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यहां अब महफूज होंगी गंगा किनारे की वनस्पतियां, जानिए

उत्तराखंड में गंगा समेत अन्य नदियों के किनारे उगने वाली वनस्पतियों का संसार हरिद्वार के श्यामपुर में साकार होने जा रहा है।

By Edited By: Updated: Sun, 30 Jun 2019 08:44 PM (IST)
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यहां अब महफूज होंगी गंगा किनारे की वनस्पतियां, जानिए
देहरादून, केदार दत्त। उत्तराखंड में गंगा समेत अन्य नदियों के किनारे उगने वाली वनस्पतियों का संसार हरिद्वार के श्यामपुर में साकार होने जा रहा है। इसके लिए वन विभाग की अनुसंधान विंग श्यामपुर में राज्य का पहला प्रदर्शन स्थल तैयार कर रही है। प्रथम चरण में वहां 52 प्रजाति की वनस्पतियों की पौध रोपण के लिए तैयार है। जुलाई में इन्हें रोपा जाएगा। वन संरक्षक अनुसंधान वृत्त संजीव चतुर्वेदी के मुताबिक अपनी तरह के इस प्रदर्शन स्थल के विकसित होने से जहां नदियों के किनारे की वनस्पतियों का संरक्षण हो सकेगा, वहीं लोगों को जागरूक करने में भी मदद मिलेगी। 

गंगा के उद्गम गोमुख से लेकर हरिद्वार तक गंगा किनारे विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों बहुतायत में उगती है। ऐसी ही स्थिति गंगा की सहायक नदियों के साथ ही अन्य नदियों की भी है। हालांकि, यह शोध का विषय है कि राज्यभर में नदियों के किनारे उगने वाले पेड़-पौधों, झाड़ियों आदि की प्रजातियों की तादाद कितनी है, मगर वन विभाग की अनुसंधान विंग ने इनके संरक्षण के लिए पहल की है। अनुसंधान विंग की सलाहकार समिति ने पिछले वर्ष इस प्रस्ताव को मंजूरी दी और फिर इसे क्षतिपूरक वनीकरण प्रबंधन अभिकरण (कैंपा) को इसे वित्त पोषण के लिए भेजा गया। 

कैंपा से हरी झंडी मिलने के बाद हरिद्वार के श्यामपुर में पांच हेक्टेयर में स्थापित होने वाले इस प्रदर्शन स्थल के लिए कवायद शुरू की गई। वन संरक्षक अनुसंधान वृत्त संजीव चतुर्वेदी की पहल पर गंगा समेत अन्य नदियों के किनारे उगने वाले पेड़-पौधों और झाड़ियों के पौधे एकत्र कर इन्हें नर्सरी में लगाया गया। चतुर्वेदी बताते हैं कि श्यामपुर में प्रदर्शन स्थल की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। नर्सरी में 52 प्रजातियों के पौधे भी तैयार हैं। जुलाई में इनका रोपण प्रदर्शन स्थल में किया जाएगा। 

आइएफएस चतुर्वेदी बताते हैं कि अपनी तरह का यह राज्य का पहला प्रदर्शन स्थल है। इसमें गंगा समेत अन्य नदियों के किनारे उगने वाली वनस्पतियों का संरक्षण-संव‌र्द्धन होगा। साथ ही प्रदर्शन स्थल को भविष्य में जनजागरण के उद्देश्य से भी प्रयोग में लाया जाएगा। प्रदर्शन स्थल में आने वाले लोगों को नदी के पारिस्थितिकीय तंत्र को मजबूत बनाने में इन वनस्पतियों के महत्व से अवगत कराया जाएगा।

रोपी जाएंगी ये प्रजातियां 

खरपट, कुंभी, उदाल, फल्दू, बाकली, कालातेंदू, झींगन, बरना, बौरंग, पनियाला, गम्हार, मैदा लकड़ी, कुसुम, एकोनेशिया लॉरीफोलिया, पाडल, आमड़ा, पचनाला, खट्टू, ओमसाल, ढौंक, थनेला, पिन्ना, श्योनाक, विषतेंदू, सांदन, सलाई गुग्गल, निर्गुडी, मैनफल, मरोड़कली, मालकंगनी, चित्रक, खटाई, गुड़भेली, तुष्यारी, रिठौल, धौला, सालपर्णी, पियाबांसा, पृष्ठपर्णी, दमबल, मालनलता, पिपली, पुनर्नवा, बिदारी कंद, बच, वन अजवाइन, कलिहारी, जंगली प्याज, आमा हल्दी, ब्राह्मी, कपूर कचरी, वृहत्ती। 

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