72 वर्ष पहले मशाल से रोशन होती थीं ऋषिकेश की सड़कें, 1924 में भयंकर बाढ़ ने बरपाया कहर, पढ़ें रोचक तथ्य
Rishikesh History ब्रिटिश शासनकाल में छह नवंबर 1922 को ऋषिकेश नोटिफाइड एरिया कमेटी का गठन हुआ। संतों की नगरी के रूप में पहचान रखने वाली तीर्थनगरी में वर्ष 1924 में भयंकर बाढ़ आई। 1947 में पहली बार विभाजन के बाद पाकिस्तान से शरणार्थी ऋषिकेश आए थे।
By Harish chandra tiwariEdited By: Nirmala BohraUpdated: Mon, 07 Nov 2022 01:34 PM (IST)
हरीश तिवारी, ऋषिकेश : Rishikesh History : छह नवंबर को ऋषिकेश निकाय को एक सौ वर्ष पूरे हो गए हैं, इस सफर के दौरान कई सुनहरी यादें ऋषिकेश निकाय से जुड़ीं तो कुछ कड़वी यादें भी हैं। ब्रिटिश शासनकाल में छह नवंबर 1922 को ऋषिकेश नोटिफाइड एरिया कमेटी का गठन हुआ।
वर्ष 1950 से पूर्व ऋषिकेश की सड़कें लैंप और मशाल से रोशन होती थी। वर्ष 1950 के महाकुंभ में पहली बार यहां दो इंजन लगाकर लाइट की व्यवस्था की गई।
तीन दिन बाद चार मई को जब तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ऋषिकेश आए तो पूरा शहर बिजली की रोशनी से पहली बार नहाया था। वहीं वर्ष 1930 में यहां के नागरिकों ने पहली बार रेल सेवा का लाभ उठाया।
1922 को ऋषिकेश में गठित हुई नोटिफाइड एरिया कमेटी
- बता दें कि एक सौ वर्ष पूर्व यानी छह नवंबर 1922 को ऋषिकेश में नोटिफाइड एरिया कमेटी गठित हुई थी।
- महंत परशुराम इसके प्रथम अध्यक्ष हुए।
- संतों की नगरी के रूप में पहचान रखने वाली तीर्थनगरी में वर्ष 1924 में भयंकर बाढ़ आई। जिसमें तीन सौ महात्मा बह गए थे। इस हादसे को झेल कर ऋषिकेश निकाय का सफर जारी रहा।
- वर्ष 1929 में तत्कालीन अध्यक्ष स्वामी अद्वेतानंद ने पहली बार क्षेत्र रोड की सड़क का पक्का निर्माण कराया था और उसी दौरान नगर पालिका भवन का भी निर्माण हुआ।
- वर्ष 1930 में रेल सेवा यहां पहुंची थी।
- 1933-34 में पहली बार ऋषिकेश की सड़कों का नक्शा प्लान तैयार हुआ।
- इतिहासकार व शिक्षाविद वंशीधर पोखरियाल ऋषिकेश के इतिहास पर पुस्तक प्रकाशित कर चुके हैं।
- उन्होंने बताया कि इतिहास के मुताबिक 1947 में पहली बार विभाजन के बाद पाकिस्तान से शरणार्थी ऋषिकेश आए थे।
- 1940 में थाना ऋषिकेश के समीप देहरादून रोड के सामने पहली प्राथमिक पाठशाला का निर्माण हुआ।
- 28 नवंबर 1925 को ऋषिकेश की सीमाएं निर्धारित हुई।
- वर्ष 1949 तक निकाय के कर्मचारी सड़क किनारे लैप पोस्ट में तेल डालकर उसे मशाल से जलाते थे।
- वर्ष 1950 के महाकुंभ में पहली बार यहां दो इंजन से बिजली की व्यवस्था हुई।
- चार मई 1950 को तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद बदरीनाथ जाते हुए जब यहां पहुंचे तो पहली बार तीर्थ नगरी बिजली की रोशनी से नहाई थी।
- वर्ष 1955 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पं.जवाहरलाल नेहरू ऋषिकेश आए थे।
- एक अक्टूबर 1960 को राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद बदरीनाथ जाते वक्त फिर यहां आए थे।
- वहीं आठ दिसंबर 2017 को राज्य सरकार ने ऋषिकेश को नगर निगम बनाया और नगर पालिका परिषद को भंग कर दिया गया।
राष्ट्रपति ने यहां पत्तल में खाया था खाना
एक अक्टूबर 1960 को जब दोबारा तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ऋषिकेश में आए थे तो वहां के पौराणिक धार्मिक संस्था बाबा काली कमली में भंडारे की व्यवस्था की गई और उन्हें भोज में बुलाया गया था।
