नमामि गंगे में धुलेंगे देहरादून के रिस्पना व बिंदाल नदियों के दाग Dehradun News
रिस्पना और बिंदाल नदियों को अब गंदगी ढोने के दाग से मुक्ति मिल जाएगी। इसके लिए केंद्र ने 63.75 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 09 Nov 2019 12:43 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। एक दौर में देहरादून शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाली रिस्पना और बिंदाल नदियों को अब गंदगी ढोने के दाग से मुक्ति मिल जाएगी। नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा ने नमामि गंगे परियोजना के तहत दोनों नदियों में समा रहे सीवरेज और गंदे नालों के निस्तारण के मद्देनजर शुक्रवार को केंद्र ने 63.75 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। रिस्पना में गिर रहे नालों की टैपिंग के साथ ही नदी के किनारे की बस्तियों से निकलने वाले सीवरेज को एसटीपी से जोड़ा जाएगा। वहीं, बिंदाल नदी को हरिद्वार बाइपास रोड से कारगी स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में डाला जाएगा और फिर वहां से उपचारित पानी को नदी में छोड़ा जाएगा।
रिस्पना और बिंदाल कभी साफ-सुथरी नदियां हुआ करती थीं। वक्त ने करवट बदली और ये कब नालों में तब्दील हो गंदगी ढोने का जरिया बन गईं, पता ही नहीं चला। आज यह दोनों नदियां मरणासन्न स्थिति में पहुंच गई हैं। रही-सही कसर पूरी कर दी इनके किनारे उग आई अवैध बस्तियों ने। शहरभर की गंदगी ढो रही यह नदियां न सिर्फ आसपास के वातावरण को दूषित कर रही हैं, बल्कि गंगा के प्रदूषण का कारण भी बन रही हंै। असल में यह दोनों सुसवा नदी में मिलती हैं और सुसवा सौंग में। सौंग नदी गंगा की सहायक नदी है।
इस सबको देखते हुए नमामि गंगे परियोजना में रिस्पना और बिंदाल को गंदगी के दाग से निजात दिलाने को कसरत की गई। लंबे इंतजार के बाद इसे सकारात्मक नतीजे आए हैं। सूत्रों के मुताबिक पूर्व में राज्य की ओर से नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) को प्रस्ताव भेजा गया था, मगर इसे कुछ आपत्तियों के साथ लौटा दिया गया। इसके बाद संशोधित प्रस्ताव भेजा गया, जिस पर शुक्रवार को दिल्ली में एनएमसीजी की एक्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक में मंथन हुआ और फिर 63.75 करोड़ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। राज्य परियोजना प्रबंधन समूह (नमामि गंगे) के कार्यक्रम निदेशक उदयराज सिंह ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि अब जल्द ही कार्यदायी संस्था पेयजल निगम दोनों नदियों में सीवरेज निस्तारण के साथ ही नालों की टैपिंग का कार्य शुरू करेंगी।
ये होंगे काम रिस्पना नदी
- 3000 घर होंगे सीवर लाइन से कनेक्ट
- 177 नालियों की होगी टैपिंग
- 04 बड़े नाले जुड़ेंगे एसटीपी से
- 09 एमएलडी सीवरेज को निस्तारण के लिए जोड़ेंगे मोथरोवाला एसटीपी से
बिंदाल नदीशहर के मध्य से गुजरने वाली बिंदाल नदी की स्थिति ऐसी नहीं है कि उसके किनारे सीवर लाइन व नालों की टैपिंग के काम हों। इसे देखते हुए अब बिंदाल के गंदे पानी को हरिद्वार बाइपास रोड से कारगी एसटीपी से जोड़ा जाएगा। फिर वहां से उपचारित पानी को इस नदी में छोड़ा जाएगा। ऐसे में कारगी से आगे यह नदी साफ हो जाएगी।
