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ऐशो-आराम की जिंदगी से जन्नत पाने की चाह में समर का छूटा जहां

समर ने अपनी चाहतों को पूरा करने के लिए यही शार्टकट अख्तियार किया। यही चाहत उसके कत्ल का कारण बन गई और महज तेईस साल की उम्र में उसे जहां छोड़ना पड़ गया।

By BhanuEdited By: Updated: Sat, 11 May 2019 07:57 PM (IST)
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ऐशो-आराम की जिंदगी से जन्नत पाने की चाह में समर का छूटा जहां
देहरादून, संतोष तिवारी। कामयाबी, ऐशो-आराम भरी जिंदगी जीने का ही तो सपना समर ने देखा था। यह गुनाह तो नहीं। मगर, समर ने अपनी चाहतों को पूरा करने के लिए यही शार्टकट अख्तियार किया। इस रास्ते पर वह खुद को कामयाब होता भी देखने लगी थी। लेकिन, वह छलावा साबित हुआ। उसकी जन्नत पाने की यही चाहत उसके कत्ल का कारण बन गई और महज तेईस साल की उम्र में उसे जहां छोड़ना पड़ गया। 

मुजफ्फरनगर में दवा कारोबारी राकेश गुप्ता और समर जहां का घर चंद कदमों की दूरी पर ही है। समर जब जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी, तभी राकेश की नजरें उस पर टिकने लगी थीं। समर भी इस पर खुश होती कि कोई उसकी खूबसूरती का कद्र तो करता है। 

छोटी-मोटी दवाई लेने जाने के दौरान राकेश और समर की जान-पहचान बढ़ने  लगी। इस बीच समर अट्ठारह साल की हो गई तो उसके पिता ने उसका रिश्ता तय कर दिया। यह तो पता नहीं कि समर उस शादी से खुश थी या नहीं, लेकिन राकेश गुप्ता को झटका लगा। 

उसने समर को ऐसी पट्टी पढ़ाई कि एक महीने के भीतर समर शौहर का घर छोड़ कर मुजफ्फरनगर लौट आई। यहां फिर से राकेश और समर का प्यार परवान चढ़ने लगा। चर्चा यह भी रही कि समर राकेश से दूर होना चाहती थी, लेकिन राकेश उसे हर तरह खुश रखने की बात कर उसे समझा लेता था। बात तब बिगड़ी जब राकेश के परिवार वाले समर के बारे में सब जान गए। 

इस पर समर को मुजफ्फरनगर छोड़ना पड़ गया। तब वह पूरी तरह से राकेश के पैसों पर निर्भर हो गई। माना जा रहा है कि समर राकेश पर शादी करने का दबाव बनाने लगी थी। यहीं से समर के जिंदगी की उल्टी गिनती भी शुरू हो गई। रुड़की में समर का पूरा खर्चा राकेश ही उठाता था और बाद में उसे देहरादून में बसाने की सोचने लगा। यहीं से बात बिगड़ी तो चंद महीनों में समर को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ गया।

घर की लाडली थी समर

मुजफ्फरनगर के न्याजूपुरा निवासी समरजहां घर की लाडली थी। जब वह मेडिकल रिप्रजेंटेटिव थी तो ठीक-ठाक पैसे कमा लेती थी। इससे उसके साथ परिवार के लोगों की भी जिंदगी ठीक-ठाक चलने लगी थी। समर परिवार का सहारा बनना चाहती थी और खुद के पैरों पर खड़ा होना भी। इसी जद्दोजहद में वह ऐसे दलदल में फंसती चली गई, जहां से जिंदगी ने मौत का यूटर्न ले लिया।

रुड़की में हिंदू बन गई थी समर

समर जब मुजफ्फरनगर छोड़कर रुड़की आई तो यहां उसने अपना मजहब और नाम छिपा लिया। उसने यहां हिंदू नाम रखा और हिंदू रीति-रिवाज से गुजर-बसर करने लगी। इसके पीछे उसकी मंशा क्या थी, यह तो पता नहीं, लेकिन एक बात तो साफ है कि वह राकेश की चाहत में किसी भी हद तक गुजर जाने को हर वक्त तैयार रहती थी।

यह था घटनाक्रम

सहस्रधारा रोड स्थित पैसिफिक गोल्फ सिटी के पास मंगलवार रात को समर जहां उर्फ रेहाना (23) को कार सवार हमलावर ने गोलियों से भून दिया था। उस पर कुल पांच गोलियां दागी गई थीं, लेकिन उसे तीन गोलियां लगी थीं। इसके बाद भी समर पांच सौ मीटर तक भागती रही और अपने बुटीक के पास आकर गिर पड़ी। 

पुलिस ने किया खुलासा 

समरजहां हत्याकांड से पर्दा उठ गया। उसका कत्ल गुप्ता परिवार ने ही कराया था। दवा कारोबारी राकेश गुप्ता की सहमति से उसकी पत्नी ने सुपारी किलर का इंतजाम करवाया, उसने यह जिम्मेदारी अपने बेटे कार्तिक को दी थी। कार्तिक ने ही कुख्यात मोमिन और उसके साथी को सुपारी दी थी। लेकिन, पुलिस का दावा है कि हत्या के वक्त मोमिन शूटर के साथ नहीं था। 

शूटर अकेले कार से आया और समर की हत्या कर फरार हो गया। राकेश, सीमा, कार्तिक और मोमिन को राजपुर पुलिस ने गिरफ्तार कर शुक्रवार को कोर्ट में पेश कर दिया, जहां से चारों को जेल भेज दिया गया।

लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रही थी राकेश के साथ 

समर जहां (23) और दवा कारोबारी राकेश गुप्ता एक-दूसरे को पिछले सात-आठ साल से जानते थे। समर का जब दादरी (गाजियाबाद) निवासी मुमताज से निकाह हुआ तो महीने भीतर ही राकेश ने उसकी शादी तुड़वा दी। कुछ ही समय बाद उसे एक दवा कंपनी में मेडिकल रिप्रजेंटेटिव बनवा दिया। 

अब राकेश और समर की नजदीकियां काफी बढ़ गईं और दोनों लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने लगे। करीब डेढ़ साल पहले राकेश की पत्नी सीमा सिंघल को पति और समर के अफेयर के बारे में पता चला। घर में इसे लेकर अक्सर झगड़े होने लगे।

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