यान में रखते हुए रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने हरिद्वार जेल में बंद जिस विचाराधीन कैदी को पेशी में बुलाया था, उसका समाधान निकलने से पहले ही दिल्ली पुलिस उसे पकड़कर तिहाड़ जेल ले गई। इस प्रकरण में सोमवार को फिर से पेशी होनी थी, हालांकि आरोपित को तिहाड़ जेल भेज दिए जाने के बाद अब सुनवाई के लिए 21 जनवरी की तिथि मुकर्रर की गई है। रेरा में दर्ज शिकायतों के अनुसार वर्ष 2012-13 में हर-हर गंगे प्रोजेक्ट के तहत कुलदीप नंद्रजोग ने प्लॉट बेचने के नाम पर लोगों से प्रति प्लॉट लाखों रुपये लिए थे। नंद्रजोग ने 100 से अधिक प्लॉट बेचे थे और रकम लेने के बाद भी तमाम लोगों के नाम रजिस्ट्री नहीं कराई गई। आठ लोगों ने इसकी शिकायत रेरा में भी दर्ज कराई है। हालांकि उसी दौरान से कुलदीप हरिद्वार जेल में बंद थे और इस स्थिति को देखते हुए रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने जेल अधीक्षक को पत्र लिखकर विचाराधीन कैदी को पेश करने के आदेश दिए थे।
कैदी की पेशी के बाद तय किया गया था कि जिलाधिकारी हरिद्वार के सहयोग से राजस्व व रेरा अधिकारियों की मौजूदगी में ही निवेशकों के बीच वार्ता कराई जाएगी। ताकि उनके नाम पर भूमि की रजिस्ट्री कराई जा सके। क्योंकि पेशी ने दौरान कुलदीप नंद्रजोग ने रजिस्ट्री कराने पर हामी भरी थी। इस पूरी कार्रवाई को कराने के बाद रेरा ने दोबारा सात जनवरी की तिथि तय की थी। हालांकि इस बीच खबर आई कि नंद्रजोग पर दिल्ली में भी कुछ मामले दर्ज हैं, जिसको लेकर वहां की पुलिस उसे पकड़कर तिहाड़ जेल ले गई है। इस कारण से जेल में निवेशकों के साथ वार्ता भी नहीं कराई जा सकी। हालांकि अब रेरा अध्यक्ष ने सुनवाई के लिए 21 जनवरी की तिथि तय कर दी है। उम्मीद की जा रही है कि इस दौरान नंद्रजोग को वापस हरिद्वार लाया जा सकता है।
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