मुख्यमंत्री रावत ने भेजा था पत्ररिस्पना नदी का पुनर्जीवीकरण सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। इसके लिए मुख्यमंत्री की पहल पर 'रिस्पना से ऋषिपर्णा' मुहिम शुरू की गई है। इसके तहत रिस्पना के किनारे वृहद पैमाने पर पौधारोपण किया गया। यही नहीं, इस नदी को साफ-सुथरा करने के मद्देनजर इसे नमामि गंगे में शामिल करने को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्र सरकार को पत्र भेजा था। मुख्यमंत्री के पत्र ने भी इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
आखिर कहां जा रहा बाकी सीवरदेहरादून शहर से रोजाना औसतन 115 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली) सीवरेज निकलता है। इसके निस्तारण के लिए कारगी व मोथरोवाला में क्रमश: 68 व 40 एमएलडी क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बने हैं, लेकिन इनमें नाममात्र का ही सीवरेज जा रहा है। कारगी एसटीपी में 12 और मोथरोवाला में 13 एमएलडी का ही निस्तारण हो रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा कि बाकी सीवर का निस्तारण कहां हो रहा है।
76 गुना प्रदूषित रिस्पना-बिंदाल का पानीरिस्पना व बिंदाल नदी गंदगी के चलते मरणासन्न हालत में पंहुच चुकी हैं। या यूं कहें कि ये नदियां सिर्फ मैला ढोने का जरियाभर हैं। जानकर हैरानी होती है कि इनके पानी में टोटल कॉलीफार्म (विभिन्न हानिकारक तत्वों का मिश्रण) की मात्रा 76 गुना से भी अधिक है। पीने योग्य पानी में यह पात्रा एमपीएन (मोस्ट प्रोबेबल नंबर)/ प्रति 100 एमएल में 50 से अधिक नहीं होनी चाहिए, जबकि यह मात्रा 3800 पाई गई। यहां तक कि जिस फीकल कॉलीफार्म की मात्रा शून्य होनी चाहिए, उसकी दर 1460 एमपीएन/100 एमएल पाई गई। पिछले साल स्पैक्स की ओर से फरवरी माह में कराई गई नदी के पानी की जांच में प्रदूषण का यह स्तर सामने आया था। इसके अलावा नदी के पानी में जहां घुलित ऑक्सीजन (डीओ) की मात्रा मानक से बेहद कम पाई गई, वहीं बॉयकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) की मात्रा बेहद अधिक है। तमाम अन्य हानिकारक तत्वों की मात्रा भी सीमा से कोसों अधिक रिकॉर्ड की गई।
यह भी पढ़ें: रिस्पना के पुनर्जीवीकरण पर सवाल, गंदा पानी सीवर लाइन में डालेंगे और लाइन नदी में तब प्रदूषण की ऐसी स्थिति देखने के बाद मानवाधिकार आयोग ने नगर निगम, पेयजल निगम व जल संस्थान को नोटिस जारी कर नदी के संरक्षण व संवर्धन के निर्देश जारी किए थे। हालांकि विभागीय स्तर पर इस दिशा में कुछ नहीं किया गया। अब यह राहत की बात है कि नमामि गंगे के तहत दोनों नदियों को पुनर्जीवित करने का काम किया जाएगा। यह काम इसलिए भी जरूरी है कि भारी प्रदूषण के चलते भूजल में भी हानिकारक रसायनों का स्तर बढऩे का खतरा पैदा हो गया है। इसके साथ ही रिस्पना व बिंदाल नदी के पानी के संगम से सुसवा नदी बनती है और यह पानी वन क्षेत्र से होकर गुजरता है। ऐसे में वन्य प्राणियों की सेहत भी खतरे में पड़ गई है।
यह भी पढ़ें: देवभूमि उत्तराखंड में गंगा बॉक्स पाठ्यक्रम का हिस्सा, पढ़िए पूरी खबररिस्पना नदी के पानी की स्थिति(टोटल कॉलीफार्म व फीकल कॉलीफार्म की मात्रा एमपीएन/100 एमएल में व अन्य की मात्रा एमजी/लीटर में)
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- तेल-ग्रीस, 0.1, 11 से 18
- टीडीएस, 500, 740 से 1200
- बीओडी, 02, 126 से 144
- डीओ, 06 से अधिक, अधिकतम 1.4
- लैड, 0.1, 0.54
- नाइट्रेट, 20, 388 से 453
- टोटल कॉलीफार्म, 50, 1760 से 3800
- फीकल कॉलीफार्म, शून्य, 516 से 1460