तीन राज्यों के चुनाव से कांग्रेस में बढ़े मनोबल पर गुटबाजी का साया
तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव में मिली कामयाबी से उत्तराखंड में कांग्रेस का मनोबल तो बढ़ा ही, साथ में चुनौती भी बढ़ना तय हो गया है।
By Edited By: Updated: Fri, 14 Dec 2018 12:16 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव में मिली कामयाबी से उत्तराखंड में कांग्रेस का मनोबल तो बढ़ा ही, साथ में चुनौती भी बढ़ना तय हो गया है। सियासी माहौल में हो रही तब्दीली भांपते हुए पार्टी क्षत्रपों ने भी संगठन को अपनी ताकत का अहसास कराने को मोर्चा खोल दिया है।
लोकसभा के चुनावी दंगल में जाने से पहले पार्टी के भीतर जोर-आजमाइश बढ़ गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत खेमे की प्रदेश संगठन के मुखिया प्रीतम सिंह के बीच बढ़ रही रार को इसी का नतीजा माना जा रहा है। प्रदेश में नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस को जिसतरह शहरी क्षेत्रों खासतौर पर अधिकतर जिला मुख्यालयों में परचम लहराने में सफलता मिली, पार्टी उसे सियासी माहौल में तब्दीली के रूप में देख रही है। मोदी लहर से खौफजदा कांग्रेस ये उम्मीद बांधने लगी है कि उसकी ताकत में इजाफा होने जा रहा है।
इसके साथ ही प्रदेश में कांग्रेस क्षत्रपों के बीच खींचतान भी बढ़ गई है। पार्टी हाईकमान के एकजुटता पर जोर देने के बावजूद दिग्गज नेताओं ने अपनी-अपनी ताकत का अहसास कराने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। बड़े नेताओं की बयानबाजी और जीत का श्रेय एवं हार का ठीकरा फोड़ने की होड़ तेज होने से पार्टी की मुश्किलें बढ़ना तय है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व विधायक प्रीतम सिंह इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत के खेमे के निशाने पर हैं। कुमाऊं मंडल में पार्टी के पूर्व प्रदेश महासचिव खजान पांडे और नैनीताल कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष मारुति शाह को अनुशासनहीनता के मामले में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने के बाद रावत खेमा प्रीतम के खिलाफ मुखर है।
रावत के करीबी समझे जाने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता व विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल प्रीतम के कई फैसलों पर सवाल खड़े कर चुके हैं। प्रीतम और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश की जुगलबंदी को रावत खेमे से जूझना पड़ रहा है। पार्टी हलकों में ये आम चर्चा है कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान भी प्रीतम और इंदिरा की सदन के भीतर की रणनीति को रावत खेमे ने धार नहीं लगने दी।
प्रीतम की बड़े नेताओं को नसीहत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह बड़े नेताओं के पार्टी के खिलाफ मीडिया में बयानबाजी से खफा हैं। उन्होंने नसीहत दी कि जिम्मेदार पदों पर बैठे नेताओं को सार्वजनिक बयानबाजी और अनुशासनहीनता से बचना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के खिलाफ सभी को एकजुट होकर लड़ाई लड़नी होगी। विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा ने हल्द्वानी में मीडिया से बातचीत में प्रदेश संगठन को निशाने पर लिया था।
पूर्व महासचिव खजान पांडे और नैनीताल कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष मारुति शाह के निष्कासन पर रोष जताते हुए उन्होंने संगठन पर मनमानी और तानाशाही का आरोप लगाया था। यही नहीं उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति को भी निशाने पर लिया था। विधायक करन माहरा के इस रुख पर प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने संयत प्रतिक्रिया के साथ नसीहत भी दे डाली। मीडिया से बातचीत में माहरा का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को सीधे मीडिया से अपनी बात कहने से बचना चाहिए।
बतौर प्रदेश अध्यक्ष वह पार्टी अनुशासन से बंधे हुए हैं। अनुशासन को किसी कीमत पर तोड़ा नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में एकजुट होकर जीत हासिल की है। उत्तराखंड में भी भाजपा को हराने के लिए सभी को मिलजुलकर लड़ाई लड़नी होगी।यह भी पढ़ें: सहकारी रेशम फेडरेशन की प्रबंध समिति के चुनाव में भाजपा का परचम
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