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Rishikesh-Karnprayag Rail Project: टनल निर्माण से मकानों को नुकसान, आई दरारें; दहशत में ग्रामीण

Rishikesh-Karnprayag Rail Project ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का निर्माण इन दिनों गतिमान है। 125 किलोमीटर लंबाई की यह रेल परियोजना 105 किलोमीटर सुरंगों के अंदर से होकर गुजरेगी। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की सुरंग खोदाई के चलते व्यासी के निकट बल्दियाखान गांव में मकानों पर दरारें आ गई हैं जिससे ग्रामीण दहशत में हैं। खोदाई से लगातार ग्रामीणों के घरों में दरारें आ रही हैं।

By Durga prasad nautiyal Edited By: Nirmala Bohra Published: Thu, 04 Jul 2024 01:03 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2024 01:03 PM (IST)
Rishikesh-Karnprayag Rail Project: आरवीएनएल ने मकानों की मरम्मत के लिए दी थी मदद, मरम्मत के बाद अब फिर आई दरारें

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। Rishikesh-Karnprayag Rail Project: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की सुरंग खोदाई के चलते व्यासी के निकट बल्दियाखान गांव में मकानों पर दरारें आ गई हैं, जिससे ग्रामीण दहशत में हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि टनल निर्माण से गांव को लगातार खतरा बढ़ रहा है, ऐसे में गांव को विस्थापन करना ही एक मात्र विकल्प रह गया है। ग्रामीणों ने रेल विकास निगम से गांव के प्रभावित डेढ़ दर्जन परिवारों को विस्थापन देने तथा प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति को रोजगार देने की मांग की है।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का निर्माण इन दिनों गतिमान है। 125 किलोमीटर लंबाई की, यह रेल परियोजना 105 किलोमीटर सुरंगों के अंदर से होकर गुजरेगी। परियोजना के लिए मजबूत पहाड़ों को खोदकर टनल तैयार की जा रही है। कई जगह कठोर चट्टानों को काटने के लिए शक्तिशाली विस्फोट भी किए जा रहे हैं। जिससे परियोजना क्षेत्र में कई जगह आसपास के गांव और घरों में दरारें आने की शिकायतें भी सामने आई हैं।

परियोजना के सुरंग के ठीक ऊपर बसा बल्दियाखान गांव

शिवपुरी व व्यासी के बीच लोडसी ग्राम पंचायत का बल्दियाखान गांव भी परियोजना के सुरंग के ठीक ऊपर बसा है। जब से इस गांव के नीचे सुरंग की खोदाई शुरू हुई, तब से लगातार ग्रामीणों के घरों में दरारें आ रही हैं। करीब ढाई साल पहले बल्दियाखान गांव के मकानों पर दरारें आने के बाद स्थानीय नागरिकों ने रेल विकास निगम तथा कार्यदायी संस्था के खिलाफ आंदोलन किया था।

ग्रामीणों ने तब भी यहां प्रभावित गांव को विस्थापित करने की मांग की थी। मगर, बाद में जिला प्रशासन की मध्यस्थता से रेल विकास निगम ने मकानों के मरम्मत के लिए ग्रामीणों को धनराशि दी थी। ग्रामीणों ने इस धनराशि से मकानों की मरम्मत भी करवाई। मगर, अब चार माह बाद फिर से मकानों पर दरारें पड़ने लगी हैं। जिससे ग्रामीण फिर दहशत में आ गए हैं।

मंगलवार को बल्दियाखान के ग्रामीणों ने बैठक कर समस्या को लेकर चर्चा की। ग्रामीणों का कहना था कि रेल परियोजना के कारण बल्दियाखान गांव पूरी तरह से खतरे की जद में आ गया है, भविष्य में इस गांव में और भी खतरा बढ़ गया है। इसलिए अब गांव का विस्थापन ही आखिरी विकल्प रह गया है। उन्होंने रेल विकास निगम तथा सरकार से प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति को रोजगार देने तथा डेढ़ दर्जन परिवारों के गांव को नजदीकी भूमि पर विस्थापित करने की मांग की।

कहा कि यदि उनकी दो मांगों को सरकार व आरबीएनएल ने न मानी तो ग्रामीण अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरेंगे और शासन व आरवीएनएल के खिलाफ आर-पार की लड़ाई को लड़ने के लिए बाध्य होंगे। बैठक में विमला देवी, मदन रयाल, राकेश प्रसाद, पुष्पा देवी, छटांगी देवी, विनोद रयाल, मनोज प्रसाद, दिनेश रयाल व प्रेम लाल जोशी आदि मौजूद थे।


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