उनके सम्मान में संस्था के प्रमुख संचालको ने जब सोने-चांदी के बर्तन में डा. राजेंद्र प्रसाद को भोजन परोसा तो उन्होंने इन बर्तनों में बड़े ही सरल भाव में भोजन करने से इन्कार किया।
उनकी इच्छा का सम्मान किया गया और उन्होंने संतों के साथ जमीन पर बैठकर पत्तल में भोजन ग्रहण किया था। इस दौरान राष्ट्रपति श्री भरत मंदिर के दर्शन सहित पुराने विद्यालय भवन मे भी गए थे।यह भी पढ़ें : Bajrang Setu Rishikesh : केदारनाथ मंदिर की आकृति के बनेंगे पुल के टावर, कांच का होगा पैदल पथ, पढ़ें खास बातें
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।जब चेयरमैन ब्रह्मचारी ने शहर को बाढ़ से बचाया
ऋषिकेश निकाय में ब्रह्मचारी देवेंद्र स्वरूप वर्ष 1971 से वर्ष 1974 तक अध्यक्ष रहे, उनके कार्यकाल को आज भी याद किया जाता है। वर्ष 1971 में जब गढ़वाल मंडल में अतिवृष्टि के कारण गंगा में बाढ़ आ गई तो त्रिवेणी घाट और पूरा इलाका जलमग्न हो गया था। पुराने लोग बताते हैं कि जल स्तर धीरे-धीरे शहर की ओर बढ़ रहा था। नाभा हाउस के समीप तक पानी पहुंच गया था। ऐसे समय में अध्यक्ष ब्रह्मचारी देवेंद्र स्वरूप ब्रह्मचारी ने मायाकुंड के सामने गंगा पार पहाड़ को विस्फोट लगाकर तुड़वा दिया। जिससे गंगा की धारा परिवर्तित हुई और ऋषिकेश बाढ़ से बच गया।शहर में मिलावटी दूध की रोकथाम के लिए वह स्वयं हरिद्वार चुंगी पर सुबह के वक्त बैठते थे। गुणवत्ता मापक यंत्र के माध्यम से वह दूध वालों की ठेकियों में मशीन से गुणवत्ता के मानक की जांच करते थे। कमी पाए जाने पर दूध को वही गिरवा दिया जाता था। उस वक्त खाद्य पदार्थों की जांच का अधिकार निकाय के पास था।दीप रहे तीन बार अध्यक्ष
पालिकाध्यक्ष के रूप में दीप शर्मा का सर्वाधिक कार्यकाल रहा। वह तीन बार लगातार अध्यक्ष रहे, कुल 14 वर्ष नौ माह इनका कार्यकाल रहा। जबकि इससे पूर्व हीरालाल अग्रवाल वर्ष 1954 से वर्ष 1967 तक 13 वर्ष अध्यक्ष रहे। छह नवंबर 1922 में नोटिफाइड एरिया कमेटी बनी थी।आठ अगस्त 1949 को टाउन एरिया कमेटी बोर्ड का गठन हुआ। 12 नवंबर 1953 को नगर पालिका परिषद वजूद में आया पुरोहित परशुराम इसके अध्यक्ष बने। इस निकाय का उच्चीकरण किया गया, दो दिसंबर 2018 को नगर निगम ऋषिकेश का गठन हुआ। जिसकी अनीता ममगाईं प्रथम महापौर बनी।निकाय अध्यक्ष का कार्यकाल
- महंत परशुराम, 1922-25
- शासकीय व्यवस्था, 1925-29
- स्वामी अद्वैतानंद, 1929-35
- बाबा मनीराम दास, 1935-39
- सेवकराम नागलिया, 1939-47
- वैध बालकराम, 1947-49
- शासकीय व्यवस्था, 1949-53
- पुरोहित परशुराम, 1953-54
- रघुवीर सिंह रावत, 1954 (एक माह)
- हीरालाल अग्रवाल, 1954-67
- सूरज प्रकाश शर्मा, 1967-68
- शासकीय व्यवस्था 1968 (दो माह)
- देशराज प्रभाकर 1968-71
- ब्रह्मचारी देवेंद्र स्वरूप, 1971-74
- शासकीय व्यवस्था, 1974 (दो माह)
- हरिमोहन गुलाटी, 1974-75
- शासकीय व्यवस्था, 1974 (दो माह)
- कृष्णकुमार शर्मा, 1975-76
- शासकीय व्यवस्था, 1976-87
- वीरेंद्र शर्मा, 1988-94
- शासकीय व्यवस्था, 1994-97
- स्नेहलता शर्मा 1997-2003
- शासकीय व्यवस्था 2003 (11 माह)
- दीप शर्मा, 2003-08
- शासकीय व्यवस्था, 2008 (दो माह)
- दीप शर्मा, 2008-13
- दीप शर्मा, 2013-2017
- शासकीय व्यवस्था 2017-18(एक साल)
- अनीता ममगाईं 2018-कार्यकाल जारी